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पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित ‘एकात्म मानववाद’ के 60 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में नई दिल्ली स्थित एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में दोदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी और प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री अरुण कुमार जी ने पं. दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया और प्रदर्शनी का लोकार्पण किया। उन्होंने दीप प्रज्वलन केबाद अपने उद्घाटन वक्तव्य में ‘एकात्म मानववाद’ को भारत के विकास का मौलिक सूत्र बताते हुए कहा कि यह दर्शन केवल एक वैचारिक प्रतिपादननहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की आत्मा है। उन्होंने कहा कि भारत की उन्नति तभी संभव है जब हम अपनी सांस्कृतिक चेतना और परंपराओं के अनुरूपविकास का मार्ग अपनाएं। श्री अरुण कुमार जी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन को भारतीय परंपरा का युगानुकूल भाष्य बताया, न कि कोईनवीन विचारधारा। उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी ने राष्ट्र को तलवार की नोक पर नहीं, बल्कि धर्म और समाज के नैतिक अधिष्ठान पर खड़ा करने कीबात कही थी। कार्यक्रम में श्यामा प्रसाद मुखर्जी फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. अनिर्वाण गांगुली, पीपीआरसी के निदेशक सुमित भसीन, प्रभात प्रकाशनके श्री प्रभात कुमार सहित अनेक गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया और अतिथियों को पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिन्ह भेंट किए गए।

प्रदर्शनी का संयोजन श्री राजीव बब्बर ने किया था और यह पहली बार डिजिटल माध्यम से प्रस्तुत की गई, जिसे देखने लगभग 10,000 से अधिकलोग पहुंचे। प्रदर्शनी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी, ग्रामीण उत्थान, भारत की विदेश नीति और उनके द्वारा लिखित पुस्तकों को भीप्रदर्शित किया गया। संगोष्ठी में देश भर से आए प्रबुद्धजनों और भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों की उपस्थिति रही। इनमें भाजपा के राष्ट्रीय संगठनमहामंत्री बी. एल. संतोष, सह संगठन महामंत्री श्री शिव प्रकाश, राष्ट्रीय संगठक वी. सतीश, राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह एवं तरुण चुघ, दिल्ली कीमुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, केन्द्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा, सांसद मनोज तिवारी, रामवीर सिंह बिधूड़ी, प्रवीणखंडेलवाल, योगेन्द्र चंदोलिया और दिल्ली भाजपा के महामंत्री विष्णु मित्तल प्रमुख रूप से शामिल रहे।

संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में विचारशील विमर्श हुआ। दूसरे सत्र को डॉ. महेश चंद्र शर्मा एवं श्री शिव प्रकाश ने संबोधित किया, जबकि तीसरे सत्र मेंकेंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपने विचार रखे। इसके पश्चात डॉ. एम. एस. चैत्रा ने विचार प्रस्तुत किए और अंतिम सत्र में केंद्रीय मंत्रीश्री भूपेंद्र यादव ने पंडित जी के विचारों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। अंतिम सत्र की अध्यक्षता दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने की।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री अरुण कुमार जी ने कहा कि जनसंघ और भाजपा की विचारधारा की नींव एकात्म मानववाद पर रखी गई थी। उन्होंनेबताया कि स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में गहरा वैचारिक भ्रम व्याप्त था कोई समाजवाद में, कोई साम्यवाद में, तो कोई वेलफेयर स्टेट कीअवधारणा में विश्वास रखता था। ऐसे समय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भारतीय चिंतन परंपरा को आधार बनाकर एकात्म मानववाद कीसंकल्पना प्रस्तुत की, जिसने भारत की आत्मा को पहचानने और राष्ट्र निर्माण के लिए एक नया मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारतको सशक्त बनाना है, तो उसकी मूलभूत प्रकृति को समझना आवश्यक है, क्योंकि हर राष्ट्र की अपनी उत्तरकुंजी होती है और भारत की कुंजी है उसकाधर्म, उसका संस्कार, उसकी परंपरा। इस दो दिवसीय संगोष्ठी ने यह स्पष्ट किया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का दर्शन आज भी राष्ट्र के सर्वांगीणविकास के लिए अत्यंत प्रासंगिक है और ‘एकात्म मानववाद’ न केवल विचारधारा, बल्कि भारत की आत्मा का प्रतिबिंब है।

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