भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की लड़ाई या भ्रष्टाचारियों के साथ मिलीभगत?

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार चेयरमैन पवन खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई पर हमला करते हुए कहा कि उनका दावा’भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई’ दरअसल भ्रष्टाचारियों के पक्ष में है। उन्होंने गोवा में भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार के उदाहरण पेश करते हुए आरोप लगायाकि गोवा में सार्वजनिक निधियों का दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने विशेष रूप से 304.24 करोड़ रुपये के घोटाले का उल्लेख किया, जिसमें निजीकंपनियों को बिना किसी प्रतिस्पर्धी बोली के 20 से अधिक परियोजनाओं का ठेका दिया गया। यह सब मोदी सरकार के ‘न खाऊँगा, न खाने दूँगा’ केखोखले वादे का एक और उदाहरण है। पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि भाजपा ने गोवा में ‘मिनी-अदानियों’ का एक गिरोह बनाया है, जो बिना किसी पारदर्शिता के सरकारी ठेकों को हासिलकरता है। इन ठेकों को बिना किसी खुले बोली के दिया जाता है, जिससे सरकारी नियमों की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि इन ठेकों कीजांच के लिए कोई केंद्रीय एजेंसी काम नहीं कर रही, क्योंकि ये ‘मिनी-अडानी’ भाजपा के सत्ता में बने रहने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करते हैं। गोवा में हुए कुछ भ्रष्टाचार के प्रमुख उदाहरणों को उजागर करते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत ₹47.18 करोड़ की परियोजनाबिना बोली के दी गई, जो नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा, लोक निर्माण विभाग ने ₹148.66 करोड़ की सड़क परियोजनाओं को बिना किसीबोली के नामांकन के आधार पर पूरा किया। इन परियोजनाओं को बाद में स्वीकृत किया गया, जो दिखाता है कि गोवा में कामकाजी प्रक्रियाओं कोबायपास किया गया है। पवन खेड़ा ने यह सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री मोदी, जो अपने प्रचार माध्यमों के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का दावा करते हैं, ने गोवा में होरहे इस बड़े भ्रष्टाचार को क्यों नजरअंदाज किया है। उन्होंने सवाल किया कि क्यों गोवा के लोग अपनी मेहनत की कमाई को लूटते हुए देख रहे हैं औरभाजपा के नेताओं ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा क्यों दिया है। उन्होंने यह भी पूछा कि गोवा में ये ‘मिनी-अडानी’ कौन हैं जिनके लिए नियमों को ताक पर रखाजा रहा है। आखिरकार, पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस भ्रष्टाचार को उजागर करती रहेगी और भाजपा को जवाबदेह ठहराने का काम करती रहेगी। उनकाकहना था कि मोदी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी प्रयास केवल दिखावा हैं और असल में यह भ्रष्टाचारियों के साथ मिलीभगत का मामला है। कांग्रेस नेयह मांग की कि गोवा में किए गए इस भ्रष्टाचार की जांच हो और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
दिल्ली में ‘आप’ का विरोध प्रदर्शन, भाजपा से 2500 रुपए का वादा पूरा करने की मांग

नई दिल्ली, 22 मार्च 2025: दिल्ली की लाखों महिलाओं को हर महीने 2500 रुपए दिलाने के भाजपा के वादे को पूरा करने के लिए आम आदमीपार्टी (आप) सड़क पर उतर आई है। शनिवार को “आप” के कई विधायकों और वरिष्ठ नेताओं ने दिल्ली के विभिन्न इलाकों में महिलाओं के साथ बड़ेपैमाने पर प्रदर्शन किया और भाजपा से 2500 रुपए देने का वादा पूरा करने की मांग की। इस दौरान महिलाओं को ‘बैंक ऑफ जुमला’ नाम से 2500 रुपए का चेक दिया गया, ताकि भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वादे की याद दिलाई जा सके। प्रदर्शन का उद्देश्य: भाजपा को शर्म दिलानामुख्य रूप से “आप” के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज, नेता प्रतिपक्ष आतिशी, दिल्ली की पूर्व महापौर डॉ. शैली ओबेरॉय, विधायक विशेषरवि, विधायक कुलदीप कुमार और अंजना पारचा ने गोविंदपुरी, कालकाजी, करोलबाग, कोंडली, तिलक नगर जैसे विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के साथप्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य भाजपा को उनका वादा याद दिलाना था, जो उन्होंने दिल्ली की महिलाओं से किया था कि उन्हें हर महीने2500 रुपए मिलेंगे। “आप” नेताओं का कहना था कि वे महिलाओं को यह चेक दे रहे हैं ताकि भाजपा को थोड़ी शर्म आए और वह अपना वादा पूराकरे। प्रधानमंत्री मोदी का वादा और भाजपा की विफलताप्रेसवार्ता में सौरभ भारद्वाज ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 8 मार्च को वादा किया था कि दिल्ली की प्रत्येक महिला के खाते में 2500 रुपए भेजेजाएंगे, लेकिन 8 मार्च आकर निकल भी गया, और दिल्ली की महिलाएं आज भी उस वादे का इंतजार कर रही हैं। उन्होंने कहा, “हम महिलाओं को’बैंक ऑफ जुमला’ के नाम से चेक दे रहे हैं ताकि भाजपा को अपना वादा याद आ सके। हमें लगता है कि अब भाजपा को थोड़ी शर्म आएगी और वहअपना वादा पूरा करेगी।”नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने कहा, “8 मार्च को महिलाओं के खाते में 2500 रुपए तो छोड़िए, अभी तक इस योजना का रजिस्ट्रेशन भी शुरू नहीं हुआ।