रामपुर मनी गांव की दलित बस्ती में लगी भीषण आग
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बरियारपुर थाना क्षेत्र के रामपुर मनी गांव की एक दलित बस्ती में अचानक आग लगने से हाहाकार मच गया। इस हादसेमें लगभग दो दर्जन से अधिक घर जलकर राख हो गए। आग इतनी भयंकर थी कि चार बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि कई अन्य बच्चे अबभी लापता हैं। मृतकों की पहचान अंशिका कुमारी (5 वर्ष), ब्यूटी कुमारी (8 वर्ष), सृष्टि कुमारी (6 वर्ष), और विपुल कुमार (10 वर्ष) के रूप में हुईहै। इनमें से तीन बच्चे एक ही परिवार से थे।
लापता बच्चों की तलाश जारी
अधिकारियों के अनुसार, लापता बच्चों की तलाश में रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। आग पर काबू पाने के लिए दमकल की कई गाड़ियां मौकेपर पहुंची और घंटों की मशक्कत के बाद स्थिति को नियंत्रित किया गया।
भगवानपुर में मिठाई की दुकान में सिलेंडर ब्लास्ट
एक अन्य घटना में भगवानपुर यादव नगर चौराहे स्थित मिठाई की दुकान में गैस सिलेंडर फटने से भीषण आग लग गई। दुकान में कई सिलेंडर रखे हुएथे, जिससे एक के बाद एक कई धमाके हुए। इस घटना में पांच दुकानें जलकर खाक हो गईं। स्थानीय लोगों ने बहादुरी दिखाते हुए कई सिलेंडरों कोसमय रहते बाहर निकाल दिया, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई।
चिराग पासवान का घटना पर दुख और त्वरित कार्रवाई का आग्रह
लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने इस हृदयविदारक हादसे को “जीती-जागती त्रासदी” करार दिया। उन्होंने सभी पूर्व निर्धारित कार्यक्रमोंको रद्द कर मुजफ्फरपुर जाने का निर्णय लिया है। सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उन्होंने मृतकों के प्रति शोक व्यक्त किया और राज्य सरकार सेपीड़ितों के लिए मुआवजा, घायलों को बेहतर इलाज और मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
प्रभावित परिवारों के लिए राहत कार्य
चिराग पासवान ने पार्टी कार्यकर्ताओं को तुरंत राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी स्थानीय स्तर पर राहत और पुनर्वास कार्योंकी निगरानी करेगी।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और मुआवजे की घोषणा
जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने मौके का निरीक्षण कर घटना की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि आग लगने का कारण घरेलू गैस सिलेंडर का विस्फोटहै। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है और प्रभावितों की सहायता के लिए राहत कार्य जारी है।
जांच और सहायता प्रक्रिया जारी
फिलहाल स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया है और पीड़ितों के पुनर्वास के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। प्रशासन द्वारा क्षतिका मूल्यांकन किया जा रहा है और लापता बच्चों की तलाश अब भी जारी है।