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हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के बाद भाजपा में बदलाव की आहट शुरू हो गई है। भाजपा के ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने के मकसद सेकांग्रेस ने अहीरवाल बेल्ट के राव नरेंद्र पर विश्वास जताया है।दो दशक में यह पहली बार है जब कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए किसी दलित नेताके बजाय ओबीसी के नेता को नियुक्त किया गया है। कांग्रेस इसे पार्टी की बदली हुई रणनीति बता रही है। वहीं, भाजपा आने वाले दिनों में इसी कोभुना सकती है। भाजपा में भी अध्यक्ष पद का चुनाव होना है। ऐसे में भाजपा अध्यक्ष पद के लिए पार्टी किसी दलित नेता पर दांव खेल सकती है।भाजपा में अध्यक्ष पद का चुनाव पिछले कई महीनों से लंबित है। बताया जा रहा है कि अगले एक महीने के भीतर प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चुनावकी घोषणा की जा सकती है। प्रदेश अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए कुल 117 वोटर हैं।

मोहन लाल बड़ौली का नाम सूची में सबसे ऊपर
इनमें 27 जिला अध्यक्ष और 90 हलका अध्यक्ष शामिल हैं। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में मोहन लाल बड़ौली का नाम सूची में सबसे ऊपरहै। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व पूर्व सीएम मनोहर लाल के करीबी होने के साथ-साथ संगठन के कार्यक्रमों को सफल बनाना उनका दावा मजबूतकरता है। पिछले दिनों सभी बूथों पर मन की बात कार्यक्रम होने पर केंद्रीय हाईकमान ने उनके नेतृत्व को सराहा भी था। मगर कांग्रेस की बदलीरणनीति और मौजूदा हालात को देखते हुए पार्टी दूसरे विकल्प के साथ भी जा सकती है। जाहिर है कि पार्टी अभी 2029 के विधानसभा चुनाव में जुटगई है। विधानसभा चुनाव में हारी सीटों के साथ पार्टी अपने संगठन को मजबूत करने में जुटी है। अध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार तो मोहनलाल बड़ौली ही हैं। मगर दूसरे विकल्प के तौर पर पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार का दावा भी कमजोर नहीं है। दलित बिरादरी से आने वाले कृष्णलाल पंवार शीर्ष नेतृत्व के साथ हरियाणा नेतृत्व के करीबी हैं। भाजपा एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

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