विदेश में भारत का पक्ष रखने गईं कनिमोझी को मिला जोरदार समर्थन
डीएमके सांसद कनिमोझी ने स्पेन में एक कार्यक्रम के दौरान भारत की राष्ट्र भाषा से जुड़े एक जटिल सवाल का ऐसा जवाब दिया कि हॉल देर तकतालियों से गूंजता रहा। वे एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही थीं, जो ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद पर भारतका पक्ष विभिन्न देशों में रख रहा है। इसी दौरान मैड्रिड में भारतीय समुदाय के एक कार्यक्रम में उनसे पूछा गया कि भारत की राष्ट्र भाषा क्या है?
“विविधता में एकता” को बताया भारत की असली पहचान
कनिमोझी ने बेहद हाजिरजवाबी से जवाब देते हुए कहा, “आप भारत की राष्ट्र भाषा के बारे में जानना चाहते हैं… भारत की राष्ट्र भाषा है – विविधता मेंएकता।” उनके इस जवाब को न केवल स्थानीय भारतीय समुदाय ने सराहा, बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह तेजी से वायरल हो गया है। उन्होंने आगेकहा कि यही संदेश पूरी दुनिया तक पहुँचाया जा रहा है और आज के दौर में यही सबसे महत्वपूर्ण बात है।
सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों में एक कर रही है नेतृत्व
भारत सरकार ने 33 देशों में पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों और भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी साझा करने के लिए सात बहुदलीयप्रतिनिधिमंडल भेजे हैं। कनिमोझी स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, लातविया और रूस यात्रा पर गए प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रही हैं। इस दल मेंसमाजवादी पार्टी से राजीव राय, नेशनल कॉन्फ्रेंस से मियां अल्ताफ अहमद, बीजेपी से बृजेश चौटा, आरजेडी से प्रेम चंद गुप्ता, आप पार्टी से अशोककुमार मित्तल, और पूर्व राजनयिक मंजीव सिंह पुरी व जावेद अशरफ शामिल हैं।
तीन-भाषा नीति पर डीएमके का विरोध जारी
डीएमके लंबे समय से केंद्र सरकार की तीन-भाषा नीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का विरोध करती रही है। पार्टी का आरोप है कि केंद्रहिंदी को गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर थोपने की कोशिश कर रहा है। कनिमोझी ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार तमिलनाडु को फंड रोक कर शिक्षाप्रणाली को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जो बच्चों के भविष्य को नुकसान पहुँचा सकती है।
संघवाद और क्षेत्रीय पहचान की रक्षा में डीएमके का रुख स्पष्ट
डीएमके की नीति दो-भाषा प्रणाली (तमिल और अंग्रेज़ी) पर आधारित है और वह क्षेत्रीय भाषाओं की रक्षा को संघीय ढांचे की आत्मा मानती है। पार्टीका यह मानना है कि तीन-भाषा नीति से राज्यों की स्वायत्तता पर आघात होता है और यह क्षेत्रीय अस्मिता के खिलाफ है।