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी जी का महिलाओं को 2500 रुपए देने का वादा महज एक जुमला था। आतिशी ने कहा, “यह साफ हो गया हैकि मोदी जी झूठ बोल रहे थे, वह असली बैंक से पैसे नहीं देने वाले हैं, बल्कि महिलाओं को ‘जुमले के बैंक’ से पैसे देने का दावा कर रहे हैं।” झूठी कमेटी और वादे का खोखलापनकरोलबाग में प्रदर्शन करते हुए दिल्ली की पूर्व महापौर डॉ. शैली ओबेरॉय ने कहा, “भाेचपा ने 2500 रुपए के नाम पर झूठी कमेटी बनाई, लेकिन अबतक महिलाओं के खाते में एक भी रुपया नहीं आया।” उन्होंने कहा कि भाजपा को अब नींद से जागना चाहिए और दिल्ली की महिलाओं से किया गयावादा पूरा करना चाहिए। ओबेरॉय ने यह भी कहा कि भाजपा ने महिलाओं के खाते में पैसे भेजने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक वह वादा अधूराहै। भजपा के वादे का विरोध और मांगविधायक विशेष रवि ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के नेताओं ने मंच से यह वादा किया था कि पहले कैबिनेट बैठक में ही महिलाओं को2500 रुपए देने की योजना पास होगी और 8 मार्च तक हर महिला के खाते में 2500 रुपए आ जाएंगे। विशेष रवि ने कहा, “हम सिर्फ भाजपा कोउनका वादा याद दिलाने के लिए यहां इकट्ठा हुए हैं। हम भाजपा से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द अपने वादे को पूरा करें, क्योंकि दिल्ली कीमहिलाएं इंतजार कर रही हैं कि उनके खाते में 2500 रुपए कब आएंगे।” ‘बैंक ऑफ जुमला’ चेक के साथ प्रदर्शनइस दौरान “आप” ने भाजपा को महिलाओं से किए गए वादे को याद दिलाने के लिए एक अनोखे अंदाज में विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी ने ‘बैंक ऑफजुमला’ नाम से एक बड़ा चेक प्रिंट करवाया था, जिस पर ‘बैंक ऑफ जुमला’ लिखा हुआ था और दोनों तरफ कमल का फूल था। चेक के नीचे पीएममोदी की तस्वीर भी लगी थी। इस चेक को लेकर बड़ी तादात में महिलाओं ने जमकर प्रदर्शन किया और “2500 रुपए कब मिलेंगे, मोदी जी 2500 रुपए कब दोगे, जुमलेबाजों की सरकार नहीं चलेगी-नहीं चलेगी” जैसे नारे लगाए। भाजपा से वादा पूरा करने की मांगआम आदमी पार्टी का यह विरोध प्रदर्शन भाजपा से उनके वादे को पूरा करने की स्पष्ट मांग है। पार्टी ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है किभाजपा को दिल्ली की महिलाओं से किया गया उनका वादा याद रहे और वे इसे जल्द से जल्द पूरा करें। “आप” का कहना है कि जब तक भाजपाअपना वादा पूरा नहीं करती, वह इसी तरह से भाजपा को जवाबदेह ठहराने के लिए आंदोलन जारी रखेगी।
बिहार दिवस पर वीरेन्द्र सचदेवा और दिलीप जायसवाल ने दी सभी बिहारवासियों को शुभकामनाएं

नई दिल्ली, 22 मार्च: बिहार दिवस के मौके पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा और बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जयसवाल ने एक संयुक्तप्रेसवार्ता आयोजित की और सभी बिहारवासियों को बिहार दिवस की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उन्होंने बिहार के गौरवशाली इतिहास औरप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राज्य के विकास के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख किया। साथ ही, बिहार के समाज और अर्थव्यवस्था में योगदान को भी सराहा।इस प्रेसवार्ता में राष्ट्रीय मीडिया सह-संयोजक संजय मयूख, बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष सिद्धार्थ शंभू, दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश प्रताप सिंह, दिल्लीपूर्वांचल मोर्चा अध्यक्ष संतोष ओझा, प्रदेश प्रवक्ता डॉ. अनिल गुप्ता, विधायक चंदन चौधरी समेत अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे। इसके अलावा, वीडियो के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार के विकास और उसके गौरवशाली इतिहास को भी दर्शाया गया। बिहार का गौरवशाली इतिहास और प्रधानमंत्री मोदी का योगदानवीरेन्द्र सचदेवा ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि बिहार का नाम ज्ञान, शांति, अध्यात्म और शौर्य से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, “बिहार की संस्कृति औरइतिहास ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है।” उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के लोग न केवल राज्य बल्कि देशभर में भी अपना योगदान दे रहे हैं, और यह योगदान हर उद्योग, व्यापार और स्टार्टअप में देखने को मिलता है। सचदेवा ने कहा कि बिहार के भाई-बहन कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तककी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। सचदेवा ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने बिहार के विकास के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने यह भीकहा कि एक गौरवशाली बिहार के निर्माण के लिए अब सरकार कदम उठा रही है और यह दिन दूर नहीं जब बिहार देश के शीर्ष 5 विकसित राज्यों मेंएक होगा। बिहार के विकास की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोणदिलीप जयसवाल ने भी बिहार के विकास को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि आज देशभर के 27 राज्यों में बिहार दिवस मनायाजा रहा है और बिहारवासियों ने राज्य और देश के विकास में योगदान दिया है। उन्होंने कहा, “हम दिल्ली में भी बिहार के लोगों को देख सकते हैं जोदिल्ली के विकास में लगातार सहयोग दे रहे हैं।”