साउथ सुपरस्टार आखिरी फिल्म से करेंगे धमाका, बॉक्स ऑफिस पर बजेगा ‘विजय’ का डंका!

साउथ सुपरस्टार थलापति विजय की आखिरी फिल्म ‘जन नायकन’ पोंगल के मौके पर सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है। बॉबी देओल, पूजा हेगड़े, ममिता बैजू, प्रियमणि, गौतम वासुदेव मेनन, नारायण और प्रकाश राज जैसे बेहतरीन सितारों से सजी यह फिल्म अब 2026 में बॉक्स ऑफिस परतहलका मचाने को तैयार है। एक्टर की इस मूवी का लोगों को बेसब्री से इंतजार है जब से उन्होंने राजनीति के लिए फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ने का ऐलानकिया है। तमिल स्टार थलापति विजय ने अपनी पहली रैली में ही राजनीति के लिए फिल्मी दुनिया को छोड़ने की वजह बताई थी और खुलासा कियाथा कि वह अब सिर्फ जनता की सेवा करना चाहते हैं। थलापति विजय की ये मूवी होगी गेम चेंजर1984 की फिल्म ‘वेत्री’ से बतौर बाल कलाकार अपने फिल्मी करियर की शुरुआत करने वाले थलापति विजय का 42 साल बाद यह यादगार सफर’जन नायकन’ के साथ 2026 में खत्म हो जाएगा। लेकिन, एक्टर के फैंस के लिए एक खुशखबरी है कि वह अपनी आखिरी फिल्म से दुनिया भर मेंधमाका करने वाले हैं। ‘जन नायकन’ 9 जनवरी, 2026 को पोंगल के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज होगी। इस फिल्म को लेकर लोगों के बीच काफीमहीनों से जबरदस्त बज बना हुआ है। बॉक्स ऑफिस पर होगी एक्टर की विजयविजय अब बड़े पर्दे से गायब होकर राजनीति की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। एच. विनोथ द्वारा निर्देशित और केवीएन प्रोडक्शंस द्वारा समर्थित ‘जननायकन’ के साथ साउथ स्टार को उनके फैंस उन्हें आखिरी बार बड़े पर्दे पर देख पाएंगे। इसके पहले भी विजय की कई फिल्में पोंगल पर रिलीज हुईऔर बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। तमिल सिनेमा का इतिहास इसका सबूत है। अब एक्टर अपनी आखिरी फिल्म से फिर एक नया रिकॉर्डबनाने के लिए तैयार हैं। वह एक फिर से बॉक्स ऑफिस पर धुआंधार कमाई करने के लिए तैयार हैं। थलपति विजय की नई फिल्मतमिल फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने के बाद से विजय ने कई सुपरहिट फिल्में दी है, जिसकी लिस्ट काफी लंबी है। थलपति विजय को आखिरी बारवेंकट प्रभु की ‘द ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम’ में देखा गया था। वहीं अब वह जल्द ही ‘जन नायकन’ में नजर आने वाले हैं।
बिहार कांग्रेस की राहुल गांधी के साथ बैठक आज, राजद से रिश्ते पर भी होगा मंथन

बिहार विधान सभा चुनाव 2025 को लेकर मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे औरलोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी की उपस्थिति में होनेवाली इस बैठक में विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनेगी. साथ ही बिहार मेंमहागठबंधन में शामिल दलों से तालमेल के मुद्दे पर भी बैठक में चर्चा होगी. यह बैठक पहले 12 मार्च को होनी थी. इस बैठक में प्रदेश प्रभारी कृष्णाअल्लावारू, प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार सहित राज्य के सभी विधायक, विधान पार्षद, सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे. विचारधारा को युवा पीढ़ी तक है पहुंचानाहाल ही में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश कुमार को बनाया गया है. वहीं पार्टी प्रभारी कृष्णा अल्लावरू भी लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी इस साल दो बार बिहार के दौरे पर आ चुके हैं. वहीं कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार भी ‘नौकरी दो, पलायन रोको’ यात्रा पर निकले हुए हैं. बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने कहा कि हमें डटकर कांग्रेस के विचारधारा को युवा पीढ़ी तक पहुंचाना है औरआम जनता के मुद्दों को विस्तृत मंच उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. उन्होंने जनता से जुड़ाव के लिए उनकी भाषा में उनके दर्द को रखने की भीसलाह दी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि समाज के शोषित और पिछड़े वर्ग के लिए हमें मीडिया के माध्यम से आवाज बुलंद करनी होगीविचारधारा को मजबूती से मीडिया में रखने की आवश्यकतारविवार को ही प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में पार्टी के प्रवक्ताओं, मीडिया पैनलिस्ट और संभावित प्रवक्ताओं के प्रशिक्षण के लिए बिहारसंवाद प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया और पब्लिक सिटी विभाग के चेयरमैनपवन खेड़ा पहुंचे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा को मजबूती से मीडिया में रखने की आवश्यकता है. हमारी वैचारिक लड़ाई के लिए हमें नैतिकरूप से सुदृढ़ और व्यवस्थित ढंग से भाजपा के झूठ का पर्दाफाश करना है. प्रशिक्षण प्रभारी सचिन राव ने भाजपा की ओर से फैलाए गए झूठ औरगलत अवधारणाओं को लेकर भी विस्तार से चर्चा की.
