ऑपरेशन लोटस के आरोप: भाजपा ने आप नेताओं के खिलाफ शिकायत की, एसीबी जांच शुरू

दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के ‘ऑपरेशन लोटस’ के आरोपों को लेकर भाजपा ने उपराज्यपाल से शिकायत दर्जकराई है। भाजपा के प्रदेश महामंत्री विष्णु मित्तल ने आरोप लगाया कि आप के नेताओं द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं। उन्होंने इस मामले की जांचभ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) या किसी अन्य एजेंसी से कराने और अरविंद केजरीवाल व संजय सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांगकी। उपराज्यपाल के निर्देश पर जांच शुरूउपराज्यपाल ने भाजपा की शिकायत पर तत्काल संज्ञान लेते हुए एसीबी को समयबद्ध तरीके से जांच करने का निर्देश दिया। एसीबी की टीम ने इसमामले में जांच शुरू कर दी है और आप नेताओं से जुड़ी जानकारी जुटाई जा रही है। आप नेताओं के आरोपआप नेता संजय सिंह ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता कर भाजपा पर आप के सात प्रत्याशियों को 15-15 करोड़ रुपये का प्रलोभन देने का आरोप लगाया।उनका कहना था कि भाजपा अपनी संभावित हार से घबरा गई है और ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत आप के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है।मुख्यमंत्री आतिशी और अरविंद केजरीवाल ने भी एग्जिट पोल्स को फर्जी बताते हुए कहा कि अगर भाजपा को 55 सीटें मिल रही हैं, तो आप केविधायकों को खरीदने की जरूरत क्यों पड़ रही है। भाजपा का पलटवारदिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आप नेताओं के झूठे आरोपों का मामला पहले से ही हाईकोर्ट मेंलंबित है। उन्होंने संजय सिंह को चेतावनी दी कि अगर वे अपने बयान वापस नहीं लेते, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एग्जिट पोल पर आप और भाजपा आमने-सामनेएग्जिट पोल्स में भाजपा को बहुमत मिलने की संभावना जताए जाने पर आप नेताओं ने इसे भाजपा का मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का प्रयास बताया।वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को आप की हताशा करार दिया। एसीबी की जांच और आगे की कार्रवाईउपराज्यपाल के निर्देश के बाद एसीबी ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। यह जांच समयबद्ध तरीके से की जाएगी, और आरोपों से जुड़े सभीपहलुओं की पड़ताल की जाएगी।
कुम्भ में भगदड़ से सैकड़ों की मौत पर कांग्रेस का हमला, डिपोर्टेशन मामले में मोदी सरकार को घेरा

लखनऊ: प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अजय राय ने आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उत्तर प्रदेश सरकार पर कुम्भमेले में हुई भगदड़ को लेकर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि 28-29 जनवरी 2025 की रात कुम्भ मेले में अव्यवस्थाओं के कारण मची भगदड़ मेंसैकड़ों लोग मारे गए, हजारों घायल हुए और कई लोग अब भी लापता हैं। अजय राय ने योगी सरकार पर मृतकों और लापता लोगों की सही संख्या छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि परिजन अपने प्रियजनों को तलाशनेके लिए दर-दर भटक रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार की असंवेदनशीलता का आलम यह है कि कई मृतकों का अंतिम संस्कार भी धार्मिक रीति से नहीं होपाया। कुछ शवों को गंगा में बहा दिया गया, तो कुछ को बुलडोजर से उठाया गया। वहीं, कई शव कूड़े के ढेर में पड़े मिले।” उन्होंने गाजीपुर के रहने वाले पुलिस उपनिरीक्षक अंजनी कुमार राय का जिक्र करते हुए कहा कि भगदड़ के दौरान ड्यूटी निभाते हुए उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन उन्हें समय पर एंबुलेंस तक नहीं मिली। राय