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122 करोड़ के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में बड़ा खुलासा, EOW ने वांटेड दंपति की संपत्तियों के खोले राज

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 122 करोड़ रुपये के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले को लेकर एक बड़ा खुलासा कियाहै। जांच के दौरान, EOW को पता चला कि इस मामले में वांटेड दंपति हिरेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु ने 2019 और 2024 के बीच कईसंपत्तियां खरीदी हैं। अधिकारी का मानना है कि इस अवधि में बैंक से 122 करोड़ रुपये की चोरी हुई थी, और इन्हीं पैसों से दंपति ने संपत्तियां खरीदीं। EOW को संदेह है कि ये संपत्तियां अपराध की आय (प्रोसिड्स ऑफ क्राइम) हो सकती हैं, और इसी वजह से मामले की गहरी जांच की जा रही है।यह मामला मुंबई में काफी चर्चा में है, क्योंकि यह घोटाला न केवल बैंकिंग प्रणाली के साथ धोखाधड़ी को उजागर करता है, बल्कि इसमें आरोपीदंपति के भागने और अवैध संपत्तियां अर्जित करने के बाद की घटनाओं ने इस मामले को और भी जटिल बना दिया है। घोटाले की कहानी और फरार दंपति की भूमिकान्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के खिलाफ 122 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा तब हुआ जब बैंक के内部 जांच में गड़बड़ियां सामने आईं। हिरेनभानु, जो कि इस बैंक के पूर्व अध्यक्ष थे, और उनकी पत्नी गौरी भानु, जो बैंक की कार्यवाहक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष थीं, इस घोटाले में मुख्यआरोपियों के रूप में सामने आए हैं। जांच में यह पाया गया कि बैंक से बड़ी रकम की अवैध निकासी की गई, जो कि बाद में विभिन्न संपत्तियों मेंनिवेश की गई। जांच के दौरान EOW को यह जानकारी मिली कि दंपति ने 2019 और 2024 के बीच मुंबई और उसके बाहरी इलाकों में कई संपत्तियां खरीदी थीं, और इसके कुछ समय बाद ही वे देश छोड़कर भाग गए। अब पुलिस का संदेह है कि इन संपत्तियों को अवैध रूप से प्राप्त पैसे से खरीदा गया है और येसंपत्तियां घोटाले की आय से जुड़ी हो सकती हैं। EOW की नई रणनीति और संपत्ति जब्तीअधिकारियों के मुताबिक, EOW इस समय दंपति द्वारा खरीदी गई संपत्तियों की जांच कर रही है और उनका उद्देश्य इन संपत्तियों को जब्त करना है।हालांकि, एक बड़ी समस्या यह है कि इस मामले में एमपीआईडी (मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट) अधिनियम लागू नहीं हो सकता है, जिससे पुलिस को संपत्ति जब्त करने में कठिनाई हो रही है। ऐसे में, EOW ने बीएनएसएस (BNSSS) की नई धारा 107 का सहारा लेने पर विचारकिया है। इस धारा के तहत पुलिस को संपत्ति जब्त करने का अधिकार मिलता है, जो कि खासतौर पर ऐसे मामलों में प्रभावी हो सकता है जहांएमपीआईडी अधिनियम लागू नहीं किया जा सकता। EOW के अधिकारियों ने बताया कि वे यह जांच कर रहे हैं कि इन संपत्तियों को कैसे जब्त किया जा सकता है और क्या एमपीआईडी कोएफआईआर (पहली सूचना रिपोर्ट) में जोड़ा जा सकता है। इस प्रक्रिया के तहत अधिकारियों का उद्देश्य यह है कि इस घोटाले के आरोपियों को कड़ीसजा दिलाई जा सके और उनसे चुराई गई धनराशि की रिकवरी की जा सके। धोखाधड़ी और अपराध की आययह मामला सिर्फ बैंक के धोखाधड़ी से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसमें अपराध की आय और मनी लॉन्ड्रिंग का भी पहलू है। मुंबई पुलिस की EOW अबइस बात की जांच कर रही है कि इन संपत्तियों का वास्तविक सोर्स क्या है। क्या ये संपत्तियां बैंक से चुराए गए पैसे से खरीदी गई हैं? यह सवाल अबजांच का अहम हिस्सा बन चुका है। सूत्रों के मुताबिक, यह साफ हो चुका है कि 122 करोड़ रुपये के घोटाले के सामने आने के कुछ ही दिन पहले ही दंपति ने इन संपत्तियों को खरीदाथा। इस खुलासे के बाद EOW ने इस मामले को और गहरे ढंग से जांचने का फैसला किया है, ताकि यह साबित किया जा सके कि ये संपत्तियांधोखाधड़ी से अर्जित की गई थीं। अधिकारियों की जांच और आगे की प्रक्रियाEOW के अधिकारी फिलहाल इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कैसे इन संपत्तियों को कानूनी रूप से जब्त किया जा सकता है। वे इस बात की भीजांच कर रहे हैं कि क्या बीएनएसएस की धारा 107 के तहत इस संपत्ति को कुर्क किया जा सकता है। बीएनएसएस की यह धारा विशेष परिस्थितियोंमें जब्ती के अधिकार प्रदान करती है, और अब EOW इस पर विचार कर रही है। हालांकि, अब तक दंपति की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे जल्द ही इस मामले में और भी सुराग हासिलकरने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा, बैंकिंग क्षेत्र के इस बड़े घोटाले के सामने आने के बाद, कई अन्य मामलों की भी जांच की जा सकती है, जिनमें दंपति की वित्तीय गतिविधियां और अवैध संपत्तियों की विस्तृत छानबीन की जाएगी।

