
भारत पानी में घुलनशील उर्वरकों (वॉटर सॉल्युबल फर्टिलाइजर्स) की बड़ी मात्रा चीन से आयात करता है. इसके साथ ही बेल्जियम, मिस्र, जर्मनी, मोरक्को और अमेरिका जैसे वैकल्पिक स्रोतों से भी इन उर्वरकों की आपूर्ति की जाती है संसद में शुक्रवार को रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रियापटेल ने यह जानकारी दी. वित्त वर्ष 2024 के दौरान देश में पानी में घुलने वाले उर्वरकों की वार्षिक खपत लगभग 3.35 लाख टन रही. पटेल ने कहाकि उर्वरक कंपनियां अपने कारोबार के अनुसार फॉस्फेटिक और पोटेशियम उर्वरकों का आयात करने के लिए स्वतंत्र हैं. संसद में यह प्रश्न पूछा गया थाकि क्या चीन ने भारत को कुछ विशेष उर्वरकों का निर्यात रोक दिया है, जिससे भारतीय किसानों पर प्रतिफूल प्रभाव पड़ने की संभावना है.
उर्वरकों को करता है आयात
मंत्री ने कहा कि उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 के तहत 100 प्रतिशत जल घुलनशील जटिल उर्वरक और 100 प्रतिशत जल घुलनशील मिश्रण, श्रेणी को छोड़कर विशेष उर्वरक के रूप में कोई वर्गीकरण नहीं है. पानी में घुलनशील उर्वरकों का उपयोग मुख्य तौर पर नकदी और बागवानी फसलोंके लिए किया जाता है. इनमें से कोई भी उर्वरक सरकार की पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के दायरे में आने वाला सब्सिडी वालाउर्वरक नहीं है. रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने संसद में बताया कि भारत चीन के साथ-साथ बेल्जियम, मिस्र, जर्मनी, मोरक्को औरअमेरिका जैसे वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं से बड़ी मात्रा में पानी में घुलनशील उर्वरकों का आयात करता है.
अलग वर्गीकरण नहीं है कोई नियम
वित्त वर्ष 24 के दौरान देश में इनकी वार्षिक खपत लगभग 3.35 लाख टन रही. भारत अपनी विशेष उर्वरक जरूरतों के लिए लगभग 80% आयामचीन पर निर्भर रहता है. लेकिन हाल में चीन ने निर्यात नियंत्रण और CIQ लम्बा परीक्षण अवधि लागू कर दी, जिससे MAP, CN, PN जैसे मुख्यघटकों की आपूर्ति में तेजी से गिरावट आई है। उदाहरण के लिए, MAP का आयात जून 2025 तक मात्र 2,842 टन था, जबकि 2024 में यह21,214टन था. जैसे-जैसे चीन से आयात घट रहा है वैसे ही भारत ने मोरक्को, रूस, जॉर्डन, सऊदी अरब जैसे देशों से आयात बढ़ाया है. हालाँकि, येस्रोत चीन को पूरी तरह से प्रतिस्थापित नहीं कर सके, जिससे मूल्य वृद्धि और बाजार अस्थिरता बनी हुई है. अनुप्रिया पटेल ने स्पष्ट किया किफॉस्फेटिक और पोटेशियम आधारित उर्वरक कंपनियों द्वारा वाणिज्यिक आधार पर स्वतंत्र रूप से आयात किए जा सकते हैं. फिलहाल, जलघुलनशील जटिल और मिश्रित उर्वरक को विशेष उर्वरक वर्गीकरण के तहत छोड़कर कोई अलग वर्गीकरण नियम नहीं हैं.