
प्रियंका गांधी वाद्रा ने ‘महिला संवाद’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा– आप सब बहुत थक गई होंगी इतना इंतजार करते-करते, गर्मी भी है। तोसबसे पहले मैं आप सबको धन्यवाद देना चाहती हूं कि आप यहां आई हैं और एक-दूसरे की जो समस्याएं हैं, उनके बारे में आपने मुझे अवगत किया, उसके साथ-साथ आप मेरी बातों को भी सुनने के लिए आई हैं। देखिए, हम सब महिलाएं हैं और महिला होने के नाते हम एक-दूसरे को इस तरह सेसमझ पाते हैं, जिस तरह से दूसरे नहीं समझ पाते हैं। आदमी नहीं समझ पाते हैं, क्योंकि हमारा जीवन अलग होता है। चाहे आप गांव में गरीब महिलाहों, चाहे आप बड़े शहर में बड़े घर की महिला हों, महिला होने के नाते हमें संघर्ष का सामना करना होता है। किसी ना किसी तरह का संघर्ष हमेशाहमारे सामने आता है। जहां तक आपकी बात है, आप इतना संघर्ष कर रही हैं, इतने सालों से, 20 सालों से, जब से यह सरकार आई है… आपकोक्या मिला है? मैंने सबकी बातें सुनीं, एक महिला नहीं थी, आंगनबाड़ी की महिलाएं थीं, उनके प्रतिनिधि ने बोला, आशा बहुओं की प्रतिनिधि नेबोला, जीविका की महिलाओं की प्रतिनिधि ने बोला, स्वंयसेवक समूह की महिलाओं की प्रतिनिधि ने बोला और सबने एक ही बात कही कि हमेंसम्मान ही नहीं मिल रहा है। यही बात की, अगर ठोस तरीके से देखा जाए तो जो वेतन मांग रही हैं, जो कह रही हैं कि हम दिन-रात काम कर रहे हैं, हमें12 बजे रात को फोन आता है तो हम चले जाते हैं किसी की डिलीवरी कराने। हम अपने छोटे, 10 दिन के बच्चे को अपने साथ ले जाकर गए हैंकोविड के समय।
काम करने के लिए, लेकिन हमारा सम्मान
तो हमें 24 घंटे मौजूद होना पड़ता है, 24 घंटे तैयार होना पड़ता है काम करने के लिए, लेकिन हमारा सम्मान नहीं है, हमें वेतन ही नहीं मिलता। सबयही कह रहे हैं कि सरकार उनको जो मानदेय दे रही है कहीं 1,500, कहीं 3,000 यह कोई मानदेय है। आज के जमाने में आप बाजार जाओगी, आपको क्या मिलेगा 3,000 रुपए में, 1,000 रुपए में क्या मिलेगा आपको, आधी चीजें आप छोड़कर वापस आ जाएंगी और आपको महीने में1,000 रुपए दिए जा रहे हैं। त्यौहार आते हैं, बच्चों की शिक्षा करानी है, बच्चे बीमार पड़ जाते हैं, घर के छप्पर में कोई लीक आ जाता है, पानी आरहा है, उसकी मरम्मत करानी है, कैसे करते हैं आप यह सब और जब आपको बुलाया जाता है, आपको हाजिर होना पड़ता है। तो चाहे आप किसीपाठशाला में काम कर रहे हैं, चाहे आप मिड-डे मील पका रहे हैं, चाहे आप स्वास्थ्य की सुविधाओं में मदद कर रहे हैं, चाहे कुछ भी कर रहे हैं, आपके8 से 10 घंटे इसी काम में गुजरते हैं। आप घर आती हो तो यह नहीं है कि आराम से लेट सकती हो, आप घर आती हो तो आपको अपने बच्चों कोसंभालना है, उनकी पढ़ाई की देखरेख करनी है, किसी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है उसकी देखभाल करना है, पूरे घर को खाना खिलाना है, परिवारजनोको खाना खिलाना है और जब तक वह सब सोते नहीं हैं, तब तक आप सोती नहीं हो… सच है कि नहीं है? सच है ना।
20 सालों से यहां कौन सरकार में रहा
तो यह समाज और यह जो सरकारें हैं, यह आपका सम्मान क्यों नहीं कर रही हैं… यह मैं पूछना चाहती हूं, आपने सोचा है कि चुनाव आ रहा है, चुनावके आज शायद एक-डेढ़ महीने पहले हैं हम… चुनाव आ रहा है तो आपको 10,000 रुपए मिल रहे हैं, तो ऐलान हो गया है कि आपको 10,000 रुपए दिए जाएंगे। 20 सालों से यहां कौन सरकार में रहा, 20 सालों से किसने नीतियां बनाईं, 20 सालों से यह 10,000 रुपए आपको क्यों नहींदिए? अब चुनाव आ रहा है तो उन्होंने कह दिया है कि 10,000 रुपए आपको मिलेंगे, लेकिन यह नहीं कह रहे हैं कि हर महीने मिलेंगे, यह नहीं कहरहे हैं कि आपका मानदेय 10,000 रुपए हो जाएगा, कि उसको बढ़ाकर हम आपको 10,000 रुपए देंगे। यह सिर्फ यह कह रहे हैं कि अब बड़ीसंख्या में हम महिलाओं को 10,000 रुपए दे देंगे। क्यों, ताकि आप अपना वोट उनको दें। सिर्फ एक ही मकसद है, एक ही नीयत है। महिला परक्या बीतती है, महिला जब एक जगह से दूसरी जगह जाती है तो असुरक्षित महसूस करती है अपने आपको, अपराध बढ़ गए हैं महिलाओं पर, 10 गुनाबढ़ गए होंगे। यह जो लड़की अभी स्टेज पर आई थी, क्या कह रही थी… कि मैं जब कॉलेज जाती हूं दीदी मुझे डर लगता है। पढ़ाई के लिए जा रहीहै, घर से जा रही है, वापस आ रही है उसको डर लगता है, क्योंकि इस सरकार ने उसको सुरक्षित करने का कोई काम नहीं किया। महिलाओं केबलात्कार हो रहे हैं, अपराध हो रहे हैं महिलाओं पर, यह लोग एफआईआर दर्ज तक नहीं होने देते। जब आप एफआईआर दर्ज करने जाते हैं, मनाकिया जाता है। मैंने बार-बार, बार-बार यह देखा है। मैं यूपी में काम करती थी, पांच साल काम किया, मेरे ख्याल से हर हफ्ते, हर 10 दिन ऐसा एककेस आता था, जहां महिला पर अपराध हुआ है और उसके लिए कोई मदद नहीं है, कोई खड़ा नहीं हो रहा है उसको मदद करने के लिए, वह खुद खड़ीहै।