“छत्रपति संभाजी का स्मारक हो स्थापित”, रामदास आठवले बोले- यहां के मुसलमान हिंदू थे

महाराष्ट्र में इन दिनों मुग़ल सम्राट औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग जोरों पर है। इस विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने रविवार को एकबयान में कहा कि औरंगजेब की कब्र हटाने से कोई समाधान नहीं निकलेगा। उन्होंने यह सुझाव दिया कि संभाजी नगर (पूर्व में औरंगाबाद) में छत्रपतिसंभाजी महाराज का एक भव्य स्मारक स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि उनकी महान विचारधारा को सम्मान मिल सके। आठवले का कहना था कियह कदम सिर्फ ऐतिहासिक महत्व नहीं रखेगा, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाएगा। रामदास आठवले, जो कि केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री हैं, ने देहरादून में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, “औरंगजेबकी कब्र हटाने से कोई परिणाम नहीं मिलेगा। हमें संभाजी नगर में छत्रपति संभाजी महाराज का स्मारक बनाना चाहिए, ताकि उनकी बहादुरी और उनकीविचारधारा को सम्मानित किया जा सके।” उन्होंने आगे बताया कि औरंगजेब की कब्र पुरातत्व विभाग के तहत आती है, और उसकी सुरक्षा भी उसीविभाग की जिम्मेदारी है। केंद्रीय मंत्री ने इस मुद्दे पर शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि किसी भी तरह की हिंसा से बचने की आवश्यकताहै। इसके साथ ही, रामदास आठवले ने मुसलमानों से विशेष अपील की कि वे औरंगजेब से अपना नाता न जोड़ें। उन्होंने कहा, “मुसलमानों से मेरा निवेदनहै कि वे औरंगजेब से कोई संबंध न जोड़ें। यहां के मुसलमान हिंदू थे और वे औरंगजेब की औलाद नहीं हैं। उनका और औरंगजेब के साथ कोई संबंधनहीं है।” यह बयान आठवले ने समाज में शांति बनाए रखने और धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा देने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए दिया। औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग: क्या है कारण?मुग़ल सम्राट औरंगजेब का शासनकाल, जो 1658 से 1707 तक रहा, भारतीय इतिहास में एक विवादास्पद अध्याय है। औरंगजेब की नीतियां औरउनके शासन के तरीके पर लगातार बहस होती रही है। उनकी विस्तारवादी नीतियां, धार्मिक असहिष्णुता और हिंदू मंदिरों को नष्ट करने की कथितघटनाओं को लेकर आलोचना की जाती रही है। इस विवाद ने और ज्यादा तूल तब पकड़ा, जब हाल ही में फिल्म ‘छावा’ रिलीज हुई, जिसमें औरंगजेबकी नीतियों और उनके शासनकाल की आलोचना की गई। इसके बाद महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर राजनीतिक विवाद और बढ़ गया। औरंगाबाद (अब संभाजी नगर) के पास स्थित खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र है, और यहां उसकी कब्र हटाने की मांग तेजी से उठने लगी है। इस मांगको लेकर महाराष्ट्र में हाल के महीनों में हिंसा भी भड़की है। नागपुर में तो पुलिस पर पथराव हुआ और दर्जनों गाड़ियां फूंक दी गईं। इस हिंसा में कईलोग घायल हुए, और 100 से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए। इस घटना ने औरंगजेब की कब्र को लेकर जारी विवाद को और भी जटिल बना दियाहै। राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोणरामदास आठवले के बयान ने इस पूरे विवाद को एक नया मोड़ दिया है। उन्होंने औरंगजेब की कब्र को हटाने के बजाय छत्रपति संभाजी महाराज कास्मारक स्थापित करने का सुझाव दिया है। उनका मानना है कि यह कदम न केवल छत्रपति संभाजी महाराज के योगदान को सम्मानित करेगा, बल्किसमाज में शांति और सामंजस्य भी स्थापित करेगा। साथ ही, यह ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि छत्रपति संभाजी महाराज नेऔरंगजेब के खिलाफ संघर्ष किया था और उनके नेतृत्व में मराठा साम्राज्य ने काफी सफलता प्राप्त की थी। आठवले का यह बयान धार्मिक और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की दिशा में भी महत्वपूर्ण है। उनका यह कहना कि मुसलमानों को औरंगजेब सेअपना नाता न जोड़ने की जरूरत है, यह संदेश दे रहा है कि किसी भी समुदाय को अपने इतिहास से उपजी नफरत और द्वेष को पीछे छोड़कर एकताऔर भाईचारे की ओर बढ़ना चाहिए। यह अपील विशेष रूप से उन मुस्लिम समुदायों के लिए है जो औरंगजेब को अपने इतिहास से जोड़ते हैं, जबकिरामदास आठवले के अनुसार, भारतीय मुसलमानों का औरंगजेब से कोई सीधा संबंध नहीं है।
