
आज पहलगाम आतंकी हमले को 85 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक न किसी आतंकी की गिरफ्तारी हुई है और न ही किसी की शिनाख्त। यहचौंकाने वाला तथ्य देश की सुरक्षा एजेंसियों की विफलता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
चीन भी था ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के साथ
भारतीय सेना के उपसेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने हाल ही में स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने सिर्फ पाकिस्तान सेनहीं, बल्कि एक साथ तीन मोर्चों पर लड़ाई लड़ी जिसमें चीन भी प्रत्यक्ष रूप से शामिल था। उन्होंने कहा कि चीन ने पाकिस्तान को रियल-टाइमइंटेलिजेंस, यानी “लाइव इनपुट्स” दिए। यह वही चेतावनी थी जिसे कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने संसद में पहले ही दे दी थी, लेकिन सरकार ने उसेनजरअंदाज किया और आज पूरा देश इसकी कीमत चुका रहा है।
चीन को क्लीन चिट और मुस्कुराते जयशंकर
14 जुलाई 2025 को जब विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाक़ात कर रहे थे, तो उन्होंने कहा कि “भारत-चीन के रिश्तेप्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछले साल अक्टूबर में कजान में हुई बैठक के बाद सुधर रहे हैं।” यह बयान ऐसे समय में आया जबचीन हमारे खिलाफ खुलेआम पाकिस्तान की मदद कर रहा था। इससे पहले जयशंकर खुद सार्वजनिक मंच पर यह भी कह चुके हैं कि भारत चीन सेछोटा देश है, और हम उनसे लड़ नहीं सकते।
चीन की मदद से पाकिस्तान का आधुनिक युद्ध–तंत्र
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने चीनी हथियारों और तकनीक का खुलकर उपयोग किया। इसमें J-10C फाइटर जेट्स, PL-15E मिसाइलेंऔर तुर्की व चीन से आए ड्रोन भी शामिल थे। पाकिस्तान ने नेटवर्क-बेस्ड प्लेटफॉर्म के ज़रिए अपनी क्षमताओं को और बढ़ाया, जिसका सीधा समर्थनचीन से मिला।
चीन का आर्थिक और भू–राजनैतिक अतिक्रमण
चीन ने न केवल सैन्य मोर्चे पर पाकिस्तान का साथ दिया, बल्कि भारत पर आर्थिक दबाव भी बनाया। भारत के लिए जरूरी रेयर-अर्थ मिनरल्स, फर्टिलाइज़र और टनल बोरिंग मशीनों का निर्यात सीमित कर दिया गया है। वहीं, भारत-चीन व्यापार घाटा 99.2 बिलियन डॉलर के ऐतिहासिक स्तरपर पहुंच गया है।
LAC पर अब भी भारत की स्थिति कमजोर
चीन के कब्जे वाले इलाकों में आज भी भारतीय पेट्रोलिंग पार्टीज़ को अपने ही बिंदुओं तक पहुंचने के लिए चीन की सहमति की ज़रूरत है। गलवान, हॉट स्प्रिंग, पैंगोंग झील, देपसांग और चुमार जैसे क्षेत्रों में बनाए गए बफर ज़ोन भारत की ज़मीन पर बने हैं, जिससे भारतीय सेना अपनी ही ज़मीन परगश्त नहीं कर पा रही है।
गांव, नक्शा और रणनीतिक कब्जा
LAC पर चीन ने अब तक 50 नए गांव बसा लिए हैं जिनमें सड़क, बिजली, पानी और इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद हैं। इसके साथ हीचीन ने अरुणाचल प्रदेश की 30 जगहों के नाम बदल दिए हैं और भारत के नक्शे से छेड़छाड़ कर हमारे क्षेत्रीय अधिकार को चुनौती दी है।
प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री की चुप्पी और पूर्व संबंध
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून 2020 को दिए गए बयान में दावा किया था कि “ना कोई घुसा है, ना ही घुसा हुआ है,” जिससे चीन को अंतरराष्ट्रीयस्तर पर फायदा मिला। मोदी जी की चीन से करीबी भी किसी से छिपी नहीं है वे अब तक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 30 बार मिल चुके हैं औरमहाबलीपुरम से लेकर साबरमती तक झूले भी साझा कर चुके हैं। लेकिन अब जब चीन खुलकर हमारे दुश्मन के साथ खड़ा है, तो यह चुप्पी चौंकानेवाली है।
28 शहीदों के परिवार आज भी न्याय की प्रतीक्षा में
आज तक हमले के दोषी न तो पकड़े गए हैं, न ही उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई हुई है। शहीदों के परिवार सरकार से सवाल कर रहे हैं कि आखिरउन्हें कब इंसाफ मिलेगा? और हमलावर इतनी आसानी से भारतीय सीमा के 200 किलोमीटर भीतर कैसे दाखिल हुए और इतनी ही आसानी से गायबकैसे हो गए?
जासूसों के साथ भाजपा की नजदीकियां
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि जिन लोगों पर भारत के खिलाफ जासूसी के आरोप लगे हैं, वे भाजपा सरकार के आयोजनोंऔर कार्यक्रमों में आमंत्रित किए जा रहे थे। मई 2025 में हिसार पुलिस ने यात्रा व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने केआरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उसके भाजपा से संबंधों का खुलासा हुआ।
ज्योति मल्होत्रा का पाकिस्तान से गहरा संपर्क
ज्योति ने नवम्बर 2023 से मार्च 2025 के बीच पाकिस्तान के खुफिया अधिकारियों से नियमित संपर्क रखा। रिपोर्ट्स के अनुसार, उसका मुख्य हैंडलरपाकिस्तान हाई कमिशन में कार्यरत एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश था। यहां तक कि उसने पाकिस्तानी एजेंट शकिर का नाम “जाट रंधावा” के तौर परसेव किया हुआ था। कहा जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी वह दानिश से संपर्क में थी।
सरकार की भूमिका पर गंभीर प्रश्नअब सवाल यह है कि जब ऐसे संदिग्ध तत्व देश में खुलेआम घूम रहे थे और भाजपा के साथ उठ-बैठ रहे थे, तो हमारी खुफिया एजेंसियां औरसत्ताधारी दल क्या कर रहे थे? क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता नहीं है?