संजय सिंह का बीजेपी पर हमला, Delimitation पर दक्षिणी राज्यों के पक्ष में खड़ा हुआ AAP

आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने बीजेपी पर बड़ा हमला करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी Delimitation (सीमांकन) प्रक्रिया में दक्षिणी राज्यों के साथ खड़ी है। संजय सिंह ने साफ कहा कि किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए और हर राज्यको समान रूप से प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। यह बयान उस समय आया है जब भारतीय राजनीति में आगामी चुनावों के मद्देनजर Delimitation प्रक्रिया को लेकर चर्चा तेज हो गई है। भेदभाव का आरोपसंजय सिंह ने कहा कि बीजेपी अपने प्रभाव वाले राज्यों में सीटों को बढ़ाने का प्रयास कर रही है, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता मजबूत बनी रहेऔर वह हमेशा के लिए प्रधानमंत्री बने रहें। AAP के नेता ने यह आरोप भी लगाया कि बीजेपी इस प्रक्रिया का इस्तेमाल केवल अपने राजनीतिकफायदे के लिए कर रही है। उनका मानना है कि इस तरह की राजनीति से राज्यों के बीच असंतोष और भेदभाव बढ़ सकता है, जो राष्ट्रीय एकता केलिए खतरे का कारण बन सकता है। AAP का समर्थन दक्षिणी राज्यों के लिएसंजय सिंह ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं होने देगी, खासकर दक्षिणी राज्यों के साथ। उनका यह बयान उनचिंताओं का जवाब था जो विभिन्न दक्षिणी राज्यों में यह महसूस किया जा रहा है कि सीमांकन के बाद उनके प्रतिनिधित्व को नुकसान हो सकता है।AAP का यह रुख उन राज्यों के पक्ष में है जो महसूस करते हैं कि उनका राजनीतिक अधिकार कमजोर हो सकता है, यदि यह प्रक्रिया बीजेपी केप्रभाव में हो। संसदीय राजनीति पर असरसंजय सिंह का यह बयान भारतीय राजनीति में आगामी चुनावों और राज्यों के बीच संतुलन बनाए रखने की अहमियत को उजागर करता है। चुनावों सेपहले ऐसी टिप्पणियां और आरोप राजनीति में गर्मी पैदा कर सकते हैं और चुनावी रणनीतियों पर प्रभाव डाल सकते हैं।

किसानों के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता पर कांग्रेस का हमला, बीजेपी पर उठाए सवाल

