
20-22 नवंबर तक बिहार में नई सरकार का गठन होना है भारत निर्वाचन आयोग तमाम गतिरोधों के बीच इसकी तैयारी में जुटा है मतदाताओं केविशेष गहन पुनरीक्षण में दावा-आपत्ति का आज अंतिम दिन है चुनाव के लिए मतदानकर्मियों की ट्रेनिंग को लेकर भी तैयारी चल रही है सत्ता पक्ष मेंराष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे का ब्लू प्रिंट तैयार है. दूसरी तरफ विपक्ष के नेता आज, यानी 1 सितंबर तक वोटर अधिकार यात्रा केबहाने चुनाव आयोग को ही निशाने पर रखने में व्यस्त है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय स्तर पर बने गठबंधन- इंडिया को लेकर यह यात्रा इसलिए की कि वह राष्ट्रीय जनता दल पर सीटों के लिए दबाव बना. लेकिन, वह वक्त अब निकला जा रहा है सीटों परतैयारी के लिए संभावित प्रत्याशी अधीर हो रहे हैं. कह तो यह भी रहे हैं कि अब तुरंत सीटें नहीं बांटी गई तो लोकसभा चुनाव की तरह कहीं राजद सीधेसिंबल लेकर प्रत्याशी को भेज न दे। मतलब, कुल मिलाकर यही है कि विपक्ष को अगर चुनाव का पूर्ण बहिष्कार नहीं करना है तो सीटें बांटकरप्रत्याशी को हरी झंडी देना ही होगा.
निर्दलीय उतरना पड़ा
चुनावी तैयारी के लिए अब सितंबर का ही समय है। ऐसे में आज राहुल गांधी पटना में हैं। वोटर अधिकार यात्रा का अंतिम दिन है पूरे देश से विपक्षीनेताओं को बुलावा गया है कई चेहरे रहेंगे. लेकिन, असल बात तो बिहार चुनाव है। चुनाव बहिष्कार की बात कई बार की गई, लेकिन ऐसा कुछ होतानहीं दिख रहा. सभी दलों के संभावित प्रत्याशी दिन-रात सीटों के असमंजस से चिंता में हैं और मेहनत भी कमोबेश कर रहे हैं सीटें फाइनल होतीं तोमेहनत बढ़ जाती ऐसे में सबसे ज्यादा कांग्रेस के अंदर भी राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को लेकर है. लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेससीधे-सीधे राजद से सीटों के बंटवारे पर बात नहीं कर सकी जब तक करती, तब तक कई लोगों को राजद ने सिम्बल देकर नामांकन के लिए भेज दियाबाकी के साथ उस समय कांग्रेस में आए राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव भी इस लेटलतीफी का शिकार हुए थे, जब बीमा भारती को राजद ने टिकट देदिया और उन्हें निर्दलीय उतरना पड़ा.
आ रहे है शक्ति दिखाने के लिहाज से
कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता बिहार में 70 सीटों पर पार्टी की दावेदारी पक्की बात रहे हैं. कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 19 सीटें जीतकरआई थी। कागज पर उसके पास इतने विधायकों की संख्या है, हालांकि इनमें से दो विधायक पिछले साल नीतीश कुमार सरकार के बहुमत परीक्षणके समय से पाला बदल कर सत्ता के साथ बैठ रहे हैं। खैर, उनकी सदस्यता नहीं गई है. इसलिए, कांग्रेस 19 मौजूदा विधायकों की सीट के अलावा51 अन्य सीटों पर दावा कर रही है वामपंथी दलों ने कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा में समर्थकों को जुटाकर अपनी ताकत का एहसास करा दिया है. वह तो राजद से डील वैसे भी कर ही लेगी असल संकट कांग्रेस का रहता है। बिहार में जब महागठबंधन सरकार थी, तब एक अदद मंत्री पद के बढ़ानेके लिए तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को तेजस्वी यादव के कई चक्कर लगाने पड़े थे. मंत्री पद बढ़वाने से पहले महागठबंधन सरकारही गिर गई। ऐसे में कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार वोटर अधिकार यात्रा के अंतिम दिन पटना में कार्यकर्ता-समर्थन की शक्ति दिखाने के लिहाज से भीआ रहे हैं.