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नई दिल्ली – भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में बड़ा और अहम बदलाव करते हुए मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) के नएअध्यक्ष के रूप में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी की नियुक्ति की है। यह कदम भारत की सुरक्षा व्यवस्था को औरअधिक सुदृढ़ एवं दूरदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस नियुक्ति के साथ यह संकेत दिया हैकि देश की सुरक्षा नीति अब और अधिक रणनीतिक, व्यावहारिक और अनुभवी नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ रही है।

कौन हैं आलोक जोशी?
आलोक जोशी 1978 बैच के हरियाणा कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं। उन्होंने देश की बाहरी खुफिया एजेंसी RAW के प्रमुख केरूप में 2012 से 2014 तक कार्यभार संभाला था। अपने कार्यकाल में उन्होंने आतंकवाद रोधी नीति, सीमा पार निगरानी, और अंतरराष्ट्रीय खुफियासहयोग जैसे जटिल मसलों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

जोशी को खुफिया तंत्र में उनकी गहरी समझ, शांत नेतृत्व शैली और राष्ट्रीय हितों के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। RAW प्रमुख के रूप मेंकार्यकाल के बाद से वे रणनीतिक विषयों पर केंद्र और थिंक टैंक के साथ जुड़कर सलाहकार की भूमिका निभा रहे थे।

NSAB क्या है और इसका महत्व क्यों है?
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB), भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) के तहत कार्य करने वाली एक सलाहकार संस्था है। इसका मुख्यकार्य देश की दीर्घकालिक रणनीतिक योजनाओं पर विचार करना, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर विश्लेषण देना और प्रधानमंत्री को सुझाव देनाहोता है।

यह बोर्ड रणनीतिक थिंक टैंक, पूर्व सैन्य अधिकारियों, वैज्ञानिकों, राजनयिकों और खुफिया विशेषज्ञों से मिलकर बनता है। इसका अध्यक्ष अक्सर ऐसाव्यक्ति होता है, जिसे व्यापक सुरक्षा अनुभव और दीर्घकालिक दृष्टिकोण हो।

सरकार का उद्देश्य: रणनीतिक दृष्टिकोण को मजबूत करना
मोदी सरकार ने बीते कुछ वर्षों में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को आक्रामक और सक्रिय रूप देने की दिशा में कई अहम बदलाव किए हैं – फिर चाहेवह सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक हो, साइबर सुरक्षा को लेकर नीति हो, या फिर समुद्री सुरक्षा को लेकर बढ़ती चौकसी।

आलोक जोशी की नियुक्ति इसी क्रम में एक तार्किक अगला कदम मानी जा रही है। वे खुफिया संचालन और रणनीतिक विश्लेषण दोनों के माहिरमाने जाते हैं। सरकार को विश्वास है कि उनके नेतृत्व में NSAB देश की सुरक्षा को लेकर ज्यादा व्यावहारिक, समन्वित और दूरदर्शी दृष्टिकोणविकसित कर सकेगा।

भविष्य की चुनौतियाँ और NSAB की भूमिका
भारत को वर्तमान समय में कई जटिल सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है — चीन के साथ सीमा विवाद, पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद, साइबर हमलों का खतरा, समुद्री सुरक्षा, आंतरिक कट्टरपंथ, और तकनीकी जासूसी जैसे मुद्दे। ऐसे में NSAB की भूमिका अब केवल सुझाव देने तकसीमित नहीं रह सकती। उसे नीतिगत प्रक्रिया में प्रत्यक्ष भागीदारी निभानी होगी।

आलोक जोशी के नेतृत्व में बोर्ड से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह नई पीढ़ी की तकनीकों, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा, क्वांटमसाइबर सुरक्षा आदि के संदर्भ में भारत की सुरक्षा नीति को आधुनिक बनाए।

पूर्व अध्यक्षों की भूमिका और तुलना
NSAB के पहले भी कई प्रतिष्ठित लोग अध्यक्ष पद पर रहे हैं, जिनमें के. सुब्रमण्यम जैसे रणनीतिक विशेषज्ञ शामिल हैं। हाल के वर्षों में यह बोर्डअपेक्षाकृत शांत पड़ा था, लेकिन अब सरकार इसे फिर से सक्रिय करना चाहती है।

आलोक जोशी की नियुक्ति यह संकेत देती है कि सरकार NSAB को फिर से नीतिगत रूप से केंद्रीय भूमिका में लाने की तैयारी में है, विशेषकर तबजब भारत एक उभरती वैश्विक शक्ति के रूप में अपने सामरिक हितों का विस्तार कर रहा है।

राजनीतिक और रणनीतिक संदेश
यह नियुक्ति सिर्फ प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि एक बड़ा रणनीतिक संदेश भी है। इससे यह संकेत गया है कि सरकार अब “रिएक्टिव” नहीं, बल्कि”प्रोएक्टिव” सुरक्षा नीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है। आलोक जोशी जैसे अनुभवी अधिकारी को इस पद पर नियुक्त करना बताता है कि भारत अबखुफिया और रणनीतिक नीतियों में स्थायित्व और अनुभव को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।

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