ने आरोप लगाया कि सरकार उनकी शहादत को स्वीकारने को भी तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि29 जनवरी को दर्ज पुलिस रिकॉर्ड में मृत्यु का समय दर्ज होने के बावजूद, कुम्भ मेला पुलिस के ट्विटर हैंडल से गलत तिथि दी गई। अजय राय ने बताया कि 5 फरवरी को जब वह अंजनी राय के परिजनों से मिलने पहुंचे, तो अगले दिन 6 फरवरी को गाजीपुर के पुलिस अधीक्षकउनके घर पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता को दर्शाता है। डिपोर्टेशन पर सरकार पर निशानाअजय राय ने अमेरिका से 104 भारतीय नागरिकों के डिपोर्टेशन पर भी केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इन लोगों को अमानवीय तरीकेसे मिलिट्री विमान में बेड़ियों में जकड़कर लाया गया, जिसमें 19 महिलाएं भी शामिल थीं। 40 घंटे की यात्रा के दौरान उनके लिए केवल एक वाशरूमथा और बेड़ियां भी नहीं खोली गईं। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब मिलिट्री जहाज से ऐसा डिपोर्टेशन हुआ है। राय ने कोलंबिया का उदाहरण देते हुए कहा कि उस देश ने अपने नागरिकों को सम्मानपूर्वक वापस लाने के लिए खुद का जहाज भेजा, जबकि भारतसरकार ने अपने नागरिकों के लिए ऐसा कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी विश्व गुरु होने का दावा करते हैं, लेकिन विदेश में अपनेनागरिकों की गरिमा तक नहीं बचा पा रहे। इस मौके पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष मनीष हिन्दवी, पूर्व विधायक इन्दल रावत और प्रवक्ता पुनीत पाठक भी मौजूद रहे।
मुंबई पुलिस ने अवैध प्रवासियों पर कड़ा रुख: 20 बांग्लादेशी नागरिकों को डिपोर्ट किया गया

मुंबई पुलिस ने हाल ही में एक बड़े स्तर पर अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 20 व्यक्तियों को डिपोर्ट करने की कार्रवाईअंजाम दी है। इस ऑपरेशन के दौरान पुलिस ने लंबे समय से मुंबई में बिना वैध दस्तावेजों के रह रहे इन लोगों की पहचान करते हुए उन्हें गिरफ्तारकिया और आगे कानूनी प्रक्रिया के तहत डिपोर्ट कर दिया। इस कार्रवाई के पीछे पुलिस ने कई प्रकार के जालसाजी, छद्म पहचान और गलतदस्तावेजों के उपयोग के सबूत भी उजागर किए हैं। कार्रवाई का पृष्ठभूमिमुंबई, जो कि भारत का एक महत्वपूर्ण आर्थिक और वाणिज्यिक केंद्र है, में पिछले कई वर्षों से अवैध प्रवासियों की समस्या बनी हुई थी। पुलिस केअनुसार, अवैध बांग्लादेशी नागरिक कई मामलों में जाली दस्तावेजों का सहारा लेकर यहाँ रह रहे थे और इसके चलते सुरक्षा, सामाजिक और आर्थिकक्षेत्रों में चुनौतियां उत्पन्न हो रही थीं। ऐसे संदर्भ में मुंबई पुलिस ने चेतावनी जारी करते हुए कहा था कि यदि इस प्रकार की गतिविधियाँ जारी रहीं तोसख्त कार्रवाई की जाएगी। ऑपरेशन की रूपरेखामुंबई पुलिस की इस कार्रवाई की योजना कई हफ्तों की गहन निगरानी और जानकारी एकत्र करने के बाद तैयार की गई। पुलिस ने संदिग्ध व्यक्तियोंकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए विशेष टीमों का गठन किया। इन टीमों ने संबंधित इलाकों में गोपनीयता से छानबीन करते हुए अवैधदस्तावेजों, नकली पहचान पत्रों और अन्य जुर्माना सबूतों को इकट्ठा किया। पुलिस के सूत्रों के अनुसार, इन व्यक्तियों ने लंबे समय से झूठे कागजातऔर गलत पहचान के आधार पर अपने आप को कानूनी रूप से स्थापित किया हुआ दिखाया था। गिरफ्तारी और डिपोर्टेशन प्रक्रियाऑपरेशन के दौरान पुलिस ने संबंधित व्यक्तियों को बिना किसी चेतावनी के गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार किए गए संदिग्धों से पूछताछ के दौरानयह सामने आया कि इनमें से कई लोग असल में बांग्लादेश से आये थे, जिन्होंने अवैध रूप से मुंबई में अपना घर बना लिया था। पुलिस ने गिरफ्तारीके तुरंत बाद, इन व्यक्तियों के दस्तावेजों की गहन जांच की और पाया कि उनके पास वैध नागरिकता प्रमाण पत्र या वीजा नहीं था। इसके पश्चात, इन्हें डिपोर्टेशन की कार्रवाई के लिए संबंधित प्रशासन के हवाले कर दिया गया। डिपोर्टेशन प्रक्रिया में, भारतीय विदेश मंत्रालय ने आवश्यक क़ानूनी प्रावधानों के तहत इन व्यक्तियों को बांग्लादेश वापसी के लिए तैयार किया।