भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व अध्यक्ष और प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार सुबह निधन हो गया।84 वर्षीय कस्तूरीरंगन ने बेंगलुरु स्थित अपने आवास पर सुबह लगभग 10 बजे अंतिम सांस ली। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, वे बीते कुछ महीनों सेउम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। उनके परिवार में दो पुत्र हैं।
रविवार को अंतिम संस्कार, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट में अंतिम दर्शन
कस्तूरीरंगन के पार्थिव शरीर को 27 अप्रैल (रविवार) को बेंगलुरु स्थित रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। इसकेपश्चात उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अधिकारियों ने जानकारी दी कि आम लोगों और वैज्ञानिक समुदाय को श्रद्धांजलि देने के लिए रिसर्चसंस्थान में विशेष व्यवस्था की जाएगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के शिल्पकार
के. कस्तूरीरंगन सिर्फ अंतरिक्ष विज्ञान ही नहीं, बल्कि शिक्षा नीति में भी देश को दिशा देने वाले एक प्रभावशाली व्यक्तित्व रहे। वे नई राष्ट्रीय शिक्षानीति (NEP) के मसौदे की अध्यक्षता करने वाली समिति के प्रमुख थे। इस नीति में भारत के शिक्षा ढांचे में व्यापक सुधार और नवाचार की नींव रखीगई थी। उन्हें शिक्षा सुधारों के वास्तुकार के रूप में व्यापक पहचान मिली।
राज्यसभा और योजना आयोग में दी सेवाएं
विज्ञान और शिक्षा के साथ-साथ डॉ. कस्तूरीरंगन ने संसदीय और प्रशासनिक दायित्वों का भी सफलतापूर्वक निर्वहन किया। वे 2003 से 2009 तकराज्यसभा के सदस्य रहे और इस दौरान योजना आयोग में भी योगदान दिया। उनका कार्यकाल विचारशील नेतृत्व और विकासपरक दृष्टिकोण के लिएजाना गया।
शोध संस्थानों से गहरा नाता
कस्तूरीरंगन का अनुसंधान संस्थानों से भी गहरा संबंध रहा। वे 2004 से 2009 तक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (NIAS), बेंगलुरु केनिदेशक के रूप में कार्यरत रहे। साथ ही, उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कुलाधिपति और कर्नाटक नॉलेज कमीशन के अध्यक्ष केरूप में भी उल्लेखनीय कार्य किया।
अंतरिक्ष विज्ञान में अग्रणी भूमिका
इसरो में अपने कार्यकाल के दौरान, डॉ. कस्तूरीरंगन ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से स्थापित किया। उन्होंने 1994 से2003 तक इसरो के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में कई महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों की योजना बनी और क्रियान्वयन हुआ।
सम्मान और पुरस्कार: पद्म विभूषण से सम्मानित
कस्तूरीरंगन को उनके अद्वितीय योगदान के लिए 2000 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए दिया गया।
व्यक्तिगत जीवन और आरंभिक पृष्ठभूमि
डॉ. कस्तूरीरंगन का जन्म 24 अक्टूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम में हुआ था। उनके पिता सी. एम. कृष्णास्वामी अय्यर और मां विशालाक्षी थीं।तमिलनाडु से संबंध रखने वाला उनका परिवार त्रिशूर जिले के चालाकुडी में आकर बसा था। उनकी मां का संबंध पलक्कड़ अय्यर समुदाय से था।
एक युग का अंत
के. कस्तूरीरंगन के निधन से भारत ने एक ऐसा वैज्ञानिक, शिक्षाविद और नीति निर्माता खो दिया है, जिसने विज्ञान, शिक्षा और नीति निर्माण के क्षेत्र मेंअपनी गहरी छाप छोड़ी। उनके विचार, योजनाएं और दृष्टिकोण आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शन प्रदान करते रहेंगे।