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किसानों के मुद्दे को लेकर तीखा हमला कियाहै। कांग्रेस ने ट्विटर पर एक पोस्ट करते हुए यह आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में रोजाना 8 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। यह जानकारी खुद महाराष्ट्रसरकार के एक मंत्री ने विधानसभा में दी थी, जो अब एक गंभीर सवाल बनकर सामने आया है। किसान आत्महत्याओं का बढ़ता आंकड़ाकांग्रेस ने अपने पोस्ट में यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के चुनावों के दौरान यह वादा किया था कि 2022 तक किसानों कीआय दोगुनी कर दी जाएगी। लेकिन, कांग्रेस का कहना है कि आज स्थिति यह हो गई है कि “किसानों की आयु आधी हो गई है।” किसान आत्महत्याके बढ़ते मामलों को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि किसानों की समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है। मोदी सरकार पर गंभीर आरोपकांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में खेती के सामान पर GST (वस्तु एवं सेवा कर) लगा दिया गया है, जो पहले से हीकर्ज में डूबे किसानों के लिए और भी बड़ी समस्या बन गया है। इसके अलावा, कांग्रेस का कहना है कि किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल रहाऔर MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी भी नहीं दी जा रही है।कांग्रेस ने कहा कि किसान जब खेती के लिए कर्ज लेते हैं, तो उन्हें फसल की सही कीमत नहीं मिल पाती, जिसके कारण वे कर्ज चुकता नहीं करपाते। इस स्थिति में किसानों को आत्महत्या तक की नौबत आ जाती है। किसानों के लिए माफी नहीं, अरबपतियों के लिए कर्ज माफीकांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरबपतियों का लाखों-करोड़ों रुपए का कर्ज माफ कर देते हैं, लेकिन किसानों के एक रुपयेका भी कर्ज माफ नहीं करते। यह बयान कांग्रेस के उस विचार को मजबूती देता है, जिसमें कहा गया है कि मोदी सरकार किसानों के प्रति अपनीजिम्मेदारी से भाग रही है और उनकी समस्याओं का हल निकालने की बजाय उन्हें और भी कठिनाइयों में डाल रही है। किसानों के आंदोलन पर मोदी सरकार की प्रतिक्रियाकांग्रेस ने आगे कहा कि जब किसान अपने हक के लिए आवाज उठाते हैं, तो प्रधानमंत्री मोदी उन्हें लाठियों से पिटवाते हैं, रास्तों में कीलें बिछवाते हैंऔर उनके ऊपर आंसू गैस के गोले फेंकवाते हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह व्यवहार पूरी तरह से किसानों के प्रति सरकार की असंवेदनशीलता औरबेरुखी को दर्शाता है।कांग्रेस का आरोप – मोदी सरकार किसानों को बर्बाद करने पर तुले हैंकांग्रेस ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि मोदी सरकार किसानों को पूरी तरह से बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। उनका यह बयान उन किसानों केदर्द और समस्याओं को उजागर करता है, जो लंबे समय से सरकार की नीतियों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।कांग्रेस का यह हमला स्पष्ट रूप से मोदी सरकार के खिलाफ किसानों के मुद्दों को उठाने की ओर इशारा करता है। पार्टी ने कहा कि किसानों केअधिकारों को नजरअंदाज किया जा रहा है और उन्हें उनकी मेहनत का सही हक नहीं मिल रहा। इसके साथ ही, कांग्रेस ने सरकार से अपील की है किवह किसानों की समस्याओं का समाधान निकाले और उनकी सुरक्षा और भलाई के लिए ठोस कदम उठाए

FIITJEE कोचिंग के खिलाफ दिल्ली पुलिस का बड़ा एक्शन, धोखाधड़ी का मामला दर्ज

दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान FIITJEE के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। यहकार्रवाई प्रीत विहार स्थित FIITJEE सेंटर से जुड़ी 190 शिकायतों के बाद की गई है। FIITJEE के इस सेंटर को जनवरी 2025 में अचानक बंदकर दिया गया था, जिसके बाद छात्रों और उनके अभिवावकों ने इसका विरोध किया था। अब, दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अपनी कार्रवाई शुरू करदी है, और इसको लेकर कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। 190 शिकायतों के बाद मामला दर्जFIITJEE के खिलाफ पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इसमें धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), और 120B (आपराधिक साजिश) शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, इस मामले में अब तक EOW को 190 शिकायतें मिल चुकी हैं, जिनकी संख्यापहले फरवरी में 35 थी। इन शिकायतों में छात्रों और अभिवावकों ने FIITJEE के खिलाफ धोखाधड़ी और अन्य आरोप लगाए हैं, जिससे यहमामला और भी गंभीर बन गया है। मामला कैसे EOW तक पहुंचा?जानकारी के अनुसार, शुरुआत में इन शिकायतों को पूर्वी दिल्ली पुलिस के पास दर्ज कराया गया था। लेकिन मामला गंभीर होने और बड़ी रकम केलेन-देन की बात सामने आने के बाद, मामले की जांच को आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंप दिया गया। EOW की ओर से अब मामले कीगहनता से जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जांच में FIITJEE के निदेशक समेत अन्य जिम्मेदार लोगों की भूमिका सामने आ सकती है, और जल्द ही उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। देश के अन्य हिस्सों में भी मामलों की जांचFIITJEE के खिलाफ दिल्ली के अलावा अन्य शहरों में भी धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं। गाजियाबाद, नोएडा और भोपाल में भी संस्थान केखिलाफ शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें से एक बड़ा मामला फरवरी में सामने आया, जब ग्रेटर नोएडा पुलिस ने FIITJEE के संस्थापक दिनेशगोयल से जुड़े 12 बैंक खातों से 11.11 करोड़ रुपये जब्त किए थे। यह बड़ी राशि और संबंधित बैंक खातों की जांच को लेकर मामले की गंभीरता कोऔर बढ़ा दिया है। पुलिस ने इन खातों को सील कर दिया और अब मामले की जांच कर रही है कि यह रकम कहां से आई और इसके पीछे कीसाजिश क्या थी। FIITJEE की प्रतिक्रियाFIITJEE संस्थान ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि संस्थान के प्रबंधन को पुलिसकी जांच के दौरान अपनी सफाई देने का मौका मिलेगा। वहीं, छात्रों और उनके अभिवावकों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि यह मामला न सिर्फFIITJEE के प्रीत विहार सेंटर से संबंधित है, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में संस्थान की छवि पर भी सवाल उठ रहे हैं। अगले कदम और जांच की दिशापुलिस ने मामले की जांच के लिए एक डीसीपी-स्तरीय अधिकारी को जिम्मेदारी सौंप दी है। EOW की टीम अब यह पता करने में जुटी है किFIITJEE ने छात्रों से कथित तौर पर धोखाधड़ी कैसे की और उनकी फीस का किस तरह से दुरुपयोग किया गया। जल्द ही इस मामले में नईजानकारी सामने आ सकती है, और पुलिस मामले के आरोपी लोगों को गिरफ्तार करने के लिए कदम उठा सकती है।

