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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश समेत देशभर में सरकारी एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे बुलडोजर एक्शन पर कड़ा रुख अपनाया है। प्रयागराज में 2021 मेंएक वकील, एक प्रोफेसर और तीन महिलाओं के घरों को ढहाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। अदालत ने कहा कि यहनागरिक अधिकारों का उल्लंघन है और इस तरह की कार्रवाई असंवेदनशील है।

प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को आदेश दिया कि पांचों पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। कोर्ट ने कहा कियह कार्रवाई न्याय और विधि-सम्मत प्रक्रियाओं के विपरीत थी, जिससे प्रभावित परिवारों के मूलभूत अधिकारों का हनन हुआ।

बिना समुचित नोटिस के की गई कार्रवाई
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उन्हें उचित नोटिस नहीं दिया गया था। प्रशासन ने 1 मार्च 2021 को नोटिस जारी किया था, लेकिन उन्हें यह 6 मार्चको मिला और मात्र 24 घंटे के भीतर 7 मार्च को उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया गया। अदालत ने इस प्रक्रिया को कानून के खिलाफ बताया औरकहा कि नोटिस और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाना आवश्यक था।

न्यायाधीश ने व्यक्त की चिंता
सुनवाई के दौरान जस्टिस उज्जल भुइयां ने अंबेडकर नगर में हाल ही में हुई एक घटना का उल्लेख किया, जहां अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरानएक बच्ची अपनी किताबें लेकर भागती नजर आई। उन्होंने इस तस्वीर को चिंताजनक बताते हुए कहा कि यह दर्शाता है कि अतिक्रमण हटाने कीप्रक्रिया कितनी अमानवीय हो सकती है।

राज्य सरकार ने किया बचाव
राज्य सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कोर्ट में तर्क दिया कि अवैध कब्जों को हटाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और इसमें उचितप्रक्रिया का पालन किया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की इस कार्रवाई को असंवैधानिक मानते हुए इसे नागरिक अधिकारों का उल्लंघनबताया और पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दिया।

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