
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र पाल गौतम ने पत्रकारों से बात करते हुए आरोप लगाया कि वर्ष 2014 के बाद से देश में एक नया राजनीतिक माहौलबना है, जिसमें दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के साथ हो रहे उत्पीड़न के मामलों में सरकारें पीड़ितों की बजाय आरोपियों केसाथ खड़ी दिखाई देती हैं।
उन्होंने कहा कि पहले की सरकारों में जहां पीड़ितों को न्याय मिलता था, वहीं अब उत्पीड़न करने वालों को संरक्षण और इनाम दिए जा रहे हैं।
रोहित वेमुला की मौत, संस्थागत अन्याय का प्रतीक
राजेंद्र पाल गौतम ने 17 जनवरी 2016 को हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या को ‘संस्थागत हत्या’ करार दिया। उन्होंनेबताया कि रोहित का सात महीने तक छात्रवृत्ति रोकी गई, जिससे उस पर भारी आर्थिक दबाव पड़ा। यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा लगातार प्रताड़ित किएजाने और अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन की आवाज को दबाने के लिए राजनीतिक दखल दिया गया।
एन सुशील कुमार द्वारा अपमानजनक टिप्पणियों के बावजूद माफी की बजाय झूठे मुकदमे किए गए और केंद्र सरकार के प्रभावशाली मंत्रियों नेयूनिवर्सिटी प्रशासन को रोहित और उनके साथियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मजबूर किया।
भाजपा नेताओं की कथित भूमिका और राजनीतिक संरक्षण
गौतम ने आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं की प्रत्यक्ष भूमिका रही चाहे वे बंडारू दत्तात्रेय हों, स्मृति ईरानी हों या रामचंदर राव। उन्होंने बताया कि नकेवल रोहित वेमुला को हॉस्टल से निकाला गया, बल्कि ऐसी परिस्थितियां पैदा की गईं कि उसे आत्महत्या का कदम उठाना पड़ा।
उन्होंने यह भी कहा कि इसके बावजूद इन नेताओं को सज़ा देने की बजाय भाजपा ने उन्हें ऊंचे पदों पर बैठाया। दत्तात्रेय को हरियाणा का राज्यपालबना दिया गया, एन सुशील कुमार को दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त किया गया और रामचंदर राव को तेलंगाना प्रदेश भाजपाअध्यक्ष बनाया गया।
राहुल गांधी की भूमिका और कांग्रेस का रुख
गौतम ने कहा कि राहुल गांधी ने रोहित वेमुला की मौत के बाद लगातार न्याय की मांग की, उनकी मां से मुलाकात की और संसद से लेकर सड़क तकइस विषय को उठाया। कांग्रेस, अंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन और अन्य प्रगतिशील संगठन हमेशा पीड़ितों के साथ खड़े रहे हैं।
अन्य संस्थानों में भी दोहराया जा रहा अन्याय
गौतम ने कहा कि देशभर की केंद्रीय विश्वविद्यालयों, IITs, IIMs, और मेडिकल कॉलेजों में समान उत्पीड़न की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।उन्होंने एम्स में एक मीणा समुदाय के छात्र की आत्महत्या और सफदरजंग मेडिकल कॉलेज में 25 छात्रों को जानबूझकर फेल करने की घटनाओं कोउदाहरण के तौर पर सामने रखा।
उन्होंने कहा कि बाद में इन छात्रों की उत्तरपुस्तिकाएं न्यायालय के आदेश पर दोबारा जांची गईं, जिसमें वे सभी पास पाए गए।
‘रोहित वेमुला एक्ट’ की आवश्यकता और प्रगति
राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ‘रोहित वेमुला एक्ट’ बनाया जाना अनिवार्य है। उन्होंने बताया किकांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रायपुर अधिवेशन में इस कानून को लाने का प्रस्ताव रखा था और अब कांग्रेस-शासित राज्य जैसे कर्नाटक और तेलंगानामें इसे लागू करने की दिशा में सक्रिय पहल की जा रही है।
इस कानून में विश्वविद्यालयों में उत्पीड़न के शिकार छात्रों के लिए काउंसलिंग, शिकायत केंद्र और विशेष तंत्र बनाने का प्रस्ताव है, जिससे दलित, आदिवासी, ओबीसी और अल्पसंख्यक छात्रों को सम्मानजनक शैक्षणिक वातावरण मिल सके।