हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्तियों को अवैधकरार दिया। अदालत ने इस प्रक्रिया को “त्रुटिपूर्ण” बताया और कलकत्ता हाई कोर्ट के 22 अप्रैल 2024 के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें इननियुक्तियों को रद्द कर दिया गया था।
राहुल गांधी की राष्ट्रपति से मानवीय हस्तक्षेप की मांग
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 7 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर इस फैसले के प्रभाव से प्रभावित शिक्षकों के पक्ष मेंदखल देने की अपील की। उन्होंने पत्र में कहा कि वे ‘शिक्षक-शिक्षिका अधिकार मंच’ के प्रतिनिधियों से मिलने के बाद इस मामले में पत्र लिखने कोप्रेरित हुए।
बेदाग उम्मीदवार भी हुए प्रभावित
राहुल गांधी ने अपने पत्र में इस बात पर चिंता व्यक्त की कि न्यायिक फैसलों के बाद उन उम्मीदवारों को भी सेवा से हटा दिया गया, जिनका चयन पूरीतरह निष्पक्ष और नियमों के अनुसार हुआ था। उन्होंने कहा कि “दागी” और “बेदाग” दोनों तरह के शिक्षकों को एक ही तरीके से सेवा से हटानान्यायसंगत नहीं है।
एक दशक की सेवा, फिर भी नौकरी गई
उन्होंने कहा कि अधिकतर ‘बेदाग’ शिक्षक लगभग 10 वर्षों से अपनी सेवा दे रहे थे और उनकी बर्खास्तगी न केवल उनके परिवारों के लिए आय कासंकट बन गई है, बल्कि इससे छात्रों की शिक्षा भी प्रभावित होगी, क्योंकि कक्षाएं बिना पर्याप्त शिक्षकों के चलेंगी।
शिक्षकों की पीड़ा और छात्रों पर असर
राहुल गांधी ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि वे एक पूर्व शिक्षिका होने के नाते इस स्थिति की मानवीय लागत को समझें। उन्होंने कहा कि शिक्षकों कीसेवा समाप्ति से उनका मनोबल टूटेगा और शिक्षा व्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा।
निष्पक्ष चयनित शिक्षकों को राहत देने की मांग
अपने पत्र के अंत में उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि सरकार को निर्देशित किया जाए कि निष्पक्ष चयन प्रक्रिया से चयनित शिक्षकों को अपनीसेवा जारी रखने की अनुमति दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग अनियमितता के दोषी हैं, उन्हें न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए, लेकिननिर्दोषों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।