बीजेपी नेता रूबी फोगाट यादव का नशा मुक्ति जागरूकता अभियान: स्वस्थ समाज की ओर एक कदम

आज दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में एक अहम पहल का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य नशे के दुष्प्रभावों से लोगों को जागरूक करना औरएक स्वस्थ जीवन शैली की ओर प्रेरित करना था। इस पहल का आयोजन ब्रह्माकुमारीज़ संस्था द्वारा किया गया था, और इसमें प्रमुख बीजेपी नेतारूबी फोगाट यादव ने हिस्सा लिया। उन्होंने नशा मुक्ति जागरूकता मार्च को हरी झंडी दिखाकर शुरू किया और लोगों को इस मुद्दे के प्रति जागरूककिया। रूबी फोगाट यादव ने मार्च के दौरान उपस्थित लोगों से बात करते हुए कहा, “नशा छोड़ो, जीवन संवारो!” उनका यह संदेश साफ था कि नशे से नकेवल स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, बल्कि यह समाज को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। उनका मानना था कि नशे से बचकर ही हम एकस्वस्थ और समृद्ध समाज की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। इस जागरूकता अभियान का मुख्य उद्देश्य लोगों में नशे के खतरों के बारे में जानकारी देना और उन्हें नशे से बचने के उपायों के प्रति जागरूक करनाथा। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था का यह कदम बहुत सराहनीय है, क्योंकि आजकल के समाज में नशे की समस्या लगातार बढ़ रही है, और इसके दुष्प्रभाव नकेवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और सामाजिक भी होते हैं। रूबी यादव ने आगे कहा कि नशे से न केवल युवा पीढ़ी प्रभावित हो रही है, बल्कि यह समस्या हर आयु वर्ग में बढ़ती जा रही है। उन्होंने समाज के सभीवर्गों से अपील की कि वे इस अभियान में भाग लेकर एक नशा मुक्त समाज की स्थापना में सहयोग दें। उनके अनुसार, नशे से मुक्ति पाने के लिएशिक्षा और जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण हैं, और यह जागरूकता समाज के हर व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए। यह कार्यक्रम न केवल दक्षिण दिल्ली के नागरिकों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है। यह जागरूकता अभियान एक सकारात्मकबदलाव की दिशा में एक कदम है, जो सभी को नशे से दूर रहने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगा। आखिरकार, नशा मुक्ति की दिशा में यह पहल न केवल व्यक्तिगत जीवन को संवारने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में एक सकारात्मकपरिवर्तन लाने में भी सहायक होगी।
मायावती ने उठाया बड़ा कदम, बसपा OBC को साथ जोड़ने के लिए भाईचारा कमेटी का ऐलान

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारी में अब लगभग दो साल का समय रह गया है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुखमायावती ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को अपनी पार्टी से जोड़ने के लिए नई रणनीति बनाई है। मंगलवार को बसपाने ओबीसी के साथ एक विशेष बैठक आयोजित की और इस दौरान मायावती ने भाईचारा कमेटी के गठन की घोषणा की। इस कदम से मायावती नेदलितों और ओबीसी को एक साथ लाकर यूपी में अपनी सियासी पकड़ मजबूत करने का इरादा व्यक्त किया है।