जयसवाल ने बिहार के अब तक के विकास कार्यों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बिहार लालटेन युग से अब बिजली युग में बदल चुका है।”आज बिहार में 24 घंटे बिजली मिलती है और अगर कभी बिजली जाती है, तो लोगों को इसकी जानकारी मिलती है।” साथ ही, उन्होंने यह भी कहाकि बिहार में अब तीन केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं और प्रधानमंत्री मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की घोषणा की है। बिहार के लिए प्रधानमंत्री मोदी का सपनाजयसवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सपने का उल्लेख करते हुए कहा कि मोदी सरकार देश को आगे बढ़ाने के लिए निरंतरकार्य कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा उन लोगों का विरोध करती है जो देश को बांटने का काम करते हैं, खासकर जो क्षेत्रवाद और भाषा केनाम पर समाज को विभाजित करते हैं। जयसवाल ने भाजपा के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा, “भाजपा का कार्य सिर्फ सीमा की रक्षा करना नहीं है, बल्कि यह देश की संस्कृति औरविरासत को बढ़ावा देना भी है।” उन्होंने इंडी गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा का काम देश को जोड़ने का है, जबकि कुछ लोग देशको बांटने की कोशिश कर रहे हैं। बिहार का भविष्यदिलीप जयसवाल ने बिहार के भविष्य के बारे में भी उम्मीद जताई। उन्होंने कहा, “आज हम इस बात से आश्वस्त हैं कि बिहार एक विकसित राज्य केरूप में उभरेगा।” उनका मानना है कि बिहार के लोग अपनी मेहनत और संस्कारों के बल पर राज्य को आगे ले जाने में सक्षम हैं। उन्होंने बिहारवासियोंके योगदान को देश के विकास में महत्वपूर्ण बताया और कहा कि हम सब मिलकर बिहार को एक सशक्त राज्य बनाने के लिए काम करेंगे।
जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर कथित ‘खजाना’ मिलने पर पारदर्शिता की मांग, मुकुल रोहतगी ने उठाए गंभीर सवाल

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर कथित ‘खजाना’ मिलने का मामला इन दिनों देशभर में तूल पकड़ चुका है। इस घटना को लेकर नेताओं से लेकरसीनियर वकीलों तक, हर किसी ने अपने-अपने बयान दिए हैं। हाल ही में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले की कड़ी जांच की मांग की थी, औरअब पूर्व अटॉर्नी जनरल एवं वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने भी इस मामले पर सवाल उठाए हैं।मुकुल रोहतगी ने जस्टिस वर्मा के घर में हुई घटना पर पारदर्शिता की सख्त आवश्यकता जताई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले की पूरी जानकारीदेने के लिए एक बुलेटिन जारी करने का आग्रह किया है। रोहतगी ने घटना की सूचना में देरी और घटना के विवरण की कमी पर चिंता व्यक्त की है।उनके अनुसार, बिना पारदर्शिता के कई सवाल अनसुलझे रहते हैं, जो लोगों के मन में संदेह पैदा कर रहे हैं। पारदर्शिता की कमी से उठे सवालमुकुल रोहतगी ने कहा, “पारदर्शिता की कमी के कारण लोग कई सवालों से जूझ रहे हैं। इन सवालों के उत्तर मिलने के बाद ही पूरी घटना की सच्चाईसामने आ सकती है।” उन्होंने घटनास्थल की जांच से जुड़े कुछ अहम सवाल उठाए, जिनका जवाब अब तक नहीं मिल सका है। रोहतगी ने सवालकिया कि जस्टिस वर्मा के घर पर आग लगने की सूचना किसने दी? दमकल विभाग कब घटनास्थल पर पहुंचा? विभाग के प्रमुख ने पहले क्यों कहाकि घर से कोई पैसा नहीं मिला था? कितने कमरों की जांच की गई? क्या पैसे घर के अंदर मिले थे या सर्वेंट क्वार्टर में? इन सवालों के जवाब मिलनेपर ही पूरी घटना की तस्वीर साफ हो सकती है। समय की अहमियत पर सवालसीनियर वकील ने घटना की समय-सीमा पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जब यह घटना 14 मार्च को हुई थी, तो फिर 20 मार्च को चीफजस्टिस (CJI) को इसकी जानकारी क्यों दी गई? अगर उन्हें पहले ही इस घटना की जानकारी थी, तो उन्होंने समय रहते प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी? रोहतगी के अनुसार, यह बेहद अहम है कि इस समय की देरी और इस देरी के कारणों की पूरी जांच की जाए। सच्चाई को जानने में हो रही है मुश्किलरोहतगी ने और भी कई सवाल उठाए हैं, जिनका उत्तर अब तक नहीं मिला है। उन्होंने पूछा कि जब मामला इतना गंभीर था तो तुरंत स्पष्टीकरण क्योंनहीं मांगा गया? क्यों दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया? इसके अलावा, रोहतगी ने यहभी सवाल उठाया कि क्या यह जांच केवल पैसे के मिलने के बाद शुरू की गई? अगर पैसा मिला तो वह किस रूप में था – क्या वह एक बैग में था, सूटकेस में था, या बिस्तर के नीचे छिपा हुआ था?रोहतगी का कहना है कि पारदर्शिता की कमी के कारण सच्चाई का पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि सच्चाई कोउजागर करने के लिए पूरी तरह से पारदर्शिता जरूरी है। फंसाने का मामला या कुछ और?रोहतगी ने जस्टिस वर्मा के बयान को भी बेहद महत्वपूर्ण बताया। उनका कहना था कि दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा की गई जांच में जस्टिसवर्मा का पक्ष भी शामिल होना चाहिए। रोहतगी ने यह सवाल उठाया कि क्या यह मामला किसी को फंसाने का था या फिर जस्टिस वर्मा ने पैसे कीबात स्वीकार की थी? यदि उन्होंने स्वीकार किया कि यह पैसा उनका था, तो उन्होंने इस पैसे के बारे में क्या स्पष्टीकरण दिया? इस बारे में भी जांच कीआवश्यकता है। पुलिस को जांच की अनुमति दी जाएरोहतगी ने आगे कहा कि अगर जस्टिस वर्मा ने यह स्वीकार किया कि पैसा उनका था, तो केवल उन्हें किसी दूसरी जगह पर भेजना पर्याप्त नहीं होगा।