
लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का “विजन डॉक्यूमेंट 2047” असल में जनता के साथ एक सुनियोजित धोखाहै. यह दस्तावेज़ सिर्फ़ कागज़ी जुमलों और झूठे वादों का पुलिंदा है जिसका उद्देश्य जनता का ध्यान आज की असल समस्याओं से भटकाना है. यहसरकार जनता को 2047 का सपना दिखा रही है. जबकि हालात में लोग महंगाई, बेरोज़गारी, किसानों की आत्महत्याओं और कानून-व्यवस्था कीबदहाली से जूझ रहे हैं. यह वैसा ही है जैसे किसी डूबते आदमी से कहा जाए इंतज़ार करो, 22 साल बाद तुम्हें किनारे लगा देंगे यह सरकार न आज कीसमस्याएँ सुलझा रही है. न कल की, बल्कि केवल चुनावी नौटंकी और प्रचार तंत्र से जनता को बेवक़ूफ़ बना रही है.
राजनीतिक धोखा दिया करार
लोकदल अध्यक्ष ने चेतावनी दी कि जनता अब इन खोखले नारों और कागज़ी सपनों के जाल में फँसने वाली नहीं है. हम 2047 नहीं, 2025 में हक़और न्याय चाहते हैं जनता अब हिसाब लेगी और इस सत्ता से धोखे का बदला ज़रूर लेगी. विधान परिषद में लाल बिहारी यादव ने इस विजन डॉक्यूमेंटको “चुनावी घोषणापत्र” जैसा बताते हुए कहा कि जिन वादों को सरकार ने दशकों में पूरा नहीं किया. उनपर भरोसा कैसे किया जाए? उन्होंने काले धनवापसी, ₹15‑लाख, 2 करोड़ नौकरियाँ, किसानों की आमदनी दोगुनी करने जैसे वादों का हवाला दिया, जो पूरी नहीं हुईं. लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्षसुनील सिंह ने “विजन डॉक्यूमेंट 2047” को जनता के साथ “सबसे बड़ा राजनीतिक धोखा” करार दिया.
झूठे वादों का है पुलिंदा
उन्होंने कहा कि यह दस्तावेज़ केवल कागज़ी जुमलों और झूठे वादों का पुलिंदा है. जिसका उद्देश्य जनता को असल समस्याओं जैसे महंगाई, बेरोज़गारीऔर किसानों की समस्याओं से भटकाना है. उन्होंने इसे उस स्थिति से जोड़ा जैसे “डूबते आदमी से कहा जाए. इंतज़ार करो, 22 साल बाद किनारेलगाएंगे और निष्कर्ष में कहा कि जनता अब 2047 नहीं, 2025 में हक और न्याय चाहती है और धोखे का हिसाब लेगी. यह प्रेस नोट उनके जुड़ेबयान की रूपरेखा है जिसे आपने साझा किया. जिसमें यह अति‑प्रसंग और तीखी आलोचना शामिल है.