
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण ने एक बार फिर हिंदी को लेकर अपनी भावनाएं स्पष्ट की हैं। शुक्रवार कोहैदराबाद में आयोजित राजभाषा विभाग के “दक्षिण संवाद” स्वर्ण जयंती समारोह में बोलते हुए उन्होंने हिंदी भाषा की भूमिका को राष्ट्रीय एकता केलिए अहम बताया।
तेलुगु को बताया मां, हिंदी को मौसी
भाजपा के सहयोगी पवन कल्याण ने भावनात्मक अंदाज में कहा, “अगर तेलुगु हमारी मां है, तो हिंदी हमारी मौसी (पेद्दम्मा) के समान है।” उन्होंने अपनेभाषण में इस बात पर बल दिया कि हिंदी न केवल भारत की भाषाओं को जोड़ती है, बल्कि यह आर्थिक प्रगति, विशेषकर फिल्म और सांस्कृतिकक्षेत्रों में, सहयोग और संवाद का पुल भी बनती है।
क्षेत्रीय भाषाएं महत्वपूर्ण, हिंदी एक सूत्रधार
पवन कल्याण ने क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि इन भाषाओं की प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए। लेकिन उन्होंने साथ ही यहभी जोड़ा कि हिंदी का ज्ञान राष्ट्रीय स्तर पर संवाद और सहयोग को आसान बनाता है, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों को एक साझा पहचान मिलती है।
हिंदी सीखना कोई खतरा नहीं, बल्कि अवसर
उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि हिंदी भाषा सीखना किसी की स्थानीय या क्षेत्रीय पहचान को खतरे में डालने जैसा नहीं है। बल्कि यह नए अवसरों केद्वार खोलने और भारत के भीतर व्यापक संपर्क स्थापित करने में मदद करता है। उन्होंने कहा, “हिंदी भारत को जोड़ने वाली भाषा है,” और इसे एकता वप्रगति के सशक्त माध्यम के रूप में देखा जाना चाहिए।