इसके बजाय, उन पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, जैसे कि उन्हें उनके न्यायिक कार्य से हटा दिया जाए। यदि मामला स्पष्ट हो जाता है, तो सुप्रीमकोर्ट को पुलिस को पूरी जांच करने की अनुमति देनी चाहिए। रोहतगी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट बिना फॉरेंसिक एक्सपर्ट की मदद के इतनी गंभीर जांच कैसे कर सकते हैं? यह कोई सामान्यजांच नहीं है, जिसमें केवल आरोपी से उसका पक्ष पूछा जाए। यह एक गंभीर मामला है, जिसमें अदालतों को गंभीरता से जांच करनी चाहिए।जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित रूप से मिले पैसों के मामले में हर तरफ से सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में पारदर्शिता की भारी कमी देखने कोमिल रही है, और यही वजह है कि लोग इस मामले की सच्चाई जानने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं। मुकुल रोहतगी और अन्य वरिष्ठ वकीलों द्वाराउठाए गए सवाल इस बात का संकेत हैं कि मामले में अभी बहुत कुछ साफ होना बाकी है।अब यह जरूरी हो गया है कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो, ताकि लोगों के मन में उठ रहे संदेहों का समाधान किया जा सके औरसच्चाई सामने आ सके। जस्टिस वर्मा के बयान, जांच प्रक्रिया और समय की देरी पर सवाल उठाए जा रहे हैं, और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिएकि इस मामले की सही तरीके से और पूरी पारदर्शिता के साथ जांच की जाए।
गोपाल राय-दुर्गेश पाठक को गुजरात का जिम्मा, 48 घंटे में बुलाई बड़ी बैठक, क्या करने जा रहे हैं केजरीवाल?

दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अब संगठन को मजबूत करने और पार्टी के विस्तार कीदिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। वह विपश्यना साधना के बाद गुजरात और पंजाब में पार्टी की स्थिति को और मजबूत करने के लिए रणनीतियाँ बना रहेहैं। केजरीवाल ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को पंजाब और गोपाल राय के साथ दुर्गेश पाठक को गुजरात की जिम्मेदारी सौंपकरभविष्य की राजनीतिक दिशा की ओर इशारा किया है। 2027 में पंजाब और गुजरात में विधानसभा चुनाव होंगे, और पार्टी का लक्ष्य इन चुनावों मेंअपनी स्थिति मजबूत करना है। पंजाब में 2027 के पहले तीन महीनों में विधानसभा चुनाव होंगे, जबकि गुजरात में चुनाव साल के अंत तक होंगे। खास बात यह है कि प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य गुजरात में आम आदमी पार्टी की उपस्थिति अच्छी खासी है। पार्टी के पास सूरत नगर निगम, सलायाऔर करजण नगर पालिका में विपक्ष की भूमिका है, साथ ही गुजरात विधानसभा में चार विधायक भी हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, केजरीवालने गुजरात में पार्टी को और मजबूत करने की दिशा में काम करना शुरू किया है। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने गुजरात में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। यह सक्रियता ऐसे समय में हो रही है जब कांग्रेस पार्टी अप्रैल में अपनेएआईसीसी अधिवेशन का आयोजन करने जा रही है। गौरतलब है कि यह अधिवेशन गुजरात में 64 साल बाद आयोजित हो रहा है, और कांग्रेस पार्टीइसे गुजरात में अपनी स्थिति को पुनः मजबूत करने के रूप में देख रही है। पार्टी के अंदर नए बदलावों की शुरुआत कांग्रेस के अधिवेशन के बाद होनेकी संभावना है। राहुल गांधी भी इस समय गुजरात में कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। उनका उद्देश्य 2027 में बीजेपी को गुजरातमें हराना है, और इसके लिए वे कांग्रेस पार्टी के संगठन में बड़े बदलाव करने की योजना बना रहे हैं। इस बीच, गुजरात में आम आदमी पार्टी के नेता सक्रिय रूप से पार्टी के संगठन को मजबूत करने की कोशिशों में लगे हुए हैं। केजरीवाल के करीबीराज्यसभा सांसद डॉ. संदीप पाठक ने एक दिन पहले घोषणा की थी कि गोपाल राय को गुजरात का नया प्रभारी और दुर्गेश पाठक को सह प्रभारीबनाया गया है। इसके बाद केजरीवाल रविवार को दिल्ली में गुजरात के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में गुजरात प्रदेश केअध्यक्ष इसुदान गढ़वी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया, संगठन मंत्री मनोज सोरठिया और विधानसभा में विधायक दल के नेता चैतर वसावा जैसेअन्य नेता शामिल होंगे। आम आदमी पार्टी का फोकस इस समय गुजरात में होने वाले पंचायत चुनावों पर भी है। गुजरात में इस साल पंचायत चुनाव होने वाले हैं, और इनमेंपहली बार 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू किया जाएगा। पार्टी ने पंचायत चुनावों को एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में देखा है, क्योंकि यहचुनाव पार्टी को गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का एक बड़ा मौका प्रदान करेगा। गुजरात में आम आदमी पार्टी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, पार्टी के नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि 2027 में पंजाब में सरकार बनाने के बाद, पार्टीको गुजरात में