ऋषभ पंत की बहन साक्षी पंत और अंकित चौधरी की प्रेम कहानी: लंदन में शुरू हुआ एक खास रिश्ता

कहा जाता है कि जीवन में कुछ रिश्ते ऊपर से तय होते हैं, और धरती पर उनका मिलन सिर्फ एक किस्मत का खेल होता है। कुछ ऐसी ही दिलचस्पप्रेम कहानी है भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत की बहन साक्षी पंत और उनके पति अंकित चौधरी की। साक्षी और अंकित के बीच का प्यार करीब एकदशक पुराना है, और दोनों ने हाल ही में मसूरी में एक शानदार शादी समारोह में अपने परिवार, दोस्तों और क्रिकेट सितारों की मौजूदगी में जीवनभर केरिश्ते में बंधने का फैसला लिया। शादी की रस्में और सितारों की मौजूदगीसाक्षी पंत और अंकित चौधरी की शादी एक भव्य आयोजन था जिसमें ना सिर्फ परिवार बल्कि क्रिकेट जगत से भी कई सितारे शामिल हुए। इससमारोह की खास बात यह रही कि शादी में महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी धोनी भी पहुंचे, जिन्होंने शादी में अपनी उपस्थिति से चार चांद लगाए। साक्षीऔर ऋषभ पंत ने शादी के हर फंक्शन में जमकर मस्ती की, और सबसे ज्यादा ध्यान खींचा अंकित चौधरी का जो अपनी पत्नी साक्षी के साथ धूममचाते नजर आए। शादी से पहले की मेहंदी और हल्दी की रस्में भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुईं और फैंस ने इन तस्वीरों को जमकर पसंदकिया। अंकित चौधरी कौन हैं?अंकित चौधरी एक लंदन में रहने वाले व्यवसायी हैं, और अपनी निजी जिंदगी को बहुत ज्यादा सार्वजनिक नहीं करना पसंद करते। वह साक्षी पंत केलॉन्ग-टाइम बॉयफ्रेंड रहे हैं, और दोनों ने इस रिश्ते को पिछले 9 सालों से संजोकर रखा है। अंकित का स्वभाव शांत और सरल है, जो उन्हें कई हाई-प्रोफाइल शादियों और ग्लैमरस इवेंट्स से अलग करता है। यही कारण है कि साक्षी और अंकित का रिश्ता सच्चा और गहरा है। अंकित और साक्षी की मुलाकात लंदन में हुई थी, जहां दोनों पढ़ाई कर रहे थे। पहले दोस्ती के रूप में शुरू हुआ उनका रिश्ता धीरे-धीरे प्यार में बदलगया। समय के साथ, दोनों ने अपने परिवारों को एक-दूसरे से मिलवाया और इस रिश्ते को संजीदगी से लिया। अब, शादी के बंधन में बंधकर दोनोंएक-दूसरे के जीवनसाथी बन गए हैं। ऋषभ पंत की बहन की शादी का अहम मोड़ऋषभ पंत अपनी बहन साक्षी के इस खास मौके पर पूरी तरह से शामिल हुए और उनकी शादी को धूमधाम से सेलिब्रेट किया। उनकी बहन की शादीन सिर्फ परिवार के लिए एक यादगार दिन थी, बल्कि यह समारोह साक्षी और अंकित के प्यार को भी सेलिब्रेट करने का एक बेहतरीन तरीका बन गया।शादी के हर फंक्शन में दोनों ने खुशी और प्यार का इज़हार किया, जिससे यह शादी और भी खास बन गई। अंकित चौधरी और साक्षी पंत की प्रेम कहानी, एक दशक से अधिक समय से चली आ रही है, और उनका जीवनसाथी बनने का सफर किसी फिल्मीकहानी से कम नहीं है। दोनों ने समय के साथ अपने रिश्ते को समझा और अब एक साथ अपना जीवन बिताने का फैसला लिया है। साक्षी और अंकित का भविष्यअब साक्षी और अंकित अपनी शादीशुदा जिंदगी की नई शुरुआत कर चुके हैं। यह जोड़ी भविष्य में एक साथ कई खुशहाल लम्हे बिताने की उम्मीद कररही है। हालांकि दोनों अपने निजी जीवन को साधारण रखना पसंद करते हैं, लेकिन उनकी शादी और उनका प्यार अब एक प्रेरणा बन चुका है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल को लेकर दिया बड़ा बयान, कहा- बाबर