
500 वर्षों से एक तरह का विरह झेल रही अयोध्यानगरी का राम मंदिर आज तब संपूर्ण हो गया, जब भव्य और दिव्य मंदिर के शिखर पर आस्था कीध्वजा लहराई। वही ध्वज, जो केवल वस्त्र नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का साक्षात प्रतीक है। यह ध्वज आस्था के धागों से तैयार हुआ। इस क्षण कासाक्षी बनने के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। साथ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुखमोहन भागवत भी मौजूद थे। आइए जानते हैं कि मंगलवार को आखिर अयोध्या में हुआ क्या…
अयोध्या में राम मंदिर को लेकर लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया था। इसके बाद 5 अगस्त2020 को अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ। कोरोना काल में हजारों श्रमिकों की अथक मेहनत के बाद राम मंदिर का पारंपरिकनागर शैली में निर्माण पूरा हुआ। इसकी लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फिट है। यह कुल 392 खंभों और 44 दरवाजों सेयुक्त है।
चार महीने तक अध्ययन किया गया
दरअसल, 22 जनवरी 2024 को भगवान श्रीराम बालक राम के रूप में स्थापित किए गए थे। 5 जून 2025 को दूसरी प्राण प्रतिष्ठा में भगवान रामराजा के रूप में स्थापित किए गए। इसके बाद अंतिम कार्य ध्वज ध्वजा स्थापित करने का था। सनातन परंपरा में शिखर पर लहराते ध्वज को मंदिर कारक्षक, ऊर्जा का वाहक और पूर्णता तथा ईश्वर की उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है। ध्वजा से ही मंदिर को पूर्णता प्राप्त होती है। ध्वजा आरोहण केलिए 25 नवंबर 2025 को सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:30 बजे के बीच का मुहूर्त निकाला गया। मंगल-स्वस्ति गान के बीच ध्वजा आरोहणहुआ। 32 मिनट का यह शुभ योग भगवान श्रीराम के जन्म नक्षत्र अभिजीत मुहूर्त से मेल खाता है। दिन भी मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी काचुना गया, जिसे विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का दिव्य विवाह हुआ था। यह 22 गुणा 11 फीटकी है। रंग चमकदार केसरिया है। इसे पैराशूट ग्रेड के तीन परत वाले कपड़े से बनाया गया है और आस्था के रेशमी धागों में पिरोया गया है। यहअहमदाबाद में बनकर तैयार हुआ। इसे 161 फीट ऊंचे शिखर पर 42 फीट ऊंचे एक दंड के माध्यम से स्थापित किया गया है। दंड पर 21 किलोसोना मढ़ा गया है। ध्वजा चार किमी दूर से भी दिखाई देगी। धर्म ध्वजा भयानक तूफान में भी सुरक्षित रहेगी। ध्वजा दंड पर बॉल बियरिंग लगे हैं।इससे ध्वजा हवा बदलने पर बिना उलझे पलट जाएगी। ध्वजा पर प्रभु श्रीराम के सूर्यवंश का चिह्न और ओंकार बना हुआ है। साथ ही कोविदार वृक्षका भी चिह्न है। इन चिह्नों के लिए चार महीने तक अध्ययन किया गया था। इन चिह्नों को ध्वज पर हाथ से बुना गया है।
अयोध्या में अब न्यायाधीश के रूप में भगवान विराजमान हो चुके
अयोध्या का राज ध्वज और उस पर अंकित कोविदार वृक्ष सनातन संस्कृति की अमूल्य निधि रही है। इसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण के अयोध्याकांड में है। इसके अनुसार चित्रकूट में वनवास के दौरान भगवान राम ने लक्ष्मण को अश्व और रथों से आती सेना के बारे में पता लगाने को कहा था। इसेदेखकर लक्ष्मण ने कहा था कि निश्चय ही भरत स्वयं सेना लेकर आया है। कोविदार युक्त विशाल ध्वज उसी के रथ पर फहरा रहा है। इसी प्रसंग सेजाहिर है कि कोविदार वृक्ष युक्त ध्वज अयोध्या की पहचान और प्राचीन धरोहर रही है। हरिवंश पुराण में उल्लेख है कि महर्षि कश्यप ने पारिजात केपौधे में मंदार के गुण मिलाकर इसे तैयार किया था। इस बारे में अयोध्या के महंत विवेक आचारी दिलचस्प वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि इसकी धर्मध्वजा की लंबाई-चौड़ाई यूं ही नहीं तय हुई है। अंक ज्योतिष की गणना में इसके मायने समझ में आते हैं। ध्वज का आकार 22 गुणा 11 फीट है। इसेगुणा करने पर 242 का अंक आता है, जिसका गुणांक आठ है। आठ को न्याय के देवता शनि का अंक माना जाता है। यह कहा जा सकता है कि राममंदिर के शिखर यानी अयोध्या में अब न्यायाधीश के रूप में भगवान विराजमान हो चुके हैं। जो मर्यादा में रहेगा, सुखी रहेगा। जो मर्यादा विहीनआचरण करेगा, उसका रावण जैसा हश्र होगा।