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शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने गुरुवार को कहा कि अगर महाराष्ट्र सरकार के फैसले से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के साथ अन्याय हुआ है, जैसा कि कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल का मानना है, तो उन्हें अपने आत्मसम्मान और नैतिकता की खातिर पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. संजय राउत नेयह भी आरोप लगाया कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मराठा आरक्षण आंदोलन को इस तरह आगे बढ़ाया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामनेराजनीतिक मुश्किलें खड़ी हों.

खुलकर जताई नाराजगी
मराठा आरक्षण आंदोलन के समर्थक मनोज जरांगे ने मंगलवार को मुंबई में पांच दिन से चल रहे अपने अनशन को तब खत्म किया जब सरकार नेउनकी ज्यादातर मांगें मान लीं. राज्य सरकार ने एक सरकारी आदेश जारी किया, जिसमें पात्र मराठा समुदाय के लोगों को कुनबी (ओबीसी) जातिप्रमाणपत्र देने का प्रावधान किया गया है इस फैसले से मराठा समाज को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण का रास्ता मिल सकता है लेकिन इस कदम काविरोध ओबीसी समुदाय के कुछ नेताओं, खासकर एनसीपी नेता छगन भुजबल ने किया है उनका कहना है कि यह फैसला ओबीसी समुदाय केअधिकारों को प्रभावित करेगा.

छगन भुजबल ने बुधवार को राज्य कैबिनेट की बैठक का बहिष्कार किया और बाद में खुलकर नाराजगी जताई.-कारण साफ- साफ
उन्होंने इशारा किया कि वह इस सरकारी आदेश को अदालत में चुनौती देंगे. इस पर संजय राउत ने कहा, ‘छगन भुजबल खुद मानते हैं कि उनकेसमुदाय के साथ अन्याय हुआ है ऐसे में वे उसी मुख्यमंत्री के साथ काम कर रहे हैं जिसने यह अन्याय किया अगर कोई नेता सचमुच अपने समुदाय केप्रति ईमानदार है तो उसे कैबिनेट से इस्तीफा दे देना चाहिए. संजय राउत ने आगे पूर्व वित्त मंत्री सीडी देशमुख का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंनेप्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से मतभेद होने पर इस्तीफा दे दिया था उन्होंने कहा, ‘आप (भुजबल) कैबिनेट मीटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं, यानी आपमुख्यमंत्री पर भरोसा नहीं करते ऐसे में आत्मसम्मान और नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दें और जनता के सामने कारण साफ-साफ बताएं.

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