भी अपनी स्थिति मजबूत करनी चाहिए। एक पार्टी नेता ने बताया कि अरविंद केजरीवाल अब किसी विशेष दायित्व से बंधे नहीं हैं, औरइसलिए वह गुजरात पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। आप के लिए गुजरात एक अहम राज्य है, क्योंकि पार्टी को दिल्ली और पंजाब के बाद सबसे ज्यादा वोट यहां से मिले थे। गुजरात के लोगों के समर्थनके कारण ही आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हुआ। पार्टी का कहना है कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे गुजरात के लोगों के मुद्दोंको प्रमुखता से उठाएं और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरें। अंततः, गुजरात में आम आदमी पार्टी की रणनीति आगामी पंचायत चुनावों, 2027 के विधानसभा चुनावों और कांग्रेस और बीजेपी की आगामीगतिविधियों के मद्देनजर विकसित हो रही है। पार्टी की प्राथमिकता है कि वह गुजरात में अपनी राजनीतिक उपस्थिति को मजबूत करे और आने वालेचुनावों में एक प्रभावशाली भूमिका निभाए।
Tirupati Balaji Temple: तिरुपति मंदिर में सिर्फ हिंदू ही करेंगे काम, मुमताज होटल की मंजूरी रद्द, चंद्रबाबू नायडू का बड़ा ऐलान

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू(N Chandrababu Naidu) ने शुक्रवार को एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि तिरुपति केवेंकटेश्वर स्वामी मंदिर(Tirumala Venkateswara Temple) में सिर्फ हिंदू ही काम करेंगे। अगर कोई ईसाई या अन्य धर्म का व्यक्ति मंदिर मेंकाम कर रहा है, तो उसे सम्मानपूर्वक दूसरी जगह भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पूरे भारत के सभी राज्यों की राजधानियों में वेंकटेश्वरस्वामी के मंदिर बनाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान वेंकटेश्वर की संपत्ति को बचाने के लिए एक पवित्र धागा बांधा गया है। भक्तों की मांगहै कि विदेशों में भी मंदिर बनाए जाएं। मुख्यमंत्री ने सेवन हिल्स के पास चल रही व्यावसायिक गतिविधियों पर भी बात की। उन्होंने बताया कि सरकारने मुमताज होटल की मंजूरी रद्द कर दी है। मुमताज होटल की मंजूरी रद्दमुख्यमंत्री नायडू ने मंदिरों की पवित्रता बनाए रखने के लिए कई और महत्वपूर्ण घोषणाएं भी कीं। उन्होंने यह भी साफ किया कि अगर ईसाई औरमुस्लिम संस्थान नहीं चाहते कि हिंदू उनके संस्थानों में काम करें, तो सरकार उनकी भावनाओं का सम्मान करेगी। उन्होंने मुमताज होटल परियोजनाओं केलिए आवंटित 35 एकड़ जमीन को रद्द करने का भी ऐलान किया। उनका कहना है कि यह फैसला जगह की पवित्रता बनाए रखने के लिए लिया गयाहै। उन्होंने पिछली YSR कांग्रेस पार्टी की सरकार पर जमीन आवंटन को लेकर निशाना साधा। सभी राज्यों में बनेंगे वेंकटेश्वर स्वामी मंदिरहाल ही में कुछ हिंदू धार्मिक नेताओं ने TDP के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से होटलों और अन्य गतिविधियों के निर्माण को रोकने की मांग की थी।उनका कहना था कि इससे जगह की पवित्रता भंग हो सकती है। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि देश के सभी राज्यों की राजधानियों में वेंकटेश्वरस्वामी मंदिर बनाने का फैसला लिया गया है। CM नायडू ने कहा कि वह सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर मंदिरों के निर्माण में सहयोगमांगेंगे। पोते के जन्मदिन पर तिरुमाला पहुंचे चंद्रबाबूनायडू तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के बोर्ड सदस्यों और अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने अपने पोतेदेवांश के जन्मदिन के अवसर पर परिवार के सदस्यों के साथ मंदिर का दौरा किया था। चंद्रबाबू नायडू ने TTD बोर्ड के सदस्यों और कर्मचारियों सेमंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए और अधिक प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करें कि कोई भी अपवित्र गतिविधि नहो। मंदिर को लेकर क्या कहा?मुख्यमंत्री ने कहा कि सात पहाड़ियां वेंकटेश्वर स्वामी की हैं और इसकी पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने साफ किया कि जगह का व्यवसायीकरणनहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में उन्होंने तिरुमाला की पवित्रता बनाए रखने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि पिछलेसाल जून में सत्ता में आने के बाद उन्होंने तिरुमाला से सफाई अभियान शुरू किया। उन्होंने दुनिया भर में तिरुमाला मंदिर की संपत्तियों की रक्षा करने काभी संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि विदेशों में कई भक्त हैं जो वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर बनाना चाहते हैं।परिवार के सदस्यों के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना कीउन्होंने घोषणा की कि राज्य के गांवों में वेंकटेश्वर स्वामी मंदिरों के निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाएगा। इससे पहले नायडू ने अपने परिवार केसदस्यों के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। परिवार ने देवांश के नाम पर एक दिन के ‘अन्न प्रसादम'(भक्तों के लिए भोजन) का प्रायोजन किया। नायडूऔर उनके परिवार के सदस्यों ने व्यक्तिगत रूप से भक्तों को भोजन परोसा। उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व मुख्यमंत्री एनटी रामाराव ने ‘अन्ना दानम’ कार्यक्रम शुरू किया था। भक्तों के दान से इसका कोष बढ़कर 2,200 करोड़ रुपये हो गया है।
