
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में नगर निगम शिमला के मेयर और पार्षदों की गुटबाजी सोमवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के सामने भीखुलकर सामने आ गई। ओकओवर में बुलाए पार्षदों के साथ हुई चर्चा के बाद अभी तक यह मामला सुलझा नहीं है। सीएम से मिलने के बाद खफापार्षदों ने खलोनी में बैठक कर रणनीति बनाई। पार्षद, मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल पांच साल बढ़ाने से नाराज हैं तथा बदलाव चाहते हैं।मुख्यमंत्री के सामने ही सोमवार को मेयर और पार्षद आपस में उलझ पड़े। मजबूरन मुख्यमंत्री को कांग्रेस पार्षदों के साथ अलग कमरे में बैठक करनीपड़ी। मेयर-डिप्टी मेयर का कार्यकाल पांच साल करने से नाराज चल रहे कांग्रेस पार्षदों को शांत करने के लिए मुख्यमंत्री ने सभी 24 पार्षदों को सुबह10:00 बजे ओकओवर बुलाया था। महापौर सुरेंद्र चौहान और उपमहापौर उमा कौशल समेत कांग्रेस के 23 पार्षद सुबह 10:15 बजे ओकओवरपहुंचे। मुख्यमंत्री करीब 11:00 बजे मेवर और पार्षदों से मिलने आए। इस दौरान शहरी विधायक हरीश जनारथा भी बैठक में मौजूद रहे।
जनारथा ने पार्षदों की नाराजगी की बात बताई
बैठक शुरू होते ही कांग्रेस महिला पार्षदों ने कहा कि उन्हें मेयर के सामने बात नहीं करनी है। इसमें जिन 13 पार्षदों ने कार्यकाल बढ़ाने फैसले केखिलाफ हस्ताक्षर किए हैं, उनसे अलग से बात की जाए। इस पर मेयर सुरेंद्र चौहान भड़क गए। बोले कि निगम में कोई ग्रुप नहीं है, सब उनके साथहैं। इसलिए यहीं पर सबके सामने बात होगी। इस पर मुख्यमंत्री ने मेयर को फटकार लगा दी। उन्होंने कहा कि सभी पार्षदों को अपनी बात रखने काहक है। मेयर को अपना व्यवहार ठोक रखना चाहिए। इसके बाद 13 पार्षदों को मुख्यमंत्री अलग कमरे में ले गए। बैठक में मौजूद पार्षदों ने दावाकिया कि मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि कैबिनेट की बैठक से ठीक दो दिन पहले शहरी विधायक हरीश जनारथा ने पार्षदों की नाराजगी की बातबताई थी। इसलिए उन्होंने कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताब को लंबित कर दिया था। हालांकि एक मंत्री ने कहा कि विधानसभा सत्र से पहले अध्यादेशलाना जरूरी है, इसलिए इस पर फैसला लेना पड़ा।
यहां आने से किसी को नहीं रोक सकते
मुख्यमंत्री ने जिन 13 पार्षदों से अलग कमरे में बात की इनमें पार्षद कांता सुयाल, सिम्मी नंदा, अतुल गौतम, चमन प्रकाश, उर्मिला कश्यप, अनीताशर्मा, कुलदीप ठाकुर, नरेंद्र ठाकुर, विनीत शर्मा, शांता वर्मा, राम रतन वर्मा, अंकुश वर्मा और उमंग शामिल है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नेआश्वासन दिया है, लिहाजा कांग्रेस के सभी बागी पंद्रह पार्षद एकजुट हैं। इसके अलावा कांग्रेस के 9 और माकपा का एक पार्षद उनके साथ है। रीस्टरप्रक्रिया के तहत महिलाओं के हक पर काम नहीं हुआ तो अविश्वास प्रस्ताव लाकर चुनौती दी जा सकती है। इस मामले को लेकर शहर में चर्चा कामाहौल गरमाया रहा। मुख्यमंत्री के साथ अलग कमरे में हुई बैठक में पार्षदों ने कहा कि उनके वार्ड में नहीं हो रहे हैं। मेयर के चहेते पार्षदों के बाड़ों मेंकरोड़ों के काम चल रहे हैं। काम पार्षदों ने कहा कि वह बदलाव चाहते हैं। किसी दूसरे पार्षद को मेवर और डिप्टी मेयर पद पर मौका मिलना चाहिए।महिलाओं का जी हक है यह मिलना चाहिए। महापौर दफ्तर जाते हैं तो वहां पर हर समय ठेकेदार बैठे रहते हैं। इस पर सीएम ने महापौर से सवालकिया। महापौर ने कहा कि वह पब्लिक ऑफिस है और वह यहां आने से किसी को नहीं रोक सकते हैं।