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दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने और वहां से जली हुई नकदी मिलने की घटना नेन्यायपालिका की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह रहस्यमयी घटना 14 मार्च को होली की रात दिल्ली के तुगलक क्रेसेंट स्थित उनकेआवास पर घटी, जब वर्मा और उनकी पत्नी भोपाल में थे। उस समय घर पर केवल उनकी बेटी और बुजुर्ग मां मौजूद थीं। आग बुझाने पहुंचेअग्निशमन कर्मियों को स्टोर रूम में नकदी से भरे थैलों में आग लगी हुई मिली। इस घटना के बाद दो वीडियो वायरल हुए, जिनमें एक में बड़ी मात्रा मेंनोट पड़े हुए दिखाई दे रहे थे और एक व्यक्ति की आवाज़ सुनाई देती है—”नोट ही नोट हैं…”, जबकि दूसरे वीडियो में कहा गया, “सारे बर्न हो गएसाहब।”

मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने 22 मार्च को एक विशेष जांच समिति गठित की, जिसमें तीन वरिष्ठन्यायाधीश शामिल थे। समिति ने 42 दिन की जांच के बाद जो रिपोर्ट सौंपी, उसमें कई ऐसे तथ्य सामने आए, जो जस्टिस वर्मा के आचरण पर गंभीरसंदेह जताते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, घटना वाली रात जस्टिस वर्मा ने अपने स्टाफ से सिर्फ व्हाट्सएप कॉल और एन्क्रिप्टेड मैसेज के जरिए संपर्क किया, जिससे संवाद का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हो सका। दिल्ली लौटने के बावजूद उन्होंने और उनकी पत्नी ने उस स्टोर रूम का मुआयना नहीं किया, जहां आग लगी थी, जो समिति को असामान्य प्रतीत हुआ।

इसके अलावा, जस्टिस वर्मा ने घटना को साजिश बताया, परंतु उन्होंने न पुलिस में कोई शिकायत दर्ज कराई, न ही किसी अदालत में इसकी रिपोर्टदी। इतना ही नहीं, जब उन्हें स्थानांतरण का प्रस्ताव मिला, तो उन्होंने उसे बिना कोई सवाल उठाए तुरंत स्वीकार कर लिया, जबकि उनके पास अगलेदिन तक का समय था।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि जिस स्टोर रूम में आग लगी थी, वहां के सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे। जस्टिस वर्मा ने सफाई दी किये कैमरे सुरक्षा विभाग के नियंत्रण में थे और उन्हें बंद होने की जानकारी नहीं थी। वहीं, वीडियो सबूत में साफ तौर पर स्टोर रूम के अंदर और बाहरबिखरे हुए नोट देखे जा सकते हैं, जिससे नकदी की मौजूदगी को लेकर उनके दावे गलत साबित होते हैं।

इन सभी तथ्यों ने न सिर्फ जस्टिस वर्मा के बयानों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि उच्च न्यायपालिका की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर भी गहरा प्रभावडाला है। अब यह देखना अहम होगा कि न्यायपालिका इस मामले में आगे क्या रुख अपनाती है और क्या कोई कानूनी कार्रवाई की जाती है।

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