
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में सुनाई गई फांसी की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए हामी भर दी है।अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को निर्धारित की है, जबकि यमन में फांसी की संभावित तारीख 16 जुलाई बताई जा रही है।याचिका में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि वह कूटनीतिक स्तर पर हस्तक्षेप करते हुए निमिषा की जान बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
2017 में हत्या का आरोप, 2020 में सुनाई गई थी सजा
निमिषा प्रिया, जो केरल के पलक्कड़ जिले की निवासी हैं, पर 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या का आरोप लगा था। उन्हें 2020 मेंमौत की सजा सुनाई गई थी और 2023 में उनकी अंतिम अपील भी खारिज कर दी गई। फिलहाल वे यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं।
शरिया कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ का विकल्प
याचिका में अधिवक्ता सुभाष चंद्रन केआर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शरिया कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ का प्रावधान मौजूद है, जिसके तहत यदिमृतक के परिवार को मुआवजा दिया जाए और वे इसे स्वीकार कर लें, तो सजा माफ हो सकती है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि भारत सरकार इसदिशा में तेजी से कूटनीतिक पहल करे, ताकि फांसी को रोका जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से मांगी सहायता
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अटॉर्नी जनरल की राय मांगी है और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह याचिका की एक प्रति अटॉर्नीजनरल को उपलब्ध कराएं। यह याचिका ‘सेव निमिषा प्रिया – इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ नामक संगठन की ओर से दायर की गई है, जो निमिषाको कानूनी सहायता देने के लिए सक्रिय है।
फैसले पर टिकी 38 वर्षीय नर्स की जिंदगी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यमन प्रशासन ने निमिषा प्रिया की फांसी की तारीख 16 जुलाई तय कर दी है। ऐसे में यह मामला अब पूरी तरह भारतसरकार के कूटनीतिक प्रयासों और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है। निमिषा का परिवार और समर्थन समूह भारत सरकार से उम्मीद कर रहे हैंकि अंतिम समय में कोई रास्ता निकले और उनकी जान बचाई जा सके।