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मध्य प्रदेश के भोपाल में प्रधानमंत्री मोदी ने लाखों बहनों को संबोधित किया. देवी अहिल्या की 300वीं जन्म जयंती पर उनका भाषण महिला शक्तिपर केंद्रित रहा. उन्होंने देश के विकास से लेकर, देश की सुरक्षा में महिलाओ के बढ़ते योगदान को बताया. पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआतकरते हुए कहा कि सबसे पहले मैं मां भारती को भारत की मातृशक्ति को प्रणाम करता हूं. आज यहां इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें-बेटियां हमेंआशीर्वाद देने आई हैं मैं आप सभी बहनों के दर्शन पाकर धन्य हो गया हूं भाइयों-बहनों, आज लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की 300वींजन्मजयंती है। 140 करोड़ भारतीयों के लिए ये अवसर प्रेरणा का है. राष्ट्र निर्माण में हो रहे भगीरथ प्रयासों में योगदान देने का है देवी अहिल्या कहतीथीं, शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है. आज का कार्यक्रम उनकी सोच को आगे बढ़ाता है आज इंदौरमेट्रो की शुरुआत हुई है, दतिया और सतना हवाई सेवा से जुड़ गए हैं ये प्रोजेक्ट विकास को गति देंगे, रोजगार के नए अवसर बनाएंगे.

विकास के सारे कामों को दी गई बधाई
मैं आज विकास के इन सारे कामों के लिए आप सबको, पूरे मप्र को बहुत बहुत बधाई देता हूं. साथियों, देवी अहिल्या का नाम सुनते ही श्रद्धा का भावउमड़ता है उनके व्यक्तित्व के बारे में बोलने पर शब्द कम पड़ जाते हैं साथियों लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभुसेवा और जनसेवा, इसे कभी अलग नहींमाना, कहते हैं वे हमेशा शिवलिंग साथ लेकर चलती थीं. चुनौती पूर्ण कालखंड में, कोई कल्पना कर सकता है, कांटों से भरा ताज पहनने जैसा कामलेकिन माता ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी, गरीबों को सक्षम बनाने का काम किया। वे देश की विरासत थीं. जब देश की मंदिरों, तीर्थस्थलों पर हमले हो रहे थे, उन्होंने उन्हें संवारने का बीड़ा उठाया हमारे तीर्थों का पुनर्निमाण किया और ये मेरा सौभाग्य है, जिस काशी में लोकमाताअहिल्या में विकास के इतने काम किया, उसी काशी ने मुझे भी सेवा का अवसर दिया. आज अगल आप काशी विश्वनाथ महादेल के दर्शन करनेजाएंगे, वहां आपको देवी अहिल्या की मूर्ति भी मिलेगी. साथियों, माता अहिल्या ने गवर्नेंस का ऐसा उत्तम मॉडल अपनाया, जिसमें गरीबों और वंचितोंको सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी. उन्होंने कृषि और वनउपज आधारित कुटीर, हस्त शिल्प को बढ़ाया खेती को बढ़ावा देने के लिए छोटी-छोटी नहरोंकी जाल बिछाया उस जमाने मेंजलसंरक्षण को बढ़ावा देने के लिए कितने ही तालाब बनवाए. आज तो हम भी कह रहे हैं कि बारिश की एक-एक बूंदको बचाओ.

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