
मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र भर में सियासी गर्माहट तेज हो गई है। इसी बीच राज्य के मंत्री और राज्य मंत्रिमंडल की मराठा आरक्षण पर बनी उप-समिति के प्रमुख राधाकृष्ण विखे पाटिल ने एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि 1994 में मंडल आयोगकी सिफारिशों को लागू करते समय पवार ने अगर मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल किया होता, तो आज यह आरक्षण विवाद खड़ा ही नहींहोता।
ये बात मंत्री पाटिल ने जलगांव के अंतरवाली सराटी गांव में मराठा आरक्षण आंदोलनकारी मनोज जरांगे से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बात करते हुएकहा। इस दौरान विखे पाटिल ने कहा कि यह एक निजी भेंट थी। मैं सिर्फ उनकी तबीयत जानने आया था। हमने कुछ सामान्य मुद्दों पर चर्चा की।
सभी को कोर्ट का निर्णय स्वीकार करना चाहिए
विखे पाटिल ने आगे कहा कि शरद पवार को अब सामने आकर अपने रुख को स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने मराठाओं को ओबीसी में शामिल न करकेसामाजिक असमानता की नींव रखी। आज की स्थिति के लिए वही जिम्मेदार हैं। उन्होंने ओबीसी नेताओं से अपील की कि वे मराठा आरक्षण काविरोध न करें, क्योंकि हाईकोर्ट ने फिलहाल इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। उन्होंने मंत्री छगन भुजबळ से भी आरक्षण का विरोध न करनेकी अपील की। इस दौरान विखे पाटिल ने कहा कि दो सितंबर को सरकार द्वारा जारी किया गया जीआर (सरकारी आदेश), जिसमें मराठा समुदाय केउन सदस्यों को कुंभी जाति प्रमाणपत्र देने की बात है जो अपने ओबीसी मूल को साबित कर सकते हैं, फिलहाल बॉम्बे हाईकोर्ट में विचाराधीन है।उन्होंने कहा कि जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आता, मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन सभी को कोर्ट का निर्णय स्वीकार करना चाहिए।
उनसे अपना रुख स्पष्ट करने की मांग
मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में सियासी घमासान तेज है। मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर1994 में मंडल आयोग लागू करते वक्त मराठा समाज को ओबीसी में शामिल किया गया होता, तो आज का विवाद नहीं होता। उन्होंने पवार परसामाजिक असमानता की नींव रखने का आरोप लगाया और उनसे अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की।