स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री और दलित समाज के नेता रामदास अठावले के सरकारी आवास (11, सफदरजंग रोड, नई दिल्ली) पर आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम के दौरान एक दलित अधिकारी मीर सिंह के साथ कथित रूप से उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है.
सूत्रों के अनुसार, ध्वजारोहण के समय मंत्री रामदास अठावले शहर में नहीं थे. ऐसे में सरकारी नियमों के अनुसार, मंत्री की अनुपस्थिति में ध्वज फहराने का अधिकार मंत्री के कार्यालय द्वारा नामित व्यक्ति या सबसे वरिष्ठ स्टाफ सदस्य को होता है. इस नियम के अंतर्गत वरिष्ठ पदाधिकारी मीर सिंह, जो पिछले 32 वर्षों से अठावले के साथ जुड़े हैं, एवम हर वर्ष मंत्री की अनुपस्थिति में ध्वजारोहण करते है, झंडा फहराने जा रहे थे.इसी बीच, रिपब्लिकनपार्टी ऑफ़ इंडिया ( अठावले ) की महिला विंग की अध्यक्ष मंजू छिब्बर, जो की सवर्ण समाज से आती हैं, ने जबरन झंडा फहराने की कोशिश की.जिस पर मीर सिंह द्वारा आपत्ति जताए जाने पर, उन पर अपशब्द कहे गए. जातिसूचक टिप्पणियां की गईं और स्थानीय तुगलक रोड पुलिस की मौजूदगी में एक झूठा मामला दर्ज करवा दिया गया. मौके पर मौजूद पुलिस ने न केवल तत्काल हस्तक्षेप नहीं किया, बल्कि मंजू छिब्बर द्वारा दर्ज करवाई गई झूठी शिकायत के आधार पर मीर सिंह के खिलाफ बी एन एस की धारा 74 और 75 के तहत केस दर्ज कर लिया. जबकि घटना का वीडियो फुटेज और गवाहों के बयान इस बात की ओर इशारा करते हैं कि ये केस झूठा और बेबुनियाद है और मीर सिंह को दलित और वरिष्ठ होने के कारण निशाना बनाया गया हैl
उन्होंने 2018 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दलित समर्थकों द्वारा, पार्टी के विचारो के खिलाफ प्रदर्शन करने पर नतीजा स्वरूप तीन दलित पुरुषों को गिरफ्तार किए जाने की घटना की भी आलोचना की थी.
दलित समाज में नाराज़गी
वहीं दलित समाज में यह सवाल उठ रहा है कि जब एक वरिष्ठ दलित अधिकारी को एक दलित मसीहा के सरकारी आवास पर अपमानित किया जा सकता है, तो देश के बाकी हिस्सों में दलितों की स्थिति क्या होगी?
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इंडिया ( अठावले ) के एक पदाधिकारी मुकेश सिरोही ने मंत्री अठावले से चर्चा के बाद ये पुष्टि की कि मंजू छिब्बर या पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को झंडारोहण के लिए अधिकृत नहीं किया गया था और उन्होंने जो किया वह “पार्टी की छवि के लिए नुकसानदायक” है. मंत्री रामदास अठावले अभी विदेश यात्रा पर हैं उनके बयान का इंतजार है.
पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
पुलिस ने मीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की है. लेकिन मंजू छिब्बर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. जबकि घटना के वक्त मौजूद थाना तुगलक रोड के पुलिसकर्मी, गवाह और वीडियो फुटेज ( इसी खबर में संलग्न है ) होने के बावजूद पुलिस द्वारा मीर सिंह के ख़िलाफ़ महिला उत्पीड़न का झूठा केस दर्ज किया गया, ये पुलिस की निष्क्रियता और दलित उत्पीड़न के आरोपों को नजरअंदाज करना कई सवाल खड़े कर रहा है.