
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 24 नवंबर को एक आंतरिक बैठक करेगी, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के महासचिव अभिषेक बनर्जी करेंगे। इस बैठक कामकसद विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की समीक्षा और यह सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता सूची में कोई भी नाम छूट न जाए। इसकेअलावा, पार्टी 25 नवंबर को एसआईआर के खिलाफ रैली भी आयोजित कर सकती है। वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य मेंजारी एसआईआर प्रक्रिया को लेकर गंभीर चिंता जताई है और चुनाव आयोग से तत्काल दखल देने की अपील की है। उन्होंने इस संबंध में शुक्रवार कोअपने पुराने पत्र को भी एक्स पर साझा किया। उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया को ‘योजना विहीन, अव्यवस्थित और खतरनाक’ बताया। ममता बनर्जी ने कहाकि प्रशिक्षण की कमी, जरूरी दस्तावेजों को लेकर स्पष्ट जानकारी न होना और मतदाताओं से उनकी कामकाजी दिनचर्या के बीच मिल पाना लगभगअसंभव होना। इन सभी वजहों से यह प्रक्रिया ठीक से चल ही नहीं पा रही है। मुख्यमंत्री ने इससे एक दिन पहले यानी गुरुवार को भी मुख्य चुनावआयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि प्रशिक्षण में गंभीर कमी, जरूरी दस्तावेजों को लेकर स्पष्टता न होना और लोगों कीरोजमर्रा की जीविका के चलते उनसे समय पर मुलाकात न हो पाना..इन सबने इस प्रक्रिया को शुरू से ही कमजोर और अस्थिर बना दिया है। अपनेताजा पत्र में ममता बनर्जी ने लिखा कि राज्य में चल रही एसआईआर प्रक्रिया बेहद चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया कोअधिकारियों और आम लोगों पर जिस तरह थोपा जा रहा है, वह न सिर्फ अव्यवस्थित है बल्कि खतरनाक भी है। उन्होंने आरोप लगाया कि शुरू से हीतैयारी, योजना और स्पष्ट निर्देशों की कमी रही, जिससे पूरा काम प्रभावित हुआ है।
सूची से हट सकता
मुख्यमंत्री ने बताया कि बूथ स्तर के अधिकारी यानी बीएलओ भारी दबाव में काम कर रहे हैं। उन्होंने ऑनलाइन डाटा भरने में दिक्कतें आ रही हैं, सर्वरठीक से काम नहीं कर रहा और प्रशिक्षण भी पर्याप्त नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि इतनी भारी जिम्मेदारी, कम समय और तकनीकी दिक्कतों कीवजह से मतदाता डाटा गलत होने का खतरा बढ़ गया है। यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए गंभीर चुनौती है। उन्होंने आगे कहा कि बीएलओइंसानी सीमा से बाहर जाकर काम कर रहे हैं। कई बीएलओ शिक्षक और अग्रिम मोर्चा के कार्यकर्ता भी हैं, जिन्हें अपनी नियमित ड्यूटी के साथ-साथघर-घर सर्वे और ऑनलाइन फॉर्म भरने का काम करना पड़ रहा है। प्रशिक्षण की कमी, सर्वर की गड़बड़ियों और बार-बार डाटा मैच न होने की वजह सेउन्हें लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ममता बनर्जी ने चेतावनी दी कि एसआईआर की खामियों की वजह से कई असली मतदाता वोटरलिस्ट से बाहर हो सकते हैं, जबकि पूरी मतदाता सूची की विश्वसनीयता भी प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि चार दिसंबर तक कई विधानसभाक्षेत्रों का सही-सही डाटा अपलोड कर पाना लगभग नामुमकिन है। उन्होंने यह भी कहा कि दबाव में कई बीएलओ गलत या अधूरा डाटा जमा करसकते हैं, जिससे सही मतदाताओं का नाम सूची से हट सकता है।
मतदाताओं को बचाना
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया कि इतनी कठिन परिस्थिति में सहयोग देने के बजाय चुनाव आयोग बीएलओ को डराने-धमकाने में लगा है। उन्होंनेकहा कि बिना ठोस वजह के कारण बताओ नोटिस भेजे जा रहे हैं और पहले से परेशान बीएलओ को अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी दी जा रहीहै, जबकि आयोग को वास्तविक स्थिति समझने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि यह पूरी प्रक्रिया ऐसे समय हो रही है, जब राज्य में कृषिका चरम सीजन चल रहा है। किसानों और मजदूरों के लिए इस दौरान इन प्रक्रियाओं में हिस्सा लेना बेहद मुश्किल होता है। इससे मतदाताओं केजुड़ाव पर भी असर पड़ रहा है। वहीं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने एसआईआर को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से चुनावआयोग को भेजे गए पत्र के जवाब में चुनाव आयोग को अपना पत्र सौंपा है। गुरुवार को लिखे अपने इस पत्र में अधिकारी ने आरोप लगाया कि ममताबनर्जी का संदेश चुनाव आयोग के सांविधानिक अधिकार को कमजोर करने की सोची-समझी कोशिश है। उन्होंने दावा किया कि इस पत्र का मकसदचुनाव अधिकारियों के बीच भ्रम फैलाना और उन मतदाताओं को बचाना है जिन्हें वे गैरकानूनी और अयोग्य बता रहे हैं।