
राष्ट्रीय महिला आयोग ने भारत के साइबर कानूनों की व्यापक समीक्षा की मांग की है ताकि महिलाओं की डिजिटल सुरक्षा, गोपनीयता और ऑनलाइनजवाबदेही को मजबूत किया जा सके। आयोग ने अपने कानूनी समीक्षा हेतु अनुशंसात्मक रिपोर्ट 2024-25 में सरकार से ऐसे सशक्त कानूनों कीजरूरत बताई है जो न केवल अपराधियों को दंडित करें बल्कि महिलाओं की गरिमा और डिजिटल स्वतंत्रता की रक्षा भी करें। यह रिपोर्ट कानून एवंन्याय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, महिला एवं बाल विकास, और गृह मंत्रालय को सौंपी गई है। रिपोर्ट का उद्देश्य भारत की साइबर कानूनीसंरचना को लैंगिक दृष्टिकोण से पुनर्गठित करना है। वर्षभर चले इस अभियान में देशभर में आठ क्षेत्रीय और दो राष्ट्रीय परामर्श बैठकें आयोजित कीगईं, जिनमें न्यायविदों, तकनीकी विशेषज्ञों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, पुलिस अधिकारियों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
संशोधन की सिफारिश की गई
आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने कहा कि डिजिटल दुनिया ने महिलाओं के लिए सीखने, रोजगार और अभिव्यक्ति के अनगिनत अवसर खोले हैं, लेकिन साथ ही यह नए प्रकार के खतरे और भय का केंद्र भी बन गई है। उन्होंने कहा कि आयोग ऐसी डिजिटल व्यवस्था चाहता है जहां कानून केवलदंड देने तक सीमित न हों बल्कि महिलाओं की गरिमा और आत्मविश्वास की भी रक्षा करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि साइबर सुरक्षा अबमहिलाओं के सशक्तिकरण का एक अहम स्तंभ बन चुकी है। रिपोर्ट में 200 से अधिक ठोस सुझाव दिए गए हैं। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2002, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम, 2023, और भारतीय न्याय संहिता, 2023 में संशोधन की सिफारिश की गई है। आयोग नेऑनलाइन उत्पीड़न के मामलों में कड़ी सजा, पीड़ित मुआवजा फंड, निजी डेटा की सुरक्षा, और गैर-सहमति वाले कंटेंट को तुरंत हटाने की व्यवस्था परजोर दिया है। साथ ही, आईटी अधिनियम की धाराओं 66, 66C और 66D के तहत सजा बढ़ाने और धमकी देने वाले मामलों को शामिल करने कीसिफारिश की गई है।
महिलाएं डिजिटल माध्यमों में सुरक्षित रह सकें
एनसीडब्ल्यू ने एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से बनाए गए फर्जी फोटो या वीडियो को भी आईटी नियमों में शामिल करने की बात कही है। आयोग नेऑनलाइन कार्यस्थलों में यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए पीओएसएच अधिनियम, 2013 का दायरा बढ़ाने और महिलाओं की अशोभनीय प्रस्तुतिअधिनियम, 1986 में संशोधन की भी सिफारिश की। इसके अलावा, बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर पोक्सो अधिनियम में भी बदलाव कीअनुशंसा की गई है। रिपोर्ट में डिजिटल साक्षरता और समुदाय-आधारित जागरूकता बढ़ाने पर भी बल दिया गया है ताकि महिलाएं डिजिटल माध्यमोंमें सुरक्षित रह सकें। राष्ट्रीय महिला आयोग ने महिलाओं की ऑनलाइन सुरक्षा और गोपनीयता को सशक्त बनाने के लिए भारत के साइबर कानूनों कीसमीक्षा की सिफारिश की है। आयोग की रिपोर्ट में आईटी अधिनियम, डेटा प्रोटेक्शन कानून और न्याय संहिता में बदलाव की मांग भी की गई है।