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कर्नाटक की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने विश्वस्त और लंबे समय से साथ निभा रहेराजनीतिक सलाहकार गोविंद राजू को अचानक पद से हटा दिया है। माना जा रहा है कि यह फैसला आरसीबी फेलिसिटेशन इवेंट को लेकर उपजेविवाद के बाद लिया गया, जिसमें मुख्यमंत्री की उपस्थिति को लेकर कई सवाल खड़े हुए। बताया जा रहा है कि इस आयोजन में गोविंद राजू कीप्रमुख भूमिका थी।

इवेंट की भूमिका में थे गोविंद राजू
सूत्रों के अनुसार, गोविंद राजू न केवल आयोजनकर्ताओं के साथ समन्वय कर रहे थे, बल्कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के साथ मिलकर स्टेकहोल्डर्ससे भी संपर्क बनाए हुए थे। बावजूद इसके, सरकार ने उन्हें अब किनारे कर दिया है और उनसे औपचारिक रूप से इस्तीफा ले लिया गया है।

पुलिस विभाग में भी बड़ा एक्शन
यह अकेला बड़ा फैसला नहीं था। इससे पहले राज्य सरकार ने बेंगलुरु के तत्कालीन पुलिस आयुक्त बी. दयानंद, एडिशनल कमिश्नर विकास कुमारसमेत छह से अधिक वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया। दयानंद की जगह सीमांत कुमार सिंह को नया पुलिस कमिश्नर नियुक्त कियागया है।

अफसरों की चुप्पी और उसका मतलब
हटाए गए वरिष्ठ अधिकारी न तो तब कुछ बोले थे और न अब कोई प्रतिक्रिया दी है। इस चुप्पी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। बेंगलुरु के पूर्व पुलिसआयुक्त और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी भास्कर राव का कहना है कि “कैडर अधिकारी संविधान की शपथ लेते हैं, उन्हें हर तरह के आदेश कापालन करना होता है, चाहे वह मौखिक हो या लिखित।”

अब मुख्यमंत्री के पास इन अधिकारियों का कैडर कंट्रोल है। हालांकि ये अधिकारी चाहें तो सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल (CAT) में अपील करसकते हैं। लेकिन यह पूरी तरह व्यक्तिगत निर्णय होगा, जिस पर आईपीएस एसोसिएशन हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

क्या आगे और भी अधिकारी निशाने पर हैं?
मुख्यमंत्री द्वारा अपने सबसे नजदीकी सलाहकार को हटाए जाने के बाद राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि यह किसी बड़े प्रशासनिकफेरबदल की शुरुआत है। कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी अब सरकार के रडार पर बताए जा रहे हैं।


आयोजनकर्ताओं पर कार्रवाई तेज
इसी बीच, डीएनए एंटरटेनमेंट और आरसीबी से जुड़े चार अधिकारियों को भगदड़ कांड के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। वहीं एक अन्यस्टेकहोल्डर, कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) के अधिकारियों की गिरफ्तारी पर फिलहाल हाईकोर्ट ने रोक लगाई है, बशर्ते वे जांच मेंसहयोग करें और राज्य से बाहर न जाएं।

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