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सरकार ने जारी की एडवायजरी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मीडिया संस्थानों के लिए एक सख्तएडवायजरी जारी की है। इस एडवायजरी में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि किसी भी सैन्य या सुरक्षा बलों के ऑपरेशन का लाइव टेलीकास्ट न कियाजाए। सरकार का कहना है कि इस तरह की रिपोर्टिंग से सुरक्षा बलों के अभियान प्रभावित हो सकते हैं और आतंकवादियों को जरूरी सूचनाएं मिलसकती हैं, जिससे उनके खिलाफ चल रही कार्रवाई को खतरा हो सकता है।

पहलगाम हमला: घटना का विवरण
कुछ दिन पहले पहलगाम क्षेत्र में आतंकवादियों ने एक बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम दिया था, जिसमें सुरक्षाबलों और स्थानीय नागरिकों कोनिशाना बनाया गया। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी घायल हुए, जबकि कुछ नागरिकों की जान भी चली गई। हमले के बाद पूरे इलाके में हाई अलर्टघोषित कर दिया गया है और बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।

प्रशासन का कहना है कि इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकी एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिनकी तलाश के लिए विशेष ऑपरेशन शुरू कियागया है। ऐसे माहौल में मीडिया कवरेज की संवेदनशीलता और भी बढ़ जाती है।

मीडिया से अपेक्षित सावधानियां
एडवायजरी में मीडिया संस्थानों से आग्रह किया गया है कि वे

सुरक्षा बलों की मूवमेंट,ऑपरेशन की लाइव तस्वीरें,या रियल-टाइम अपडेट्स का प्रसारण न करें।
सरकार ने यह भी कहा है कि मीडिया को केवल अधिकृत सरकारी बयानों या प्रेस रिलीज़ के आधार पर ही जानकारी साझा करनी चाहिए।

प्रशासन ने चेताया है कि अगर किसी मीडिया संस्थान ने एडवायजरी का उल्लंघन किया, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है, जिसमेंप्रसारण पर रोक से लेकर कानूनी कार्रवाई तक शामिल हो सकती है।

ऑपरेशनल सिक्योरिटी क्यों जरूरी?
विशेषज्ञों के अनुसार, जब सुरक्षा बल आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाते हैं, तो उनकी रणनीति, मूवमेंट और तैनाती की जानकारी का लीकहोना बेहद खतरनाक हो सकता है। आतंकवादी अक्सर लाइव प्रसारण के जरिए सुरक्षा बलों की स्थिति का अंदाजा लगा लेते हैं, जिससे वे हमले कोअंजाम देने या भागने में सफल हो सकते हैं।
पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने पाया कि कुछ चैनलों द्वारा दिखाई गईं लाइव तस्वीरें संभावित रूप से आतंकियों तक महत्वपूर्ण सूचनाएंपहुंचा सकती थीं। इसी कारण से यह एडवायजरी तत्काल प्रभाव से लागू की गई है।

पहले भी दी जा चुकी हैं ऐसी हिदायतें
यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने इस तरह की एडवायजरी जारी की है। इससे पहले भी, उरी हमला (2016) और पुलवामा हमले (2019) केबाद ऐसी ही हिदायतें दी गई थीं, जिसमें मीडिया से संयम बरतने को कहा गया था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यही मान्यता है कि आतंक से जुड़ीघटनाओं में मीडिया की रिपोर्टिंग बेहद जिम्मेदारी से होनी चाहिए ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित न हो।

पत्रकार संगठनों की प्रतिक्रिया
मीडिया संगठनों ने सरकार की एडवायजरी का स्वागत करते हुए कहा है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हैं। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया औरएडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी बयान जारी कर कहा कि वे रिपोर्टिंग के दौरान सभी निर्देशों का पालन करेंगे। हालांकि कुछ स्वतंत्र पत्रकारों ने यह भीकहा है कि पारदर्शिता बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है और सरकार को समय-समय पर प्रेस को ब्रीफिंग देनी चाहिए।

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