तहव्वुर हुसैन राणा, 26/11 मुंबई हमले का आरोपी और पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक, आखिरकार अमेरिका से प्रत्यर्पित होकर भारत लायागया। यह पहली बार है जब भारत को आतंकवाद के किसी मामले में अमेरिका से प्रत्यर्पण मिला है। राणा को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कीनिगरानी में विशेष विमान से दिल्ली लाया गया, जहाँ उसे उतरते ही गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार कर लियागया। इसके बाद उसे पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ एनआईए ने 26 दिन की रिमांड की मांग की।
64 वर्षीय राणा पाकिस्तानी सेना का पूर्व डॉक्टर है और अमेरिका में इमिग्रेशन सेवाओं की आड़ में आतंकी नेटवर्क को समर्थन देता रहा है। वह लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (HUJI) जैसे संगठनों से भी जुड़ा रहा है। राणा ने डेविड हेडली को भारत में रेकी करने और हमले कीतैयारी के लिए सहयोग दिया था, जिसमें फंडिंग, दस्तावेज़ और अन्य सुविधाएं शामिल थीं। हमले से कुछ दिन पहले नवंबर 2008 में वह खुद भीभारत आया था, जहाँ उसने “इमिग्रेंट लॉ सेंटर” के बहाने अपने नेटवर्क को सक्रिय रखा।
26/11 के मुंबई हमले में आतंकवादियों ने ताज होटल, ओबेरॉय होटल, लियोपोल्ड कैफे, CST स्टेशन और चबाड हाउस जैसे स्थानों को निशानाबनाया था, जिसमें 166 लोगों की जान गई थी। इनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे। राणा की भूमिका इस हमले में काफी अहम मानी जाती है, और एनआईए अब उससे पूछताछ कर लश्कर, आईएसआई और पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगी।
अमेरिका में 2009 में एफबीआई ने उसे गिरफ्तार किया था और 2011 में अमेरिकी अदालत ने उसे 14 साल की सजा सुनाई थी। भारत ने 2012 मेंउसके प्रत्यर्पण की मांग की, लेकिन कानूनी लड़ाई के चलते यह प्रक्रिया लंबी चली। अंततः जनवरी 2025 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उसकी अपीलखारिज की और 7 अप्रैल को अंतिम याचिका भी नामंज़ूर हुई। इसके बाद 10 अप्रैल को उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया।
अब एनआईए उससे पूछताछ कर विस्तृत चार्जशीट तैयार करेगी और उसका ट्रायल दिल्ली की विशेष अदालत में चलेगा। यदि राणा दोषी पाया गया, तो उसे उम्रकैद या मौत की सजा हो सकती है। अभियोजन पक्ष की अगुवाई वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन करेंगे, जिन्होंने अमेरिका में भी भारत का पक्षरखा था।