आगरा में युवक ने पत्नी के उत्पीड़न से तंग आकर की आत्महत्या, लाइव वीडियो में बयां किया दर्द

उत्तर प्रदेश के आगरा में एक युवक ने अपनी पत्नी द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। इस घटना का 6 मिनट 47 सेकंडका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें युवक ने खुद को फांसी लगाते हुए अपना दर्द बयां किया। वीडियो में उसने कहा, “सॉरीमम्मी-पापा, मैं अपनी पत्नी से तंग आ चुका हूं। कोई मर्दों के बारे में भी सोचे, वे बहुत अकेले हो जाते हैं। आत्महत्या से पहले बहन को भेजे थे संदेशइस घटना से पहले युवक की पत्नी निकिता और उसकी बहन के बीच वॉट्सएप पर बातचीत हुई थी। चैट में निकिता ने बताया था कि मानव ने शराबपी रखी थी और वह आत्महत्या करने की कोशिश कर रहा था। उसने यह भी कहा था कि वह अपने पापा को इसकी जानकारी नहीं दे सकती। परिवार ने लगाए गंभीर आरोपथाना सदर के डिफेंस कॉलोनी निवासी मानव शर्मा मुंबई में एक आईटी कंपनी में रिक्रूटमेंट मैनेजर के रूप में कार्यरत थे। उनके पिता नरेंद्र शर्मा, जोएयरफोर्स से रिटायर्ड हैं, ने पुलिस को दी गई तहरीर में कहा कि उनके बेटे की शादी 30 जनवरी 2024 को हुई थी। शादी के कुछ समय बाद हीउनकी बहू झगड़ा करने लगी और परिवार को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी देने लगी। उन्होंने आरोप लगाया कि बहू किसी अन्य व्यक्ति के साथरहने की बात करती थी।पत्नी और ससुराल पक्ष पर धमकी देने का आरोप23 फरवरी को मानव और उसकी पत्नी मुंबई से आगरा आए थे। उसी दिन मानव अपनी पत्नी को मायके छोड़ने गया, जहां उसके ससुराल वालों नेउसे धमकी दी। अगले दिन सुबह 5 बजे मानव ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस जांच में सामने आए निजी तनावआगरा के एएसपी विनायक गोपाल ने बताया कि मानव को मृत अवस्था में सैन्य अस्पताल लाया गया था। पोस्टमार्टम के बाद जब मृतक कामोबाइल खोला गया, तो उसमें एक वीडियो मिला, जिसमें उसने अपनी पत्नी के साथ तनावपूर्ण संबंधों का जिक्र किया था। शादी के बाद अतीत खत्म कर दिया थामानव की पत्नी निकिता शर्मा ने अपने बयान में कहा, “हां, मेरा अतीत था, लेकिन शादी के बाद सब कुछ खत्म कर दिया था। मेरे पति इस बात कोलेकर झगड़ा करते थे। वे शराब भी बहुत पीते थे और मेरे साथ मारपीट करते थे। मैंने तीन बार उन्हें आत्महत्या करने से रोका था। जब मैंने उनके माता-पिता को बताया, तो उन्होंने कहा कि यह पति-पत्नी का मामला है और इसे खुद सुलझाना चाहिए।” मृतक के परिवार ने निकिता पर लगाए आरोपमानव की मौत के बाद उनके परिवार ने निकिता पर उत्पीड़न का आरोप लगाया और उसे घर से निकाल दिया। मामले की जांच जारी है और पुलिस नेअभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की है। #AgraSuicideCase #DomesticDispute #MentalHealthAwareness #MarriageConflict #JusticeForMen #CrimeNews #UttarPradeshNews #ViralVideo #SuicidePrevention #LegalRights
खड़गे का बीजेपी पर हमला: ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में ₹455 करोड़ का फंड गायब

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बीजेपी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि आरटीआई से यह खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार की”बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” योजना में ₹455 करोड़ का फंड “गायब” हो गया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के विज्ञापनों में “बहुत हुआ नारी पर वार” का नारा पिछले 10 वर्षों से उन महिलाओं की चीखों का मजाक बना रहा है, जो भाजपा शासन में और कभी-कभी भाजपा के गुंडों द्वारा प्रताड़ित हुईहैं। खड़गे ने हाल ही में पुणे में एक महिला के साथ हुई दुष्कर्म की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि मणिपुर और हाथरस की बेटियों के मामले भी इसीतरह की गंभीरता को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के राज में महिला सुरक्षा का कोई नामोनिशान नहीं बचा है। