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भारतीय राजनीति के एक गौरवशाली अध्याय का अंत हो गया है। भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य, भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश के प्रथमअध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा का मंगलवार, 30 सितंबर 2025 को 94 वर्ष की आयु में दिल्ली केएम्स अस्पताल में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और एम्स में उनका इलाज जारी था।उनके निधन की खबर से राजनीतिक, सामाजिक और राष्ट्रवादी जगत में शोक की लहर दौड़ गई है। विभिन्न दलों के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और लाखों कार्यकर्ताओं ने उन्हेंभावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है. प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा का जीवन “राष्ट्र प्रथम” की भावना के लिए समर्पित रहा उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवनकी शुरुआत 1960 के दशक में भारतीय जनसंघ से की अपने शुरुआती दौर में ही उन्होंने दिल्ली में संघ की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने काकार्य किया और एक सशक्त राष्ट्रवाद की नींव को मजबूत किया.

न्यायिक प्रणाली को भी सुदृढ़ करने के लिए कार्यरत रहे
वे उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे, जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मदनलाल खुराना, केदारनाथ साहनी जैसे दिग्गजों के साथन सिर्फ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया, बल्कि पार्टी को संगठनात्मक रूप से विस्तार देने में भी अग्रणी भूमिका निभाई. 1980 में जब भाजपा कागठन हुआ, तो प्रो. मल्होत्रा को दिल्ली प्रदेश का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया उनका नेतृत्व न केवल पार्टी के ढांचे को संगठित करने में सहायकसिद्ध हुआ, बल्कि उन्होंने भाजपा को दिल्ली की सड़कों से संसद तक पहुंचाने की आधारशिला रखी. उनकी सादगी, अनुशासन और संगठन निष्ठा कीमिसाल आज भी दी जाती है. उनका घर पार्टी नेताओं के लिए नीति निर्धारण का केंद्र बना रहा। 1960-70 के दशक में, जब आडवाणी जी उनकेसरकारी आवास के फ्रंट ऑफिस में बैठते थे, वहीं से डीएमसी एल्डरमैन की सूची बनी थी, जिसने दिल्ली की राजनीति की दशा और दिशा तय की।वेन केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि शासन और न्यायिक प्रणाली को भी सुदृढ़ करने के लिए कार्यरत रहे.

जमीन पर मजबूत आधार देने का कार्य किया
उन्होंने समय-समय पर केंद्रीय एजेंसियों को सुझाव और सहयोग देकर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की भाजपा के संस्थापक काल में जहांअटल बिहारी वाजपेयी विचारों की भावुकता के प्रतीक थे और आडवाणी संगठन की कुशलता के पर्याय बने, वहीं प्रो. मल्होत्रा ने इन दोनों धाराओं कोसंतुलित करते हुए पार्टी को जमीन पर मजबूत आधार देने का कार्य किया. उनकी राजनीति में जहां सैद्धांतिक कठोरता दिखती थी, वहीं निजी जीवन मेंवे उतने ही सरल, सौम्य और अनुशासित थे। उनका जीवन हर कार्यकर्ता के लिए यह संदेश छोड़ता है कि “राजनीति केवल सत्ता के लिए नहीं, सेवाऔर सिद्धांत के लिए होती है” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा, दिल्ली भाजपा केवरिष्ठ नेता, आरएसएस प्रमुख, और सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की.

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