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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले के शमशेरगंज क्षेत्र में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामले मेंपुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। हिंसा के 60 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल कर दी गई है, जिसमें 13 लोगों को आरोपी बनाया गया है। चार्जशीट मेंभारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के साथ-साथ आर्म्स एक्ट की धाराएं 25/27 भी लगाई गई हैं।

अब तक 300 से अधिक गिरफ्तारियां
पुलिस के अनुसार, हिंसा से जुड़े मामलों में अब तक 60 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई हैं और 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुकाहै। पुलिस की यह त्वरित कार्रवाई राज्य की कानून-व्यवस्था को बहाल करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।

पिता-पुत्र की निर्मम हत्या
इस हिंसा के दौरान 74 वर्षीय हरगोबिंद दास और उनके 40 वर्षीय बेटे चंदन दास की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमलावरोंने बुजुर्ग दास को घर से खींचकर बाहर निकाला और कुल्हाड़ी से हमला किया। बेटे ने विरोध किया तो उसे भी उसी क्रूरता से मारा गया। हत्या के बादहमलावरों ने यह सुनिश्चित किया कि दोनों की मौत हो चुकी है, तभी वे वहां से हटे। इतना ही नहीं, कुछ इलाकों में पानी की आपूर्ति भी काट दी गई थीताकि जल रही आग को बुझाना संभव न हो।

हाईकोर्ट समिति ने उठाए गंभीर सवाल
कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट ने इस घटना की भयावहता को उजागर किया है। रिपोर्ट में इस हिंसा का मास्टरमाइंड स्थानीयतृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता और धुलियन नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन महबूब आलम को बताया गया है। समिति ने पुलिस की निष्क्रियता औरलोगों की कॉल पर कोई प्रतिक्रिया न देने की तीखी आलोचना की।

113 घर प्रभावित, जलाए गए मकान
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि बेतबोना गांव के 113 घर हिंसा की चपेट में आए, जिनमें से कई घर पूरी तरह जला दिए गए थे। यह घटना नकेवल स्थानीय प्रशासन की विफलता को उजागर करती है, बल्कि राज्य में कानून व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न भी लगाती है।
न्याय प्रक्रिया में तेजी की उम्मीद
इस भयावह घटना के बाद अब न्याय प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है ताकि सभी दोषियों को सख्त सजा मिल सके और पीड़ित परिवारों को न्याय मिलसके।

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