के समय हुए थे मंदिरों का विध्वंश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में संभल जिले को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जो राजनीति और धार्मिक आस्थाओं कोलेकर चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि संभल में कुल 68 तीर्थ स्थल थे, जिनमें से अब तक केवल 18 की पहचान हो पाई है। इसके साथही, 19 प्राचीन कूपों का भी उत्खनन किया गया है, जो इस ऐतिहासिक स्थल की प्राचीनता और महत्व को दर्शाता है। योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर 56 वर्षों के बाद संभल के शिव मंदिर में जलाभिषेक होने की बात भी की। यह एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकिइस तरह की धार्मिक क्रियाएं लंबे समय से वहां नहीं हो पाई थीं। मुख्यमंत्री ने बाबर के समय में हिंदू मंदिरों के विध्वंश का भी उल्लेख किया, जो किऐतिहासिक घटनाओं को उजागर करता है और यह भी दर्शाता है कि भारत में धार्मिक संघर्षों की लंबी और जटिल इतिहास रहा है। योगी ने कहा, “संभल जैसे तथ्य सामने आएंगे तो मुंह दिखने लायक नहीं रहेंगे।” इस बयान के साथ ही उन्होंने यह भी जताया कि उनके नेतृत्व में राज्यमें हिंदू आस्थाओं के पुनर्निर्माण और संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा का कारण बना है, खासकर उन लोगों के लिए जो धार्मिक पहचान और भारतीय इतिहास के पुनर्निर्माण को लेकर सक्रिय हैं। सीएम योगी ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य किसी भी समुदाय को पीछे छोड़ने का नहीं है, बल्कि वह सभी को साथ लेकर चलने का भाव रखते हैं।यह बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा औरधार्मिक मुद्दों पर बहस चल रही है। उन्होंने आगे कहा, “हमारे अंदर सभी को 0 साथ लेकर चलने का भाव है,” जो यह दर्शाता है कि सरकार का उद्देश्य हर वर्ग और धर्म के लोगों के लिएसमावेशी विकास सुनिश्चित करना है। उनके इस बयान में यह संदेश भी छिपा है कि योगी सरकार उत्तर प्रदेश के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों कोसंजोने के प्रति प्रतिबद्ध है, और साथ ही सभी धर्मों और समुदायों के लिए समान अवसर देने की दिशा में काम कर रही है। योगी आदित्यनाथ ने संभल को आस्था का केंद्र बताते हुए यह भी कहा कि इस जिले का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व कभी न कभी सभी के सामनेआएगा। उनके इस बयान के बाद, संभल जिले की ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक महत्व को लेकर सरकार की योजनाओं पर सवाल उठने कीसंभावना है। साथ ही, यह भी साफ है कि योगी आदित्यनाथ राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को मजबूती से स्थापित करने की दिशा मेंकदम उठा रहे हैं। राजनीतिक रूप से देखें तो यह बयान उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो धर्म, संस्कृति और भारतीय इतिहास को लेकर व्यापक चर्चा में शामिलहैं। मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब राज्य में आगामी चुनावों की तैयारियां चल रही हैं और धार्मिक मुद्दों पर चर्चा तेज हो गई है।योगी आदित्यनाथ के इस बयान ने एक बार फिर से संभल जिले को राजनीतिक और धार्मिक केंद्र के रूप में उभरने का मौका दिया है, और साथ हीराज्य के धार्मिक पुनर्निर्माण की दिशा को भी स्पष्ट किया है।