झांसी में एक दिल दहला देने वाली घटना: शराबी पति और बॉयफ्रेंड ने मिलकर की महिला की हत्या

झांसी के लक्ष्मी गेट क्षेत्र में एक महिला की हत्या की घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। यह घटना बीती रात की है, जब एक शराब पार्टीके दौरान महिला, उसके पति और उसके बॉयफ्रेंड के बीच विवाद बढ़ गया। इस विवाद के परिणामस्वरूप महिला की हत्या कर दी गई। यह मामला नकेवल एक घरेलू विवाद का परिणाम है, बल्कि यह समाज में बढ़ती शराब की लत और घरेलू हिंसा के गंभीर मुद्दों को भी उजागर करता है। महिला का नाम संगीता है, जो अपने पति रविंद्र और बॉयफ्रेंड रोहित के साथ अपने घर में शराब पी रही थी। इस दौरान किसी बात को लेकर तीनों केबीच कहासुनी हुई, जो जल्द ही हिंसक रूप ले गई। गुस्से में आकर, रविंद्र और रोहित ने संगीता का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। जब काफी देरतक कमरे का दरवाजा नहीं खुला, तो संगीता के बच्चों ने अपने किरायेदार को इस बारे में बताया, जिसने तुरंत पुलिस को सूचित किया। यह घटना नकेवल संगीता के बच्चों के लिए एक भयानक अनुभव है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक चेतावनी है। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा खोला और संगीता की लाश को बेडरूम में पाया। पति और बॉयफ्रेंड दोनों नशे की हालत में थे और कमरे मेंशराब की बोतलें भी पाई गईं। पुलिस ने दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि संगीता केगले और आंखों पर चोट के निशान थे, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह हत्या एक योजनाबद्ध तरीके से की गई थी। इस घटना ने न केवल संगीताके परिवार को बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले में संगीता के परिजनों ने पुलिस को तहरीर दी है, जिसके आधार पर मामला दर्ज किया जा रहा है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे मामलेकी गंभीरता से जांच कर रहे हैं और सभी आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह घटना घरेलू हिंसा और शराब के दुरुपयोग के गंभीर मुद्दों कोउजागर करती है, जो समाज में तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे मामलों में अक्सर पीड़ितों की आवाज दब जाती है, और यह घटना इस बात का प्रमाण है किहमें इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। झांसी की इस घटना ने यह सवाल उठाया है कि क्या हम अपने समाज में घरेलू हिंसा और शराब के दुरुपयोग के खिलाफ पर्याप्त कदम उठा रहे हैं? क्या हम उन महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर पा रहे हैं, जो अपने परिवारों के भीतर हिंसा का सामना कर रही हैं? यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूरकरती है कि हमें अपने समाज में बदलाव लाने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों औरमहिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए। इस घटना ने न केवल संगीता के परिवार को प्रभावित किया है, बल्कि यह समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। हमें इस दिशा में जागरूकता फैलानेऔर महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए एकजुट होना होगा। यह समय है कि हम सभी मिलकर एक ऐसा समाज बनाएं, जहां हर महिलाको सुरक्षा और सम्मान मिले।
अमिताभ बच्चन का बड़ा बयान: “मेरे बेटे होने से मेरे उत्तराधिकारी नहीं होंगे”

बॉलीवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन का स्टारडम 82 साल की उम्र में भी पहले जैसा ही शानदार बना हुआ है। 70 के दशक से लेकर आज तक, अमिताभ ने न केवल भारतीय सिनेमा में अपनी एक अहम जगह बनाई है, बल्कि उनका नाम भी सिनेमाई दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित नामों में शामिल है।उनके बेटे अभिषेक बच्चन ने भी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने की कोशिश की, लेकिन उनका स्टारडम अमिताभ बच्चन की छांव के नीचे थोड़ाफीका पड़ता है। इस बारे में बिग बी कई बार अपनी राय भी खुलकर रख चुके हैं। हाल ही में अमिताभ ने एक सोशल मीडिया पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने अपने बेटे अभिषेक बच्चन के बारे में एक बहुत ही चौंकाने वाली बात कही। अमिताभ ने अपने पोस्ट में लिखा, “मेरे बेटे, बेटे होने से मेरेउत्तराधिकारी नहीं होंगे, जो मेरे उत्तराधिकारी होंगे वो मेरे बेटे होंगे। पूज्य बाबूजी के शब्द और अभिषेक उसे निभा रहे हैं, एक नयी शुरुआत।” अमिताभ का यह बयान तब सामने आया जब अभिषेक बच्चन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने ‘यूरोपियन टी-20 प्रीमियरलीग’ के प्रमोशन के लिए अपनी भूमिका के बारे में जानकारी दी थी। इस टूर्नामेंट को प्रमोट करने के लिए अभिषेक बच्चन को चुना गया है और वहआयरलैंड की राजधानी डबलिन में भी पहुंचे थे। उनके डबलिन पहुंचने पर एक ग्रैंड वेलकम हुआ था, जिसका अभिषेक ने सोशल मीडिया पर जिक्रकिया था। इसके बाद अमिताभ बच्चन ने अपने बेटे के पोस्ट को री-शेयर करते हुए अपने पिता, कवि हरिवंश राय बच्चन की कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियांकोट की, जिसमें उन्होंने लिखा कि “मेरे बेटे मेरे उत्तराधिकारी नहीं होंगे और जो उत्तराधिकारी होंगे वे