2007 की भाईचारा कमेटी का पुनः गठनमायावती ने पहले भी 2007 में भाईचारा कमेटी का गठन किया था, जो बसपा के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम साबित हुआ था। हालांकि, 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा की हार और मायावती की सरकार के गिरने के बाद इस कमेटी का कार्यकाल समाप्त हो गया था। इसके बाद सेभाईचारा कमेटी का पुनर्निर्माण नहीं हुआ था, लेकिन अब मायावती ने इसे फिर से जीवित करने का फैसला किया है। अब, एक बार फिर दलितों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को एक साथ लाने के उद्देश्य से भाईचारा कमेटी का गठन किया जा रहा है। पार्टी के भीतरमुस्लिम और सवर्ण जातियों के बीच भी भाईचारे को बढ़ाने के लिए नई कमेटी बनाई जाएगी। इस तरह से बसपा अपनी रणनीति में विभिन्न जातियोंके बीच सशक्त संबंधों को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। बसपा का राजनीतिक संकल्प: सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करनाबसपा द्वारा जारी किए गए एक प्रेस विज्ञप्ति में यह साफ कहा गया है कि “बहुजन समाज के सभी अंगों को आपसी भाईचारे के आधार पर संगठितराजनीतिक शक्ति बनाकर वोटों की ताकत से सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने का संकल्प लिया गया है।” इस अभियान के तहत पार्टी गांव-गांव मेंलोगों को जागरूक करने का कार्य करेगी। खासकर उन लोगों को जो कांग्रेस, भाजपा और सपा जैसी पार्टियों के दलित और अन्य पिछड़े वर्ग विरोधीचेहरे को पहचानते हैं। बसपा ने यह भी स्पष्ट किया है कि पार्टी का उद्देश्य केवल सत्ता में आना नहीं है, बल्कि वह बहुजन समाज के हित में काम करने का संकल्प ले चुकी है।इसके लिए पार्टी ने हर जिले और गांव में प्रचार प्रसार अभियान चलाने का निर्णय लिया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस संदेश से जुड़ सकें। कांग्रेस, भाजपा और सपा पर हमलाबसपा ने कांग्रेस, भाजपा और सपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन पार्टियों ने हमेशा बहुजन समाज के हितों की अनदेखी की है। पार्टी नेकहा, “गांधीवादी कांग्रेस, आरएसएसवादी भाजपा और सपा ने बहुजन समाज खासकर अन्य पिछड़ा वर्ग के करोड़ों लोगों का कभी भी सहीप्रतिनिधित्व नहीं किया।” इसके साथ ही, पार्टी ने दावा किया कि इन पार्टियों के द्वारा किए गए विकास कार्यों ने कभी भी बहुजन समाज के वास्तविकहितों की रक्षा नहीं की। बसपा के मुताबिक, इन पार्टियों का नेतृत्व अपने परिवारों और वर्गों तक सीमित रहा है, और बहुजन समाज के लिए उनके पास कोई ठोस योजना नहींथी। मायावती के नेतृत्व में बसपा का उद्देश्य इन सभी दलों से अलग होकर बहुजन समाज के लोगों के लिए एक सशक्त आवाज उठाना है। 14 अप्रैल को डॉ. अंबेडकर जयंती पर विशेष कार्यक्रममायावती ने आगामी 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को परंपरागत रूप से पूरी मिशनरी भावना से मनाने का निर्देश भी दिया है। इसदिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिसमें बसपा के नेता और कार्यकर्ता डॉ. अंबेडकर की विचारधारा और उनके योगदान को सम्मानितकरेंगे। पार्टी इस दिन को एक अहम अवसर के रूप में देख रही है, ताकि बहुजन समाज के लोगों को एकजुट किया जा सके और उन्हें आगामी चुनावोंके लिए तैयार किया जा सके। बसपा की नई दिशा और आगामी चुनावों की तैयारीमायावती का यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बसपा की नई राजनीतिक दिशा को स्पष्ट करता है। पार्टी अब सिर्फ दलितों तक हीसीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि ओबीसी, मुस्लिम और सवर्ण जातियों को भी साथ लाकर एक मजबूत वोट बैंक बनाने की कोशिश कर रही है। इसतरह की रणनीति से बसपा का उद्देश्य आगामी चुनावों में सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करना है।
राज्यसभा में राघव चड्ढा का AI पर बयान: भारत को AI में आगे बढ़ने की आवश्यकता पर धनखड़ का उत्तर

