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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर के चंद्रशेखर कृषि विश्वविद्यालय से ₹47,574 करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया।इसके साथ ही उन्होंने नयागंज स्टेशन से मेट्रो को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जिसकी पहली यात्रा में वंचित वर्ग के बच्चों को शामिल कियागया। कार्यक्रम में उन्होंने कई योजनाओं के लाभार्थियों को लाभ भी वितरित किया। अपने संबोधन की शुरुआत उन्होंने “भारत माता की जय” के उद्घोषके साथ की। इस दौरान उनकी नजर एक बच्ची पर पड़ी, जिसके हाथ में बनाई गई एक पेंटिंग देख उन्होंने उसे मंच पर मंगवाया और कहा कि वह उसेपत्र लिखेंगे।

प्रधानमंत्री ने बताया कि 24 अप्रैल को उनका कानपुर दौरा प्रस्तावित था, लेकिन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के कारण उसे स्थगित करना पड़ा।उन्होंने कानपुर के शुभम द्विवेदी की शहादत को याद करते हुए गहरी संवेदना प्रकट की और कहा कि उनकी बेटी एशान्या का दर्द और आक्रोश देश कीहर बेटी की भावना का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत की बेटियों का यही आक्रोश ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में दुनिया ने देखा, जब भारतीय सेना नेपाकिस्तान के भीतर घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है और भारत की आतंक के खिलाफ लड़ाई जारी है। उन्होंने चेतावनी भरे स्वर में कहा किदुश्मन चाहे कहीं भी छिपा हो, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब भारत न तो एटम बम की गीदड़ भभकियों से डरता है और नही डर के आधार पर फैसले लेता है। भारत की नीति स्पष्ट है—हर आतंकी हमले का जवाब सेना तय करेगी, भारत आतंकियों और उन्हें समर्थन देने वालेराष्ट्रों को एक ही दृष्टि से देखेगा।

जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री भावनात्मक रूप से भी जुड़े दिखाई दिए। उन्होंने एक बालक की ओर इशारा करते हुए उसकी मदद के लिए सुरक्षाकर्मियोंको निर्देश दिया और कानपुर के जोश को सलाम किया। कानपुर आगमन पर प्रधानमंत्री ने सबसे पहले पहलगाम हमले में शहीद शुभम द्विवेदी केपरिवार से मुलाकात की। जैसे ही पीएम उनके पास पहुंचे, शुभम की पत्नी ऐशान्या फूट-फूटकर रोने लगीं और उनके पिता की आंखें भी नम थीं।प्रधानमंत्री ने शुभम के पिता के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें ढांढस बंधाया और आश्वस्त किया कि पूरा देश उनके साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि वह खुदइस घटना से बेहद आहत हैं और आतंक के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

करीब 10 मिनट तक प्रधानमंत्री ने परिवार के साथ समय बिताया और उनकी बातों को ध्यान से सुना। शुभम की पत्नी ऐशान्या ने कहा कि प्रधानमंत्रीमोदी की आंखों में दुख साफ नजर आ रहा था और उन्होंने संवेदनाओं के साथ भरोसा दिलाया कि देश इस संघर्ष में उनके साथ खड़ा है। यह मुलाकातन सिर्फ एक संवेदनशील नेता की भावना को दर्शाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आतंक के विरुद्ध भारत की लड़ाई केवल सैन्य नहीं, बल्किमानवीय भी है।

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