
तेलंगाना विधानसभा में पंचायती राज संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री रेवन्त रेड्डी और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव(केटीआर) के बीच जोरदार बहस देखने को मिली. मुद्दा था पिछड़ा वर्ग आरक्षण और बीआरएस की भूमिका. मुख्यमंत्री ने बीआरएस पर गंभीर आरोपलगाए कि वह पिछड़े लोगों के सशक्तिकरण के खिलाफ रही है, वहीं बीआरएस ने सरकार पर चुनौती दी कि वह पिछड़े वर्ग के लिए बिल पास करानेके लिए सच्चा संघर्ष दिखाए. मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने विधानसभा में कहा कि बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) पिछड़े लोगों केसशक्तिकरण के खिलाफ रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि जब दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछड़ा आरक्षण को लेकर बड़ा धरना हुआ, तब बीआरएस नेउसका समर्थन नहीं किया रेवंत रेड्डी ने कहा कि यह साफ सबूत था कि बीआरएस को पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी बढ़ाने में कोई ईमानदारी नहीं है. उन्होंनेआगे आरोप लगाया कि बीआरएस ने राज्यपाल पर दबाव डालकर पिछड़े वर्ग के आरक्षण अध्यादेश को रोका.
असली समर्पण दिखाने का समय
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में यह भी कहा कि जनता पहले ही बीआरएस के खिलाफ जनादेश दे चुकी है. उन्होंने दोहराया कि सरकार पिछड़ा समुदाय केअधिकारों को लेकर गंभीर है और इस बार उन्हें न्याय दिलाने के लिए हर स्तर पर प्रयास करेगी रेवंत रेड्डी का कहना था कि बीआरएस सिर्फ दिखावे कीराजनीति करती रही है, जबकि जमीनी स्तर पर उसने पिछड़ा वर्ग को कभी वास्तविक शक्ति नहीं दी. मुख्यमंत्री के आरोपों पर बीआरएस नेता केटीआरने तीखा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अगर रेवंत रेड्डी सचमुच पिछड़ा वर्ग के लिए प्रतिबद्ध हैं तो उन्हें दिल्ली के जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन भूखहड़ताल करनी चाहिए, जब तक कि पिछड़ा बिल पास न हो जाए. केटीआर ने कहा कि यह सिर्फ बैठकों और नियुक्तियों का मामला नहीं है, बल्किअसली समर्पण दिखाने का समय है.
दिल्ली में रहना डटे
उन्होंने रेवन्त रेड्डी को याद दिलाया कि जिस तरह केसीआर दिल्ली गए थे और घोषणा की थी कि वह तेलंगाना के गठन तक वापस नहीं लौटेंगे, उसीतरह मौजूदा मुख्यमंत्री को भी दिल्ली में डटे रहना चाहिए.
केटीआर ने विधानसभा में यह भी याद दिलाया कि 2004 में केसीआर पहले नेता थे जिन्होंने देश में अलग से ओबीसी कल्याण मंत्रालय की मांग कीथी. पार्टी गठन के बाद उन्होंने पिछड़े समुदाय के लिए एक व्यापक नीति भी पेश की थी. बीआरएस नेता ने कहा कि विधानसभा में उनकी पार्टी नेजाति जनगणना और विधानमंडलों में ओबीसी आरक्षण की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किए थे और उन्हें केंद्र सरकार को भेजा था. उन्होंने दावाकिया कि जब भी बीआरएस को मौका मिला, उसने पिछड़ा और कमजोर वर्गों को न्याय देने का काम किया.