भारतीय अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से कृषि क्षेत्र के लिए मानसून को जीवनदायिनी माना जाता है। देश की अधिकांश खेती मानसूनी वर्षा पर निर्भरहै, लेकिन यह कभी-कभी आपदा का रूप भी ले लेता है। 2025 के मानसून सत्र में यही स्थिति पूर्वोत्तर भारत में देखने को मिल रही है, जहां मूसलधारबारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है।
असम सहित कई राज्यों में बाढ़ से हाहाकार
मणिपुर, मेघालय, सिक्किम और विशेष रूप से असम में लगातार हो रही बारिश ने गंभीर हालात पैदा कर दिए हैं। असम में स्थिति सबसे चिंताजनकहो गई है, जहां बाढ़ से अब तक करीब 6.5 लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं। राज्य की सात प्रमुख नदियां, जिनमें ब्रह्मपुत्र प्रमुख है, खतरे के निशान सेऊपर बह रही हैं।
तेज बारिश का अलर्ट, हालात और बिगड़ने की आशंका
भारतीय मौसम विभाग (IMD) और क्षेत्रीय मौसम केंद्र, गुवाहाटी ने राज्य के कई जिलों में अगले कुछ दिनों तक भारी से अति भारी बारिश का अलर्टजारी किया है। खासतौर पर धुबरी, दक्षिण सलमारा-मनकाचर, गोलपाड़ा और कोकराझार जिलों में तेज हवाओं, बिजली गिरने और मूसलाधार बारिशकी संभावना जताई गई है।
अब तक 17 लोगों की मौत, 21 जिलों में तबाही
ASDMA की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 24 घंटों में बाढ़ और भूस्खलन से 6 लोगों की मौत हुई है। इस साल अब तक कुल 17 लोगों की जान जाचुकी है। राज्य के 21 जिलों में बाढ़ का असर देखा जा रहा है, जहां 1500 से अधिक गांव जलमग्न हैं। श्रीभूमि जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां2.3 लाख से अधिक लोग संकट में हैं।
40 हजार लोग राहत शिविरों में, 288 वितरण केंद्र सक्रिय
राज्य सरकार की ओर से 223 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं, जहां लगभग 40 हजार लोग शरण लिए हुए हैं। इसके अलावा 288 राहत वितरण केंद्रभी काम कर रहे हैं। हैलाकांडी जिले में कताखाल नदी ने अपने उच्चतम बाढ़ स्तर को पार कर लिया है, जबकि ब्रह्मपुत्र नदी भी कई स्थानों पर खतरे केनिशान से ऊपर बह रही है।
यातायात और राहत कार्यों पर असर
भारी बारिश और बाढ़ के कारण सड़क, रेल और नाव सेवाओं पर असर पड़ा है। कई स्थानों पर आवागमन पूरी तरह बाधित है, जिससे राहत व बचावकार्यों में भी रुकावट आ रही है। प्रशासन ने हालात पर नजर रखते हुए युद्धस्तर पर राहत कार्य शुरू किए हैं, लेकिन मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनोंतक बारिश जारी रहने की चेतावनी दी है, जिससे हालात और खराब हो सकते हैं।