भारत सरकार वन हेल्थ के लिए जू-विन डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च करेगी. जो रेबीज और सर्पदंश के लिए टीकाकरण केंद्रों की जानकारी देगा दिल्ली, मध्य प्रदेश, असम, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश में इसका पायलट प्रोजेक्ट शुरू होगा. जिससे 2030 तक रेबीज उन्मूलन के लक्ष्य को पूरा करने में मददमिलेगी. टीकाकरण के लिए कोविन और यूविन के बाद अब भारत ने वन हेल्थ के लिए भी डिजिटल तकनीक लॉन्च करने का फैसला लिया है. जल्दही केंद्र सरकार पांच राज्यों में जू-विन प्लेटफॉर्म शुरू करेगी.इसके तहत आम लोगों को घर बैठे नजदीकी रेबीज टीकाकरण केंद्र की जानकारी मिलेगी. इसके अलावा सर्पदंश के मामलों में भी विषरोधी टीके का पता चलेगा.शुक्रवार को नई दिल्ली में केंद्र सरकार ने पांच राज्यों के ट्रेनर को बुलाकर उन्हेंट्रेनिंग दी. यूएनडीपी से तकनीकी मदद लेकर सरकार दिल्ली, मध्य प्रदेश, असम, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश में जू-विन डिजिटल प्लेटफॉर्म का पायलटप्रोजेक्ट शुरू करेगी. इन मास्टर ट्रेनरों के प्रशिक्षण में केंद्र सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि अगले कुछ सप्ताह में वन हेल्थ के तहत देश मेंडिजिटल मंच जू-विन लॉन्च किया जाएगा. यह एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा, जहां रेबीज टीका और एंटी-स्नेक वेनम यानी सर्प विष रोधी टीकेकी आपूर्ति चेन के बारे में पूरी जानकारी होगी.रेबीज के खतरों के बारे में भारत में लोगों को कम जानकारी है. जिसकी वजह से कुत्तों का टीकाकरणकवरेज बहुत कम है. जो परिवार अलग-अलग प्रजाति के कुत्तों का पालन कर रहे हैं उनमें से भी अधिकांश समय पर टीकाकरण नहीं कराते. इसलिए2021 में, भारत ने रेबीज उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना को शुरू करते हुए 2030 तक कुत्तों से होने वाले रेबीज को खत्म करने का लक्ष्य रखाहै.
हर साल जाती है 60 हजार लोगों की जान
दरअसल हर साल रेबीज से दुनिया भर में 60 हजार से ज्यादा लोगों की जान जाती है.जिनमें 36 प्रतिशत मौतें अकेले भारत में हो रही हैं. पूरी तरह सेरोकथाम योग्य होने के बावजूद लाखों लोग अभी भी इसके जोखिम में हैं. 200 से ज्यादा ज्ञात जूनोटिक बीमारियों में से यह एक जानवरों से इंसानों मेंफैलती है और यह सबसे घातक बीमारियों में से एक है. यह उन इलाकों में खास तौर पर प्रचलित है जहां आवारा या पालतू कुत्तों के साथ इंसान काअक्सर संपर्क होता है.भारत में लोगों तक रेबीज से संबंधित जानकारी और उपचार पहुंचाने के लिए हाल ही में नई दिल्ली स्थित रोग नियंत्रण केंद्र(एनसीडीसी) ने यूएनडीपी के साथ मिलकर हेल्पलाइन शुरू की है. एनसीडीसी की संयुक्त निदेशक और सेंटर फॉर वन हेल्थ ने बताया कि 15400 नंबर वाली इस रेबीज हेल्पलाइन पर रात दिन लोगों की कॉल ली जा रही हैं. कंट्रोल रूम में हेल्पलाइन एग्जीक्यूटिव आरती बताती हैं. हमें लोगों केबहुत से फोन आते हैं कि अगर बिल्ली या कुत्ते ने उन्हें सिर्फ खरोंच दिया है तो क्या उन्हें रेबीज का टीका लगवाना चाहिए. ऐसे में हम उन्हें बताते हैं किउन्हें टीका लगवाना ही होगा भले ही खरोंच ही क्यों न लगी हो.