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने हाल ही में “बेटी बचाओ” पर मोदी जी से तीन सवाल पूछे थे, जिनमें से एक सवाल आंकड़ों को छिपाने से संबंधितथा। अब आरटीआई के ताजा खुलासे से मोदी सरकार के झूठ का पर्दाफाश हुआ है। खड़गे ने यह भी कहा कि भाजपा की नीतियों और उनके कार्यों के बीच एक बड़ा अंतर है, जो महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति उनकीअसंवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि वह इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान दे और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिएठोस कदम उठाए। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि भाजपा के शासन में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हुई है, और यह स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने कहा किसरकार को चाहिए कि वह महिलाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझे और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करे। खड़गे ने अंत में कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए खड़ी रहेगी और भाजपा की नाकामी को उजागर करतीरहेगी।
आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष को लिखी चिट्ठी, AAP विधायकों के निलंबन को बताया ‘लोकतंत्र पर प्रहार

दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष की नेता आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता को एक पत्र लिखकर आम आदमी पार्टी(AAP) के 21 विधायकों के निलंबन को लोकतंत्र पर प्रहार और जनादेश का अपमान बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की आवाज कोजानबूझकर दबाया जा रहा है। आतिशी ने पत्र में चिंता व्यक्त की कि दिल्ली विधानसभा में विपक्षी दल के विधायकों को उनके विरोध प्रदर्शन के लिए भेदभावपूर्ण व्यवहार कासामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि आप विधायकों को उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के अभिभाषण के दौरान “जय भीम” के नारे लगाने के कारणनिलंबित किया गया, जबकि “मोदी-मोदी” का नारा लगाने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। विवाद तब बढ़ा जब आतिशी और अन्य निलंबित विधायकों को महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए विधानसभापरिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया। आतिशी ने इसे अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, “दिल्ली विधानसभा में यह पहली बार है कि निर्वाचित विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई।” उनकातर्क था कि यह निर्णय विपक्ष को दबाने और उनकी आवाज को कुचलने के लिए लिया गया है। आतिशी और 21 अन्य आप विधायकों को मंगलवार को उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के कार्यालय से बी.आर. आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें हटाने के विरोध में नारेबाजी करने के आरोप में निलंबित किया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों कोनिलंबित करते हुए उन्हें मार्शल के जरिए बाहर निकालने का आदेश दिया था। आतिशी ने विधानसभा अध्यक्ष से “लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने” और सभी विधायकों के लिए “निष्पक्षता सुनिश्चित करने” का आग्रह किया।उन्होंने कहा, “आप इस विधानसभा के संरक्षक हैं, और आपका कर्तव्य है कि आप सभी विधायकों के साथ समान न्याय करें, चाहे वे सत्ता पक्ष के होंया विपक्ष के।” इस बीच, आतिशी ने इस घटना को दिल्ली में “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर चर्चा के लिएसमय देने का अनुरोध किया। उन्होंने भाजपा पर “तानाशाही की सभी हदें पार करने” का आरोप लगाया और लोकतांत्रिक मानदंडों को बहाल करने केलिए हस्तक्षेप करने का आह्वान किया। विधायकों का निलंबन उस समय हुआ जब विधानसभा में दिल्ली आबकारी नीति पर नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पेश की गई।इस घटनाक्रम ने दिल्ली की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया है, और विपक्षी दलों के बीच असंतोष बढ़ा दिया है।
भाई ने पैसे देने से मना किया तो दरिंदे बेटे ने पार की हद, बूढ़ी मां पर फेंकी जलती लकड़ी; बाइक को भी जलाया

महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के चिचगढ़ थाना क्षेत्र में एक च shocking घटना सामने आई है, जहां एक बेटे ने पैसों के लेनदेन को लेकर अपनी बूढ़ी मांपर जलती लकड़ी फेंक दी। इस घटना में मां गंभीर रूप से घायल हो गई। पुलिस ने आरोपी बेटे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरूकर दी है। यह घटना 26 फरवरी की शाम 7:30 बजे से रात 11:00 बजे के बीच हुई। जानकारी के अनुसार, आरोपी डोमनदास और उसके छोटे भाई गुपेंद्रदास नेसांसद निधि से भवन निर्माण का काम साझा ठेकेदारी के तहत किया था। इसी पैसे को लेकर डोमनदास ने अपने भाई और मां से बहस की। डोमनदासने गुपेंद्रदास से काम के लिए पैसे मांगे, लेकिन गुपेंद्र ने कहा कि अभी पैसे नहीं आए हैं, और जब आएंगे, तब दे देंगे। इस पर डोमनदास ने गुस्से में आकर अपनी मां और भाई के साथ गाली-गलौज की। बहस बढ़ने पर डोमनदास ने अपने कमरे में जाकर एक डंडा लिया, जिस पर कपड़ा लपेटा हुआ था, और पेट्रोल की बोतल लेकर वापस आया। उसने डंडे में बंधे कपड़े पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी और जलती हुईलाठी से घर के बाहर रखी दो मोटरसाइकिलों पर भी पेट्रोल डालकर उन्हें आग के हवाले कर दिया। इसके बाद, डोमनदास ने जलती हुई लकड़ी अपनी मां के कमरे में फेंक दी, जिससे 61 वर्षीय ईमलाबाई झुलस गईं। उन्हें चिचगढ़ शासकीयअस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज जारी है। पुलिस ने बताया कि ईमलाबाई के बयान के आधार पर डोमनदास के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कियागया है। मामले की जांच चिचगढ़ थाने के सहायक पुलिस निरीक्षक काड़ेल कर रहे हैं। यह घटना परिवार के भीतर के विवादों और हिंसा की गंभीरताको दर्शाती है, जो पैसों के लेनदेन के कारण उत्पन्न हुई।
संभल की जामा मस्जिद में फिलहाल रंगाई-पुताई नहीं, कोर्ट ने सिर्फ सफाई की दी अनुमति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल की शाही जामा मस्जिद में फिलहाल रंगाई-पुताई की अनुमति नहीं दी है। हालांकि, मस्जिद की सफाई कराई जा सकतीहै। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया और मामले की अगली सुनवाई के लिए मंगलवार, 4 मार्च की तारीख तय कीहै। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद कमेटी सफाई करवा सकती है, लेकिन अगर उसे लगता है कि पुताई आवश्यक है, तो उसे एएसआई (भारतीय पुरातत्वसर्वेक्षण) की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज करनी होगी। कोर्ट में पेश हुई एएसआई की रिपोर्टशुक्रवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान एएसआई ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में बताया गया कि मस्जिद में रंगाई-पुताई की कोईआवश्यकता नहीं है। एएसआई ने कोर्ट में जॉइंट इंस्ट्रक्शन रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने मस्जिद के रखरखाव से जुड़ी जानकारियां दीं। इस रिपोर्ट केआधार पर हाईकोर्ट ने फिलहाल केवल सफाई की अनुमति दी है और रंगाई-पुताई पर रोक बरकरार रखी है। मस्जिद कमेटी ने दायर की थी याचिकामस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक सिविल रिवीजन याचिका दायर कर मस्जिद में रंगाई-पुताई की अनुमति मांगी थी। कमेटी का कहना थाकि मस्जिद की दीवारों पर समय के साथ धूल-गंदगी जम गई है, जिससे संरचना की सुंदरता प्रभावित हो रही है। इसलिए, पुताई की अनुमति दी जानीचाहिए। अब हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार, मस्जिद कमेटी को मंगलवार तक एएसआई की रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति दर्ज करनी होगी। इसके बाद अगलीसुनवाई में कोर्ट तय करेगा कि मस्जिद में पुताई की इजाजत दी जाए या नहीं। प्रतिवादी पक्ष ने किया याचिका का विरोधइस मामले में प्रतिवादी पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने मस्जिद कमेटी की याचिका का विरोध किया। उन्होंने कोर्ट में तर्क दिया कि मस्जिद की पुताईके नाम पर वहां मौजूद हिंदू मंदिर के प्रतीक और चिह्नों को बदलने या मिटाने की कोशिश की जा सकती है। उनका कहना था कि मस्जिद काऐतिहासिक महत्व है, और पुताई से इसके मूल स्वरूप में बदलाव हो सकता है। एएसआई की दलील और निरीक्षण की अनुमति का मुद्दाकोर्ट में सुनवाई के दौरान एएसआई के वकील मनोज कुमार सिंह ने बताया कि एएसआई के अधिकारियों को मस्जिद में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलीथी, इसलिए वे यह नहीं कह सकते कि वहां पुताई की आवश्यकता है या नहीं। उन्होंने कहा कि यदि अदालत अनुमति दे, तो एएसआई के अधिकारीमस्जिद का निरीक्षण कर सकते हैं और उसके आधार पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकते हैं।