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भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम कराने का दावा कर रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आईना दिखाया. विदेश मंत्रीने साफ तौर पर कहा कि हमने पाकिस्तान के मामले में कभी भी किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की. पाकिस्तान के साथ मध्यस्थता को लेकर भारतका रुख हमेशा स्पष्ट रहा है और आगे भी रहेगा. एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष के मुद्दे पर हमने1970 से लेकर अब तक 50 साल में कभी भी किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की. भारत में हमेशा से राष्ट्रीय सहमति रही है कि हम पाकिस्तान केसाथ अपने संबंधों में मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं। जब व्यापार की बात आती है, किसानों के हितों की बात आती है, जब हमारी रणनीतिकस्वायत्तता की बात आती है, जब मध्यस्थता के विरोध की बात आती है, तो सरकार बहुत स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि अगर कोई हमसे असहमत है तोभारत के लोगों को बताए कि क्या वे किसानों के हितों की रक्षा के लिए तैयार नहीं हैं क्या वे रणनीतिक स्वायत्तता को महत्व नहीं देते हैं। लेकिन हमदेते हैं.

रुढ़िवादी तरीके से बड़ा बदलाव
इसे बनाए रखने के लिए हमें जो कुछ भी करना होगा, हम करेंगे. ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि उस वक्त अमेरिका ने फोन कॉलकिए, दूसरे देशों ने भी फोन कॉल किए. यह कोई राज नहीं है कम से कम मेरे मामले में मेरे पास आए हर अमेरिकी फोन कॉल मेरे एक्स अकाउंट मेंमौजूद है. ऐसा होता ही है कि जब किसी देश में कुछ होता है तो हर देश दूसरे को कॉल करता ही है. लेकिन मध्यस्थता का दावा करना या यह दावाकरना कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत से जो नतीजा निकला, वह भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत से नहीं निकला, यह गलत है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि हमने कभी ऐसा कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं देखा, जिसने विदेश नीति को ट्रंप की तरहसार्वजनिक रूप से संचालित किया हो. यह बदलाव केवल भारत तक सीमित नहीं है. राष्ट्रपति ट्रंप का दुनिया के साथ व्यवहार करने का तरीका, यहांतक कि अपने देश के साथ व्यवहार करने का तरीका, पारंपरिक रूढ़िवादी तरीके से बहुत बड़ा बदलाव है.

टैरिफ लगाना है सामान्य
मैं कुछ उदाहरण देना चाहता हूं कि जैसे केवल व्यापार के लिए इस तरह से टैरिफ लगाना सामान्य है लेकिन गैर व्यापार मुद्दों पर टैरिफ लगाना सहीनहीं है. विदेश मंत्री ने कहा कि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता अभी भी जारी है. लेकिन मूल बात यह है कि हमारे सामने कुछ लाल रेखाएं हैं. किसी नेभी यह नहीं कहा कि बातचीत बंद है. लोग एक-दूसरे से बात करते हैं। ऐसा नहीं है कि वहां कोई कुट्टी है. जहां तक हमारा सवाल है कुछ रेड लाइन हैं. हम अपने किसानों और कुछ हद तक हमारे छोटे उत्पादकों के हित के लिए काम कर रहे हैं. हम उनके मुद्दों पर समझौता नहीं कर सकते हैं मैं आपसेसवाल पूछता हूं कि क्या आप किसानों और व्यापारियों को लेकर समझौता करेंगे. मैं कहना चाहता हूं कि हम एक सरकार के रूप में अपने किसानोंऔर अपने छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम इस पर बहुत दृढ़ हैं. हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे उनके हितों से समझौता हो. मैं इसकी आलोचना करने वालों से पूछता हूं कि क्या वे ऐसा समझौता करेंगे?

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