
अमेरिका की ओर से भारत पर टैरिफ लगाकर एकतरफा और अन्यायपूर्ण रवैया अपनाने के बीच चीन ने भारत को उर्वरक, रेयर अर्थ और टनल बोरिंगमशीनों के निर्यात पर लगी पाबंदियां हटाने का एलान किया है. वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए यह निश्चित रूप से एक अहम घटनाक्रम है. चार्टर्ड अकाउंटेंट और वैश्विक व्यापार मामलों के जानकार शुभम सिंघल ने इस विषय पर उन्होंने बताया कि भारत पर लगे अमेरिकी टैरिफ के क्या मायनेहैं? चीन से व्यापार में भारत को क्या सावधानी बरतनी चाहिए? आपदा में अवसर तलाशने के भारत के पास क्या मौके हैं? आइए इस बारे में विस्तारसे जानें. सिंघल के अनुसार सतही तौर पर देखें एक दोस्ताना देश के खिलाफ अमेरिका की टैरिफ से जुड़ी कार्रवाई अप्रत्याशित है. दूसरी ओर, रेयर अर्थमैटेरियल्स की सप्लाई पर चीन का निर्णय भारत के लिए राहत की खबर है.
लचीलापन रखने का भी अवसर मिलेगा
हालांकि गहराई से देखें तो ये दोनों घटनाएं केवल व्यापारिक घटनाक्रम नहीं बल्कि एक व्यापक भू-आर्थिक समीकरण का हिस्सा हैं. ऐसे में भारत कोइस दौर में सावधानी बरतते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है. अगर भारत अमेरिका से तनातनी के बीच चीन नरमी जैसे का अवसर का लाभ उठाने के लिएचीन की नीयत पर आंख बंद कर भरोसा करता है तो यह भविष्य में एक बड़ी भूल भी साबित हो सकती है. सीए शुभम सिंघल ने बताया कि पुरानेअनुभवों से हमें पता है कि चीन अक्सर व्यापार को राजनीतिक दबाव का औजार बनाता है. ऐसे में भारत की नीति सावधानी के साथ सहयोग की होनीचाहिए. इस कदम से हाल-फिलहाल के समय में सस्ते उर्वरक और कच्चे माल की उपलब्धता से महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी और उद्योगों कोराहत मिलेगी. इससे रिजर्व बैंक को भी मौद्रिक नीतियों में लचीलापन रखने का भी अवसर मिलेगा.
सजग रहने की जरुरत
निवेशकों के लिए यह संदेश भी सकारात्मक होगा कि भारत अवसरों का इस्तेमाल करने में व्यावहारिक रुख अपनाता है. उन्होंने बताया कि हमें अपनेव्यापार घाटे और आत्मनिर्भरता की दिशा में बेहद सजग रहने की जरूरत है. अगर भारत चीन के सस्ते सामानों पर अत्यधिक निर्भर हुआ, तो ‘मेक इनइंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियान प्रभावित हो सकते हैं. इसलिए चीन से आने वाले आयात का इस्तेमाल हमें केवल उत्पादन क्षमता बढ़ानेऔर तकनीकी उन्नति हासिल करने तक ही सीमित रखना होगा. सिंघल ने बताया कि हाल ही में अमेरिका ने अपने दोस्ताना संबंध वाले भारत पर टैरिफलगाकर एकतरफा और अन्यायपूर्ण रवैया अपनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि भारत अपने किसानों, मजदूरों और घरेलू उद्योग से कोईसमझौता नहीं करेगा, चाहे इसकी कितनी भी बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़े. दुनिया यह देखकर हैरान है कि भारत ने अमेरिका के दबाव के आगे घुटनेटेकने से साफ इनकार कर दिया है.