मेरे बेटे नहीं होंगे।” यह बात सोशल मीडिया परकाफी चर्चा का विषय बनी। अमिताभ बच्चन का यह पोस्ट न केवल उनके बेटे अभिषेक के प्रति उनके प्यार और सम्मान को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे अपनीलेगेसी को लेकर कितने गंभीर हैं। अमिताभ का यह बयान उनके पिताजी के विचारों का प्रतीक है, जो उन्होंने अपने जीवन में हमेशा निभाए। यह पोस्टदेखकर न केवल उनके फैन्स, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी हैरान रह गए थे। कई लोग इस पोस्ट को लेकर सोच में पड़ गए थे, लेकिन जब उन्होंनेहरिवंश राय बच्चन के शब्दों को पढ़ा, तो समझ में आया कि यह एक गहरी और प्रेरणादायक बात है। अमिताभ बच्चन हमेशा अपने परिवार और खासकर अपने बेटे अभिषेक के प्रति स्नेहभाव रखते हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि उनकीविरासत उनके परिवार के किसी एक सदस्य के लिए नहीं होगी। इसका मतलब यह भी है कि वे चाहते हैं कि उनकी पूरी परिवार की धरोहर और सम्मानको एकजुट रूप से आगे बढ़ाया जाए, न कि केवल एक व्यक्ति पर निर्भर किया जाए। अभिषेक बच्चन की बात करें तो वे अब फिल्मों के अलावा अन्यगतिविधियों में भी भाग ले रहे हैं, जैसे कि क्रिकेट के प्रमोशन में। यूरोपीय टी-20 लीग के प्रमोशन में उनकी सक्रिय भूमिका इस बात का प्रमाण है किअभिषेक का दायरा अब केवल फिल्म इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है। अभिषेक ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि उनके लिए क्रिकेट प्रमोशन एक नई चुनौती है। इस टूर्नामेंट को लेकर उनका उत्साह दिखा है, और वेइसे भारत में भी लोकप्रिय बनाने के लिए पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। यूरोपीय टी-20 प्रीमियर लीग, जो 15 जुलाई से शुरू होगी, क्रिकेट प्रेमियों केबीच एक नई धारा बनाने की उम्मीद है। इस टूर्नामेंट में दुनियाभर के क्रिकेटर हिस्सा लेंगे, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह टूर्नामेंटआईपीएल की तरह ही लोकप्रिय हो पाता है। अंततः, अमिताभ बच्चन का यह बयान उनके जीवन के अनुभवों और उनके पिताजी की शिक्षा का एक प्रतिबिंब है। उनका यह संदेश साफ तौर पर यहदर्शाता है कि स्टारडम और उत्तराधिकारी बनने का कोई सीधा संबंध नहीं होता। इस जटिल और चुनौतीपूर्ण रास्ते में जहां व्यक्तिगत क्षमताओं औरप्रतिबद्धता की अहमियत होती है, वहीं परिवार और परंपरा भी महत्वपूर्ण होते हैं।
कांग्रेस नेता जय प्रकाश का बीजेपी पर हमला, MSP और कृषि नीतियों को लेकर उठाए गंभीर सवाल

कांग्रेस नेता जय प्रकाश ने हाल ही में लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर जमकर हमला बोला। उन्होंने अपनी बात कृषि और न्यूनतमसमर्थन मूल्य (MSP) के मुद्दे पर रखते हुए बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया। जय प्रकाश ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और हमारीअर्थव्यवस्था और रोजगार का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर करता है। उन्होंने यह भी कहा कि MSP 2014 के बाद ही शुरू नहीं हुई थी, बल्कि इससेपहले भी MSP अस्तित्व में थी। उन्होंने संविधान सभा में MSP पर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए कहा कि जब जवाहरलाल नेहरू जी ने देश केविकास के लिए कृषि के उत्पादन का उचित मूल्य देने की बात की थी, तो यह एक दूरदर्शी कदम था, जो आज भी प्रासंगिक है। जय प्रकाश ने 2014 और 2024 के MSP के आंकड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण करते हुए बीजेपी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। उन्होंनेबताया कि 2014 में धान की MSP ₹1,310 और गेहूं की MSP ₹1,400 थी। वहीं, 2024 में यह बढ़कर धान पर ₹2,320 और गेहूं पर₹2,450 हो गई है। हालांकि, जय प्रकाश ने यह भी जिक्र किया कि खेती के लिए किसानों को जिन चीजों की जरूरत होती है, जैसे खाद और उर्वरक, उनकी कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने बताया कि DAP (डायअमोनियम फास्फेट) का दाम आज ₹1,600 है, जबकि UPA सरकार में यह ₹900 था। इसी तरह, यूरिया का दाम ₹265 था, जो अब ₹300 से अधिक हो चुका है। कांग्रेस नेता ने बीजेपी सरकार की नीतियों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने सवाल किया कि जब कृषि उत्पादन के लिए किसानों को आवश्यकवस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, तो MSP में कमी क्यों हो रही है? जय प्रकाश ने बीजेपी के चुनावी वादों का भी हवाला दिया और कहा कि चुनावों केदौरान बीजेपी ने दावा किया था कि हरियाणा में उनकी सरकार बनने पर धान का MSP ₹3,100 प्रति क्विंटल किया जाएगा। लेकिन सच्चाई यह हैकि बीजेपी सरकार ने धान का दाम ₹2,300 भी नहीं दिया और किसानों से धान ₹1,600 प्रति क्विंटल के दाम पर खरीदी गई। जय प्रकाश ने इसधोखाधड़ी की जांच की मांग की और कहा कि किसानों के साथ यह गहरे स्तर पर अन्याय हो रहा है।कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने किसानों के बजाय बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाया है। उन्होंने कांग्रेस सरकार के दौरानकिसानों का 70,000 करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने का उदाहरण दिया। इसके विपरीत, बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि उसने सिर्फ चंद बड़ेउद्योगपतियों के लाखों-करोड़ों रुपए माफ किए, जबकि किसान आज भी ऋणों के बोझ तले दबे हुए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी की नीतियां किसानोंके हित में नहीं हैं, बल्कि वे केवल कुछ विशेष वर्गों की मदद करने के लिए हैं। जय प्रकाश ने सरकार से यह भी अपील की कि किसानों की हालत सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और MSP, उर्वरक की कीमतों में वृद्धिऔर किसानों के कर्ज माफी की दिशा में उचित निर्णय लिए जाएं। उन्होंने सरकार से मांग की कि उन सभी लोगों के खिलाफ जांच की जाए जिन्होंनेकिसानों के साथ धोखाधड़ी की है और चुनावी वादों का पालन नहीं किया। जय प्रकाश का यह बयान उन किसानों के प्रति सरकार की उपेक्षा कोउजागर करता है, जिनकी मेहनत से देश की कृषि व्यवस्था चलती है, लेकिन वे सरकारी नीतियों के चलते मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
राज्यसभा में गृहमंत्री अमित शाह का संबोधन, बोले- ‘हमें लाल चौक में तिरंगा फहराने की अनुमति नहीं मिली थी’

गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (21 मार्च) को राज्यसभा में देश की सुरक्षा और आंतरिक मामलों को लेकर महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने इस दौरानदेश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 10 सालों में ऐसे कई कार्य हुए हैं, जो आजादीके बाद से अब तक नहीं हो सके थे। शाह ने विशेष रूप से कश्मीर के मुद्दे को उठाया और कहा कि जब वे पहले कश्मीर गए थे तो उन्हें लाल चौक परतिरंगा फहराने की अनुमति नहीं मिली थी। लेकिन जब से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनी है, हर साल लाल चौक पर तिरंगा फहरायाजाता है। शाह ने कश्मीर से धारा 370 हटाने के निर्णय को लेकर भी बात की, इसे वोटबैंक की राजनीति से दूर देश की सुरक्षा और एकता की दिशा मेंलिया गया एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह फैसला भारत को एकजुट करने और कश्मीर को देश का अभिन्न हिस्सा बनाने के लिएथा। गृहमंत्री ने राज्यसभा में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की नीति की सराहना करते हुए कहा कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफजीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है। उन्होंने पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे भ्रष्टाचार को रोकने के लिए गंभीर नहीं थे, जबकि उनकीसरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। अमित शाह ने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय ने कठिन परिस्थितियों में कार्य किया है औरप्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में गृह मंत्रालय में लंबित कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करनाथा, ताकि देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बेहतर हो सके। अमित शाह ने गृह मंत्रालय के कार्यों और उसके महत्व को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि संविधान के तहत कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्योंकी है, जबकि सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है। उनका मानना था कि यह एक उचित निर्णय है और इसमें किसी तरहका बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 76 साल बाद ऐसी स्थिति बन गई है, जहां कई अपराध सिर्फराज्य सीमा तक सीमित नहीं रह गए हैं। वे अंतरराज्यीय और बहुराज्यीय हो गए हैं, जैसे कि नारकोटिक्स, साइबर अपराध, संगठित अपराध गिरोह, हवाला, आदि। इन अपराधों की जड़ें अब कई राज्यों और देशों में फैल चुकी हैं, जिसे देखते हुए गृह मंत्रालय में बदलाव की आवश्यकता महसूस हुईहै। गृहमंत्री ने गर्व के साथ यह कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रालय में लंबे समय सेलंबित बदलाव किए हैं। उन्होंने बताया कि यह बदलाव उन अपराधों और खतरों को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं, जो अब केवल एक राज्य तकसीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के लिए खतरा बन चुके हैं। गृह मंत्रालय ने इन बदलावों के माध्यम से अपराधों की बढ़ती जटिलताओं से निपटने केलिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया है। इसके अलावा, उन्होंने राज्य पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों के सर्वोच्च बलिदान के लिएआभार व्यक्त किया, जिनकी मेहनत और संघर्ष से देश की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।अमित शाह ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत अब एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुका है, जहां आंतरिक सुरक्षा के अलावा बाहरी सुरक्षा भी एकबड़ी चुनौती बन चुकी है। देश की सीमाओं पर सुरक्षा का सख्त ख्याल रखा जा रहा है और इसकी जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की है। उन्होंने राज्यसभा मेंउपस्थित सांसदों को यह विश्वास दिलाया कि मोदी सरकार देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।उनके अनुसार, गृह मंत्रालय की दिशा अब केवल राज्य की सीमा तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर में अपराधों और सुरक्षा खतरों का मुकाबला करनेके लिए राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं।