इंडोनेशिया के फ्लोरेस द्वीप पर स्थित माउंट लेवोटोबी लाकी-लाकी ज्वालामुखी ने मंगलवार को जबरदस्त विस्फोट किया। इस घटना ने पूरे क्षेत्र मेंचिंता बढ़ा दी है। विस्फोट के बाद ज्वालामुखीय राख का घना बादल 10,000 मीटर (10 किलोमीटर) की ऊंचाई तक पहुंच गया, जिससे हवाईयातायात पर गंभीर असर पड़ा।
AI2145 फ्लाइट को सुरक्षा के लिहाज से लौटाया गया
एयर इंडिया की फ्लाइट AI2145, जो बुधवार सुबह दिल्ली से बाली के लिए रवाना हुई थी, ज्वालामुखी विस्फोट के चलते वापस दिल्ली बुला लीगई। यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह निर्णय लिया गया और फ्लाइट ने सुरक्षित रूप से इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंडकिया।
यात्रियों के लिए एयर इंडिया की सुविधाएं
एयर इंडिया ने पुष्टि की कि सभी यात्री सुरक्षित हैं और उन्हें हरसंभव सहायता प्रदान की जा रही है। एयरलाइन ने यात्रियों को दो विकल्प दिए हैं—पूरीटिकट राशि की वापसी या बिना अतिरिक्त शुल्क के यात्रा पुनर्निर्धारण। इसके अलावा यात्रियों के ठहरने के लिए होटल की व्यवस्था भी की गई है।
ज्वालामुखी का प्रभाव और चेतावनी स्तर
माउंट लेवोटोबी लाकी-लाकी एक सक्रिय ज्वालामुखी है जिसकी ऊंचाई 1,584 मीटर है। मंगलवार शाम को इसमें हुए विस्फोट के बाद, इंडोनेशियाई भूविज्ञान एजेंसी ने चेतावनी दी कि लावा नदियों में बह सकता है और भारी बारिश के चलते स्थिति और बिगड़ सकती है। नवंबर 2024 में भी इसी ज्वालामुखी के विस्फोट में नौ लोगों की जान गई थी।
बुधवार सुबह एक और विस्फोट हुआ जिसमें 1 किलोमीटर ऊंचाई तक राख का बादल उठा। इसके बाद इंडोनेशिया की ज्वालामुखी आपदा एजेंसी(PVMBG) ने रेड अलर्ट जारी किया और 6,000 मीटर से नीचे उड़ानों पर रोक लगा दी।
अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द, हवाई अड्डे बंद
बाली के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से बुधवार को दो दर्जन से अधिक उड़ानें रद्द कर दी गईं। इनमें एयर इंडिया, सिंगापुर एयरलाइंस, टाइगरएयर, जेटस्टार, वर्जिन ऑस्ट्रेलिया और जुनयाओ एयरलाइंस की उड़ानें शामिल हैं। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, भारत और सिंगापुर से बाली आने-जाने वाली उड़ानेंप्रभावित हुई हैं।
साथ ही, पूर्वी नुसा तेंगारा के मौमेरे में स्थित फ्रांसिस्कस ज़ेवियस सेडा हवाई अड्डा भी बुधवार से गुरुवार तक के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दियागया है। एयरपोर्ट संचालक ‘एयरनाव’ ने सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से यह जानकारी दी और कहा कि यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुएयह कदम उठाया गया है।