पुलिस अधिकारियों ने बताया कि डिपोर्टेशन के दौरान यह सुनिश्चित किया गया कि कानून का पालन पूरी तरह से हो और इनकी मानवाधिकार सुरक्षाका ध्यान रखा जाए। डिपोर्टेशन से पहले इन व्यक्तियों को उनके अधिकारों के बारे में सूचित किया गया और आवश्यक कानूनी सहायता प्रदान कीगई। कानूनी कार्रवाई और प्रशासनिक प्रतिक्रियामुंबई पुलिस और केंद्रीय अधिकारियों ने इस कार्रवाई को एक सफल ऑपरेशन बताया है। पुलिस के उच्चाधिकारियों ने कहा कि इस तरह की कार्रवाईसे अवैध प्रवासियों को एक स्पष्ट संदेश मिलेगा कि देश में बिना वैध दस्तावेजों के रहने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने यहभी कहा कि यह कदम न केवल सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिहाज से भी जरूरी है। इस कार्रवाई पर नजदीकी संबंधित एजेंसियों और क़ानूनी विशेषज्ञों ने भी प्रतिक्रिया दी। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के ऑपरेशनों सेअवैध प्रवास की समस्या में कमी आएगी और देश के सुरक्षा तंत्र को मजबूती मिलेगी। वहीं, कुछ मानवाधिकार समूहों ने कहा कि डिपोर्टेशन प्रक्रियाके दौरान संबंधित व्यक्तियों के अधिकारों का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए और उन्हें न्यायसंगत सुनवाई का अवसर मिलना चाहिए। आर्थिक और सामाजिक प्रभावमुंबई में अवैध प्रवासियों की समस्या का प्रभाव न केवल सुरक्षा बल्कि आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी देखा जा सकता है। अवैध प्रवासी अक्सरअस्थायी रोजगार में लगे रहते हैं और उनके कारण स्थानीय श्रम बाजार में असमानता बनी रहती है। इसके अतिरिक्त, अवैध प्रवासियों के कारणसामाजिक असुरक्षा और अव्यवस्था की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।इस संदर्भ में, पुलिस की कार्रवाई को एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। प्रशासन का दावा है कि इस ऑपरेशन से न केवल अवैधप्रवासियों की संख्या में कमी आएगी, बल्कि इससे स्थानीय निवासियों में भी सुरक्षा और विश्वास की भावना बढ़ेगी। आगे की योजना और चुनौतियाँमुंबई पुलिस ने कहा है कि इस तरह की कार्रवाई नियमित अंतराल पर जारी रहेगी ताकि अवैध प्रवासियों को अवसर न मिल सके। पुलिस ने यह भीबताया कि आगामी दिनों में और भी गहन छानबीन की जाएगी और यदि आवश्यक पाया गया तो और अधिक लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।हालांकि, इस ऑपरेशन के चलते कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। डिपोर्टेशन प्रक्रिया में कानूनी दायरे के भीतर रहकर काम करना पड़ता है, जिससे प्रशासन को संतुलित निर्णय लेना होता है। इसके अतिरिक्त, अवैध प्रवासियों से जुड़े क़ानूनी मुकदमों और मानवाधिकार संबंधी मामलों पर भीविशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
राज्यों ने केंद्र से मांगा अपना ‘हक’, सेंट्रल टैक्स में हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग तेज

