देश की शीर्ष अदालत ने POCSO एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए एक युवक को उसकी सजा से राहत दी है। यह फैसला तब आया जब यह पायागया कि पीड़िता, जो अब वयस्क है, दोषी से विवाह कर चुकी है और उनके एक संतान भी है।
‘यह मामला आंखें खोलने वाला है’ – सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए फैसलासुनाया कि दोषी को अब किसी सजा का सामना नहीं करना पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि यह मामला हमारी विधिक प्रणाली की कमियों को उजागर करताहै और पीड़िता को समाज, कानून और अपने परिवार की विफलताओं का सामना करना पड़ा।
कोर्ट की टिप्पणी: ‘समाज, कानून और परिवार – तीनों ने विफल किया’
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता को उस अपराध का परिणाम भुगतना पड़ा, जिसे वह स्वयं अपराध नहीं मानती थी। कोर्ट के अनुसार, पीड़िता को सूचित विकल्प नहीं मिल पाया क्योंकि परिवार और समाज ने उसे छोड़ दिया। अब वह अपने पति और बच्चे के साथ भावनात्मक रूप सेजुड़ चुकी है और एक छोटे परिवार के रूप में जीवन व्यतीत कर रही है।
विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट बनी फैसले का आधार
सुप्रीम कोर्ट ने पहले पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया था कि वह मनोवैज्ञानिक, समाजशास्त्री और बाल कल्याण अधिकारी की एक समितिगठित करे, जो पीड़िता के मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं का अध्ययन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करे। यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे मेंन्यायालय को सौंपी गई, जिसके आधार पर यह निर्णय लिया गया।
कानूनी दृष्टिकोण: दोषसिद्धि कायम, लेकिन सजा से छूट
20 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए आरोपी की दोषसिद्धि को POCSO की धारा 6 और IPC की धारा376(3) और 376(2)(n) के अंतर्गत बहाल कर दिया, लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए सजा नहीं देने का फैसला लिया।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोटिस, राज्यों को दिशानिर्देश
कोर्ट ने अपने निर्णय में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को भी निर्देशित किया है कि वह अमिकस क्यूरी द्वारा प्रस्तुत सुझावों पर विचार करे। साथही, सभी राज्यों को POCSO एक्ट और JJ एक्ट की धाराओं के सख्त अनुपालन के लिए निर्देश भेजे गए हैं।
पीड़िता के पुनर्वास हेतु निर्देश
24 अक्टूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि पीड़िता के बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए। 3 अप्रैल 2025 को कोर्ट ने कहा किपीड़िता को व्यावसायिक प्रशिक्षण या अंशकालिक रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं ताकि वह आत्मनिर्भर बन सके।