
लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने आधार कार्ड की पारदर्शिता और भरोसे को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि देश कीपहचान प्रणाली मानी जाने वाली आधार व्यवस्था अब फर्जीवाड़े और तकनीकी खामियों की शिकार बन चुकी है।
बिहार से सामने आई एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि राज्य में करीब 65 लाख फर्जी आधार कार्ड सक्रिय रूप से उपयोग में हैं।इतना ही नहीं, हजारों मृत व्यक्तियों के आधार कार्ड भी सरकारी योजनाओं और सेवाओं में आज भी चलन में हैं।
भ्रष्टाचार और तकनीकी खामियों का गंभीर उदाहरण
सुनील सिंह ने कहा कि यह स्थिति केवल आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि एक गंभीर प्रशासनिक विफलता भी है। जब मृत लोगों के नाम पर लाभ उठायाजा सकता है, तो यह पूरे तंत्र की साख पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि आम जनता उस पहचान प्रणाली पर भरोसा कर रही थी, जिसेसरकार सबसे सुरक्षित और अचूक मानती रही है, लेकिन आज वही तंत्र जनधोखा बनता जा रहा है।
फर्जी आधार बनाने वाले और उनका इस्तेमाल करने वाले अधिकारियों पर हो कड़ी कार्रवाई
लोकदल ने यह मांग की है कि जो अधिकारी इस गड़बड़ी के लिए ज़िम्मेदार हैं, उन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। पार्टी का मानना है कि जब तकदोषियों को सजा नहीं मिलेगी, ऐसी गड़बड़ियों पर रोक नहीं लग सकती।
पारंपरिक पहचान व्यवस्था को दी जाए प्राथमिकता
लोकदल ने सुझाव दिया है कि गांव स्तर पर ग्राम प्रधान या स्थानीय निकायों की सिफारिश आधारित पहचान प्रणाली को आधार निर्माण में महत्वदिया जाए। डिजिटल तंत्र के साथ-साथ पारंपरिक स्थानीय तंत्र को भी सशक्त बनाना जरूरी है ताकि जमीनी स्तर पर फर्जीवाड़ा रोका जा सके।
यह सिर्फ बिहार नहीं, पूरे देश की चेतावनी है
सुनील सिंह ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल बिहार तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा, “यदि आज इस संकट पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आनेवाले समय में पूरे देश को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।”
लोकदल की प्रमुख मांगें?
UIDAI को तत्काल आधार निर्माण प्रक्रिया की समीक्षा करनी चाहिए और फर्जी आधार पर रोक के लिए सख्त व्यवस्था लागू करनी चाहिए।
गांवों में पारंपरिक पहचान प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाए ताकि जमीनी सत्यापन सुनिश्चित हो सके।
सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं, जवाबदेही जरूरी है
लोकदल अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने इस पहचान तंत्र पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन यदि यही तंत्र भ्रष्टाचार और जालसाजी का माध्यम बनजाए, तो सरकार को तत्काल जवाबदेही तय करनी चाहिए। देशवासियों का भरोसा टूट रहा है, और इसे दोबारा कायम करने के लिए कठोर कदमउठाने होंगे।