बीजेपी, डीएमके और लेफ्ट जैसी विचारधाराओं में भिन्न राजनीतिक पार्टियां इस बार एक मुद्दे पर एकमत नजर आ रही हैं। ओडिशा, गुजरात, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों ने केंद्र से सेंट्रल टैक्सेज में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 50% करने की मांग की है। वर्तमान में राज्यों को केंद्रीय करों से41% हिस्सा मिलता है, लेकिन इन राज्यों का तर्क है कि यह हिस्सा बढ़ाया जाना चाहिए। ओडिशा ने वित्त आयोग से पेश की अपनी मांगओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने 16वें वित्त आयोग से मुलाकात के दौरान 2026-31 की अवधि के लिए 12.59 लाख करोड़ रुपये कीमांग की। माझी ने यह भी कहा कि राज्यों की हिस्सेदारी को 41% से बढ़ाकर 50% किया जाए। ओडिशा के साथ गुजरात, तमिलनाडु, केरल, पंजाबऔर गोवा जैसे राज्य भी यही मांग कर रहे हैं। सेंट्रल टैक्सेज का वितरण कैसे होता है?भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स का वितरण डिविजिबल पूल के जरिए किया जाता है। यह तय करने काजिम्मा वित्त आयोग पर होता है, जो हर पांच साल में इसकी समीक्षा करता है। वर्तमान में राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा इकट्ठा किए गए टैक्स का 41% हिस्सा मिलता है। सेस और सरचार्ज: विवाद का मुख्य कारणराज्यों का कहना है कि केंद्र सरकार अधिकतर राजस्व ‘सेस’ और ‘सरचार्ज’ के जरिए जमा कर रही है, जिसे डिविजिबल पूल में शामिल नहीं कियाजाता। 2015-16 में केंद्र का कुल टैक्स संग्रहण का 10% हिस्सा सेस और सरचार्ज से आता था, लेकिन 2022-23 में यह बढ़कर 29% हो गया। राज्यों की अन्य मांगेंसेस और सरचार्ज को डिविजिबल पूल में शामिल करना: ओडिशा ने वित्त आयोग से मांग की है कि सेस और सरचार्ज का उपयोग नियंत्रित किया जाएऔर इसे डिविजिबल पूल का हिस्सा बनाया जाए। संशोधित जनसंख्या वेरिएबल: ओडिशा ने टैक्स फॉर्मूले में बदलाव की मांग करते हुए सुझाव दिया है कि जनसंख्या के साथ SC/ST अनुपात, बुजुर्गोंऔर विधवा महिलाओं की संख्या जैसे सामाजिक-आर्थिक कारकों को शामिल किया जाए। राज्यों के बीच समान रुख: कारणआर्थिक दबाव: कोरोना महामारी के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति कमजोर हुई है। GST का प्रभाव: GST लागू होने के बाद राज्यों की टैक्स संग्रहण क्षमता घट गई, जिससे केंद्र पर निर्भरता बढ़ी।केंद्र की योजनाओं का बोझ: राज्यों का आरोप है कि केंद्र की योजनाओं का अधिकांश खर्च उन्हें उठाना पड़ता है। क्या राज्यों की मांग मानी जाएगी?16वां वित्त आयोग विभिन्न राज्यों की मांगों पर विचार कर रहा है। आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि सभी मांगों पर विस्तार से चर्चाहोगी। हालांकि, यदि राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाई जाती है, तो केंद्र सरकार के पास अपनी योजनाओं और खर्चों के लिए कम बजट रह जाएगा।
राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव में अनियमितताओं का लगाया आरोप, वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का मामला उठाया

सदन में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भारतीय चुनाव आयोग पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहाकि इन चुनावों में मतदाता सूची और वोटिंग प्रक्रिया में गड़बड़ियां हुई हैं। अल्पसंख्यकों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गएराहुल गांधी ने दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान वोटर लिस्ट से अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं के नाम हटा दिए गए। उन्होंनेकहा कि महाराष्ट्र की तीन प्रमुख पार्टियां चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट मांग रही हैं, लेकिन इसे उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। 39 लाख नए मतदाताओं पर सवालराहुल गांधी ने यह भी कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव के बीच पांच सालों में 32 लाख नए मतदाता जुड़े।