नई दिल्ली, 25 मार्च: राज्यसभा में मंगलवार को आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढाने भारत के AI क्षेत्र में पिछड़ने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत को अपने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के साथ-साथ ‘मेक AI इन इंडिया’ पर भीध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि आने वाले समय में भारत इस क्षेत्र में सबसे आगे बढ़ सके। इस पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मुस्कुरातेहुए कहा, “विश्व गुरु तो भारत ही होगा,” जिससे इस मुद्दे पर हल्के-फुल्के तरीके से अपना विश्वास व्यक्त किया। भारत और AI: चड्ढा का चिंताजनक बयानराघव चड्ढा ने AI के विकास के संदर्भ में भारत के समक्ष मौजूद चुनौतियों पर बात की। उन्होंने कहा कि आज का दौर AI की क्रांति का है और दुनियाके प्रमुख देश इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, अमेरिका के पास ChatGPT, जेमिनी, एन्थ्रॉपिक ग्रॉक जैसे शक्तिशाली AI मॉडल हैं, वहीं चीन ने DeepSeek नामक AI मॉडल तैयार किया है जो सबसे ज्यादा क्षमता वाला और सबसे कम लागत वाला है। चड्ढा ने सवालउठाया, “भारत का अपना जनरेटिव AI मॉडल कहां है?” उनका कहना था कि दुनिया में जितने पेटेंट रजिस्टर्ड हुए हैं, उनका 60 प्रतिशत हिस्साअमेरिका और 20 प्रतिशत हिस्सा चीन ने हासिल किया, जबकि भारत ने मात्र 0.5 प्रतिशत ही हासिल किया है। भारत की AI दक्षता: तीसरी रैंक, लेकिन चुनौतीपूर्ण स्थितिचड्ढा ने यह भी बताया कि भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, लेकिन AI के क्षेत्र में भारत के लिए एक बड़ी चुनौतीहै। उन्होंने कहा, “भारत के पास ब्रेन पॉवर है, डिजिटल अर्थव्यवस्था है, और 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपभोक्ता हैं, फिर भी हम AI उत्पादक बननेके बजाय उपभोक्ता बनकर रह गए हैं।” इसके बावजूद, भारत का AI दक्षता में तीसरी रैंक पर होना सकारात्मक संकेत है। उन्होंने यह भी बताया किलगभग 15 फीसदी साढ़े चार लाख भारतीय AI के क्षेत्र में विदेशों में कार्य कर रहे हैं, जो इस बात को साबित करता है कि भारत के पास AI में बड़ीक्षमता है। ‘मेक AI इन इंडिया‘ की आवश्यकताAAP सांसद राघव चड्ढा ने भारत को AI के क्षेत्र में अपने दम पर आगे बढ़ने के लिए ‘मेक AI इन इंडिया’ के मंत्र को अपनाने की जरूरत पर जोरदिया। उनका मानना है कि AI के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम उठाने होंगे, ताकि आने वाले समय में भारत विश्व के सबसेप्रभावशाली AI उत्पादक देशों में शामिल हो सके। धनखड़ का जवाब: भारत को ‘विश्व गुरु’ बनने की ओरराघव चड्ढा के इस बयान पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मुस्कुराते हुए कहा, “विश्व गुरु तो भारत ही होगा,” और इस तरह से उन्होंने चड्ढाके बयान का हल्के-फुल्के अंदाज में उत्तर दिया। सभापति का यह जवाब इस बात का प्रतीक था कि भारत को AI के क्षेत्र में चाहे जितनी चुनौतियांहों, फिर भी भारत का भविष्य उज्जवल है और वह किसी भी क्षेत्र में नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। भारत का AI वर्कफोर्स: विशाल, लेकिन अव्यक्तचड्ढा ने अपनी बात जारी रखते हुए बताया कि दुनिया के कुल AI वर्कफोर्स का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा भारतीयों का है। फिर भी, भारत के पास AI के क्षेत्र में पर्याप्त शोध और विकास (R&D) का निवेश नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से यह क्षेत्र भारत के लिए एक उपभोक्ता बाजार बनकर रहगया है। उन्होंने कहा कि यदि भारत इस क्षेत्र में खुद को अग्रणी बनाना चाहता है, तो उसे AI के शोध और विकास में निवेश को बढ़ाने के साथ हीस्थानीय AI मॉडल तैयार करने पर ध्यान देना होगा। आगे की राह: भारत को आत्मनिर्भर AI बनाना होगाचड्ढा के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत के लिए AI क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह सिर्फ भारत की डिजिटलअर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का सवाल नहीं है, बल्कि यह देश की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी एक अहम भूमिका निभाएगा। AI के क्षेत्र में भारत कीसंभावनाएं बहुत बड़ी हैं, लेकिन इसके लिए उचित नीतियों, निवेश और शोध की आवश्यकता है।
दिल्ली भाजपा सरकार का 2025-26 बजट: चौमुखी विकास और बेहतर जीवन की ओर एक कदम और

