
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने लद्दाख प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत की गई उनकेपति की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 24 सितंबर को लद्दाख में हुई हिंसक झड़पों के बाद उन्हें हिरासत में लेलिया गया था। जिसके बाद से वह राजस्थान की जोधपुर जेल में बंद हैं।वांगचुक को लद्दाख में प्रदर्शनों के दो दिन बाद 26 सितंबर को कड़े राष्ट्रीयसुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर उसकेंद्र शासित प्रदेश में हुए विरोध प्रदर्शनों में चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 लोग घायल हो गए थे।
वांगचुक से कोई संपर्क नहीं हो पाया
गीतांजलि आंगमो ने दो अक्तूबर को शीर्ष अदालत में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अपनी याचिका दायर की है। आंगमो ने सोनम वांगचुक केखिलाफ एनएसए कानून के तहत कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीचहुई झड़प के बाद लेह में भड़की हिंसा के कुछ दिनों बाद सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया गया था।आंगमो ने वकील सर्वम रीतम खरे के माध्यम सेदायर अपनी याचिका में वांगचुक की हिरासत को चुनौती दी है और उनकी तत्काल रिहाई का अनुरोध किया है। याचिका में वांगचुक पर रासुका लगानेके फैसले पर भी सवाल उठाए गए हैं। आंगमो ने आरोप लगाया कि उन्हें अभी तक हिरासत आदेश की प्रति नहीं मिली है, जो नियमों का उल्लंघन है।इसके अलावा, उन्होंने कहा कि उनका अभी तक वांगचुक से कोई संपर्क नहीं हो पाया है।
प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी
इससे पहले गीतांजलि जे. आंगमो ने लद्दाख के पुलिस महानिदेशक के बयानों को झूठा और गढ़ी गई कहानी बताते हुए कहा था कि यह एक सोची-समझी साजिश है, जिसके जरिए किसी को फंसाकर मनमर्जी करने की कोशिश हो रही है। गीतांजलि ने कहा था, ‘हम डीजीपी के बयान की कड़ी निंदाकरते हैं। सिर्फ मैं ही नहीं, बल्कि पूरा लद्दाख इन आरोपों को खारिज करता है। ये एक बनावटी कहानी है, ताकि किसी को बलि का बकरा बनाया जासके और वे जो चाहें वो कर सकें।’उन्होंने सवाल उठाया था कि सीआरपीएफ को गोली चलाने का आदेश किसने दिया? अपने ही नागरिकों पर गोलीकौन चलाता है? खासकर वहां, जहां कभी हिंसक प्रदर्शन नहीं हुए। गीतांजलि का कहना था कि सोनम वांगचुक का इस पूरी घटना से कोई लेना-देनानहीं था। वे तो उस समय किसी और जगह शांतिपूर्वक भूख हड़ताल पर बैठे थे। वे वहां मौजूद ही नहीं थे, तो वे किसी को कैसे उकसा सकते हैं?अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन किया गया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहतपूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटा गया। इसमें जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासितप्रदेश बनाया गया। वहीं, लद्दाख को बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। इस बदलाव के तहत जम्मू कश्मीर में पिछलेसाल नई विधानसभा का भी गठन हो गया। वहीं, दूसरी ओर राज्य पुनर्गठन के साथ ही लद्दाख में इस केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची में शामिलकरने और इसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठने लगी। इसे लेकर अलग-अलग समय पर प्रदर्शन हुए। इन्हीं मांगो को लेकर चल रहे ताजा प्रदर्शनके दौरान हिंसा भड़क उठी।