लेकिन, लोकसभा 2024 और विधानसभा चुनाव के बीच मात्र पांच महीने में 39 लाख नए मतदाता पंजीकृत हुए। उन्होंने पूछा कि इतने कम समय मेंइतने अधिक मतदाता कहां से आए और यह संख्या हिमाचल प्रदेश के कुल मतदाताओं के बराबर क्यों है। राज्य में मतदाताओं की संख्या पर सवालउन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या राज्य की कुल आबादी से अधिक हो रही है। राहुल गांधी ने इसे गंभीर अनियमितताबताते हुए चुनाव आयोग पर पारदर्शिता में कमी का आरोप लगाया। लोकसभा में बेरोजगारी और जीडीपी पर हमलाकुछ दिन पहले लोकसभा में राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर केंद्र सरकार की आलोचना की थी। उन्होंने बढ़तीबेरोजगारी, महंगाई और जीडीपी में गिरावट को लेकर सवाल उठाए। ‘मेक इन इंडिया’ पर विफलता का आरोपराहुल गांधी ने लोकसभा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ‘मेक इन इंडिया’ का जिक्र तक नहीं किया। उन्होंने इसे एक अच्छी पहलबताते हुए स्वीकार किया कि यह पूरी तरह असफल रही है। उन्होंने कहा कि 2014 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) मेंयोगदान 15.3% था, जो घटकर 12.6% पर आ गया है। यह पिछले 60 वर्षों का सबसे निचला स्तर है। चीन से मुकाबले के लिए रणनीति जरूरी राहुल गांधी ने यह भी कहा कि भारत को चीन के साथ उत्पादन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा करने के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण औररणनीति की आवश्यकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री को सलाह दी कि वे इन मुद्दों को गंभीरता से लें।
भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में की कटौती, मिडिल क्लास को मिली राहत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मिडिल क्लास को बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। इस निर्णय के बाद अब रेपो रेट6.50% से घटकर 6.25% हो गया है। यह कटौती पांच साल के अंतराल के बाद की गई है। इससे पहले मई 2020 में रेपो रेट घटाया गया था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 6.5% तक ले जाया गया था। फरवरी 2023 में अंतिम बार रेपो रेट में वृद्धि की गई थी। लोन की ईएमआई होगी कमरेपो रेट में इस कटौती के चलते अब होम लोन, कार लोन और अन्य ऋणों की ईएमआई कम हो जाएगी। गवर्नर ने बताया कि यह निर्णय अर्थव्यवस्थाकी स्थिति और विकास को ध्यान में रखकर लिया गया है। वैश्विक आर्थिक दबाव और भारतीय अर्थव्यवस्थाआरबीआई गवर्नर ने बताया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था फिलहाल कई चुनौतियों से गुजर रही है। बढ़ती महंगाई, फेडरल रिजर्व बैंक की नीतियों और भू-राजनीतिक तनावों का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। इस दौरान भारतीय रुपये पर भी दबाव बना हुआ है। जीडीपी और महंगाई दर का अनुमानवित्त वर्ष 2025 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की वास्तविक जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5% लगाया गया है। हालांकि, पिछले वर्ष यह आंकड़ा8.2% था। आरबीआई का मानना है कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर में पहले से सुधार देखनेको मिला है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ रही है। महंगाई दर के बारे में गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में यह दर औसतन 4.7% रहने की संभावना है, जो आगे और घट सकती है। आर्थिक विकास के लिए सकारात्मक संकेतगवर्नर ने बताया कि आरबीआई का यह कदम देश की आर्थिक स्थिति को स्थिर करने और विकास को गति देने के लिए उठाया गया है। उम्मीद है किइस फैसले से आम जनता को राहत मिलेगी और बाजार में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।