कोर्ट का फैसला और अगली सुनवाई कोर्ट ने फिलहाल मस्जिद में रंगाई-पुताई की अनुमति नहीं दी है और कहा है कि पहले सफाई करवाई जाए। अगर मस्जिद कमेटी को पुताई की जरूरतमहसूस होती है, तो उसे एएसआई की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज करनी होगी। अगली सुनवाई मंगलवार, 4 मार्च को होगी, जिसमें कोर्ट अंतिम निर्णय लेसकता है। फिलहाल, संभल की शाही जामा मस्जिद में केवल सफाई की अनुमति दी गई है, लेकिन रंगाई-पुताई पर रोक बरकरार है। कोर्ट ने एएसआई की रिपोर्टके आधार पर यह निर्णय लिया है और अगली सुनवाई तक इस मामले में कोई बदलाव नहीं होगा। अब सभी की नजरें मंगलवार को होने वाली सुनवाईपर टिकी हैं, जहां मस्जिद कमेटी की आपत्ति और एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर अदालत अगला कदम तय करेगी।
मोहल्ला क्लीनिक में टॉयलेट नहीं, अस्पताल में डॉक्टर नहीं, कोरोना काल में गड़बड़ी; दिल्ली CAG रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 से निपटने के लिए केंद्र सरकार से मिले 787.91 करोड़ रुपये में से केवल 582.84 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए, जबकि बाकी राशिबिना उपयोग के रह गई। इससे कोरोना संकट के दौरान आवश्यक सुविधाओं की कमी हुई। रिपोर्ट में फंड के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए हैं। स्वास्थ्य कर्मचारियों की भर्ती और वेतन के लिए मिले 52 करोड़ रुपये में से30.52 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए, जिससे महामारी के दौरान लोगों को इलाज में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसी तरह, दवाओं, पीपीईकिट और अन्य मेडिकल सप्लाई के लिए मिले 119.85 करोड़ रुपये में से 83.14 करोड़ रुपये खर्च नहीं हुए। दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 2020-21 के बीच 32,000 नए बेड जोड़ने का वादा किया था, लेकिन केवल 1,357 बेड जोड़े गए, जो कि कुललक्ष्य का मात्र 4.24% है। कई अस्पतालों में बेड की भारी कमी देखी गई, जहां बेड ऑक्यूपेंसी 101% से 189% तक रही, यानी एक ही बेड पर दोमरीजों को रखा गया या मरीजों को फर्श पर इलाज कराना पड़ा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दिल्ली में तीन नए अस्पतालों का निर्माण पहले की सरकार के कार्यकाल में शुरू हुआ था, लेकिन इनमें 5 से 6 सालकी देरी हुई और लागत भी बढ़ गई। दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभागों में 8,194 पद खाली पड़े हैं। नर्सिंग स्टाफ की 21% और पैरामेडिकल स्टाफ की 38% कमी है।राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डॉक्टरों की 50-74% कमी पाई गई है। सर्जरी के लिए लंबा इंतजार और कई उपकरण खराब होने की स्थिति भी चिंताजनक है। लोक नायक अस्पताल में बड़ी सर्जरी के लिए 2-3 महीने औरबर्न व प्लास्टिक सर्जरी के लिए 6-8 महीने का इंतजार करना पड़ा। जरूरी सेवाओं की कमी भी स्पष्ट है। 27 अस्पतालों में से 14 में ICU सेवा उपलब्ध नहीं थी, 16 अस्पतालों में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं थी, और12 अस्पतालों में एंबुलेंस की सुविधा नहीं थी। मोहल्ला क्लीनिकों की स्थिति भी खराब पाई गई है। 21 मोहल्ला क्लीनिकों में शौचालय नहीं थे, 15 क्लीनिकों में बिजली बैकअप की सुविधा नहींथी, और 12 क्लीनिकों में दिव्यांगों के लिए कोई सुविधा नहीं थी। CAG रिपोर्ट ने दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविकता को उजागर किया है। कोविड काल में सरकार द्वारा मिले फंड का सही उपयोग न करना, अस्पतालों में आवश्यक सुविधाओं की कमी, स्टाफ की कमी और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। अब सरकार को इस लापरवाही का जवाब देनाहोगा।