नई दिल्ली, 25 मार्च: दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने दिल्ली की भाजपा सरकार के 2025-26 के बजट को लेकर बड़ी घोषणा की है।उनका कहना है कि यह बजट दिल्ली के चौमुखी विकास के साथ-साथ आम नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है। सचदेवा नेस्पष्ट किया कि इस बजट में दिल्ली के विकास को एक नई दिशा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिनमें से कुछ का प्रभाव आने वालेवर्षों में साफ तौर पर दिखाई देगा। बजट में 31.5% की वृद्धि: दिल्ली के विकास के लिए नई ऊर्जावीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री मती रेखा गुप्ता का पहला बजट दिल्ली के विकास के लिए एक बड़ी छलांग है। उन्होंने बताया किइस बजट में 31.5% की वृद्धि के साथ बजट की कुल राशि 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर चुकी है। इसके अलावा, सरकार ने अपने कैपिटल खर्चको 15089.25 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 28115.48 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया है। इस वृद्धि से दिल्ली के शहरी विकास के साथ-साथ रखरखावके कार्यों में भी तेजी आएगी, जिससे शहर की अवसंरचना में सुधार होगा। महिला समृद्धि और सुरक्षा योजनाएं: भाजपा के संकल्प पत्र की पूर्तिसचदेवा ने बताया कि इस बजट में महिला समृद्धि योजना और प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में डबल बीमे की व्यवस्था की गई है, जिससे महिलाओंको बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी। इसके साथ ही महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए 3.30 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। यह कदमदिल्ली की सुरक्षा को और भी मजबूत करेगा। इसके अलावा, डयूसिब (Delhi Urban Shelter Improvement Board) के बजट को तीन गुनाबढ़ाकर स्लम क्षेत्रों में सुधार के लिए बम्पर कदम उठाए गए हैं।होमगार्ड और सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की संख्या में वृद्धिदिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए सरकार ने होमगार्ड की संख्या को 10,285 से बढ़ाकर 25,000 करने का प्रस्ताव रखा है।इससे दिल्ली की सुरक्षा को और भी बेहतर बनाने के साथ-साथ सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को उनके द्वारा किए गए योगदान के लिए उचित आश्वासनभी मिलेगा। यह कदम दिल्ली में आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार के लिए योजनाबद्ध बजटसचदेवा ने यह भी कहा कि दिल्ली की सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी योजनाबद्ध बजट आवंटित किया है। दिल्ली के सरकारी स्कूलों औरअस्पतालों के इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने और उनकी गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। यह बजट दिल्लीवासियों कोबेहतर शैक्षिक और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। पर्यावरण सुधार की दिशा में ठोस कदमइस बजट में पर्यावरण सुधार के लिए भी विशेष ध्यान दिया गया है। यमुना सफाई, एस.टी.पी. (Sewage Treatment Plants) निर्माण औरपर्यावरण सुधार के लिए योजनाबद्ध बजट आवंटित किया गया है। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने चुनाव संकल्प के तहत पर्यावरणसंरक्षण के लिए कदम उठाए हैं। इस बजट के माध्यम से दिल्ली में स्वच्छता और हरियाली बढ़ाने के लिए कई परियोजनाओं को लागू किया जाएगा, जिससे दिल्ली का पर्यावरण और अधिक स्वस्थ बनेगा।समग्र विकास की दिशा में मील का पत्थरवीरेन्द्र सचदेवा ने इस बजट को भाजपा के संकल्प पत्र की पूर्ति करार दिया और कहा कि यह बजट दिल्ली के विकास को नई दिशा देगा। उन्होंने यहभी कहा कि यह बजट आम नागरिकों के लिए एक बेहतर जीवन देने के लिए तैयार किया गया है, और यह दिल्ली के हर क्षेत्र को समग्र रूप से विकासकी ओर ले जाएगा। इस बजट के माध्यम से दिल्ली सरकार ने यह साबित कर दिया है कि वह दिल्लीवासियों के हर जरूरत के प्रति संवेदनशील है और आने वाले समय मेंदिल्ली का हर क्षेत्र – चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा या पर्यावरण हो – मजबूत और बेहतर होगा।