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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस साल नोबेल शांति पुरस्कार मिलेगा या नहीं? इस बात को लेकर दुनियाभर में चर्चा तेज है। हालांकि इसबात में भी कोई दोहराई नहीं है कि ट्रंप भले ही खुद को शांति का मसीहा बताएं, लगता हो कि उन्होंने दुनिया में शांति स्थापित की है। इन सबकेबावजूद नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में वे इस बार भी दौड़ में हैं। कारण है कि वैश्विक मंचों पर सैंकड़ों बार ट्रंप ने कई बड़े संघर्ष को खत्म करने कादावा किया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि उन्हें इस साल नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि नोबेल शांतिपुरस्कार की सूची में कौन आगे है या फिर इस बार ये किसे मिलने जा रहा है?
उप्साला यूनिवर्सिटी के डेटा से पता चलता
बता दें कि ट्रंप ने हजारों बार अपने कार्यकाल के दौरान आठ प्रमुख संघर्षों को खत्म कराने का दावा किया है। हद तो तब हो गई जब भारत औरपाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष को खत्म कराने का ट्रंप ने 50 से ज्यादा बार दावा किया। हालांकि ये अलग बात है कि भारत सरकार ने हमेशा सेही इन दावों का खंडन किया है। इसी सिलसिले में जब स्वीडन के अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर पीटर वॉलेनस्टीन से सवाल पूछा गया।इसपर उन्होंने एक समाचार एजेंसी से कहा कि नहीं, इस साल ट्रंप को पुरस्कार नहीं मिलेगा। लेकिन शायद अगले साल? तब तक उनकी पहलों परफैली धूल साफ हो जाएगी, जैसे गाजा संकट। दूसरी ओर इस बार विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार विजेता के नाम का चयन थोड़ा मुश्किल भी होसकता है। कारण है कि इस साल की स्थिति बेहद गंभीर है, क्योंकि दुनिया भर में संघर्ष चरम पर हैं। इस्राइल और ईरान की सीधी भिड़ंत, गाजा मेंसंघर्ष, भारत-पाकिस्तान के बीच ड्रोन और मिसाइल हमले, थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद जैसी घटनाओं ने माहौल तनावपूर्ण बना दिया है। 2024 में रिकॉर्ड संख्या में राज्य-स्तरीय युद्ध भी हुए थे, जैसा कि स्वीडन की उप्साला यूनिवर्सिटी के डेटा से पता चलता है।

लोकतंत्र की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रहा
जब ये बात लगभग-लगभग तय मानी जा रही है कि ट्रंप को इस बार नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलने जा रहा है। तो ये सवाल भी लगातार सामने आरहा है कि अगर ट्रंप नहीं तो कौन? ध्यान रहे कि नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा आज दोपहर 2:30 बजे (भारतीय समयानुसार) ओस्लो में कीजाएगी। ऐसे में इस पुरस्कार के लिए इस बार 338 व्यक्ति और संस्थाओं को नामांकित किया गया है। हालांकि, नामों की आधिकारिक सूची 50 वर्षों तक गोपनीय रखी जाती है। 2024 में यह पुरस्कार जापान के निहोन हिदानक्यो को मिला था, जो परमाणु हमलों के जीवित बचे लोगों कासंगठन है। 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कई प्रभावशाली नाम चर्चा में हैं। सूडान की इमरजेंसी रिस्पॉन्स रूम्स, जो युद्ध प्रभावित इलाकों मेंलोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, एक मजबूत दावेदार मानी जा रही है। वहीं रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी कीविधवा यूलिया नवलनाया भी इस सूची में शामिल हैं, जो अपने पति की विरासत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर आगे बढ़ा रही हैं। इसके अलावा, ऑफिसफॉर डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशंस एंड ह्यूमन राइट्स (ODIHR), जो चुनाव निगरानी और लोकतंत्र की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, भी एक प्रमुखउम्मीदवार है।

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