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तेलंगाना में पूर्ववर्ती बीआरएस सरकार के दौरान कथित फोन टैपिंग के मामले में एक बार फिर बातचीत तेज हो गई है. कारण है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बी संजय कुमार ने इस मामले में जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की है. शुक्रवार को उन्होंने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) के सामनेगवाही देने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उन्हें एसआईटी की जांच पर भरोसा नहीं है. मंत्री ने कहा कि एसआईटी के अधिकारी अच्छे हैंलेकिन कांग्रेस सरकार उन्हें स्वतंत्र रूप से जांच नहीं करने दे रही है. मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और बीआरएस के बीच मिलीभगत है और दोनोंएक-दूसरे के खिलाफ सिर्फ ड्रामा कर रहे हैं.

प्रभाकर राव मुख्य है आरोपी
मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री संजय कुमार ने आरोप लगाए हैं कि बीआरएस शासन के दौरान उनके और उनके परिवार के फोन सबसे ज्यादा टैप किएगए. उनके स्टाफ, घर पर काम करने वालों और भाजपा कार्यकर्ताओं की भी निगरानी की गई. संजय कुमार ने कहा कि उन्होंने ही सबसे पहले फोनटैपिंग का खुलासा किया था. इसके लिए एसआईटी को वे इस मामले से जुड़ी गोपनीय रिपोर्ट और जानकारी सौंपेंगे. बता दें कि इससे पहले संजयकुमार 28 जुलाई को बयान दर्ज कराने वाले थे, लेकिन संसद सत्र के चलते नहीं जा सके थे. शुक्रवार को उन्होंने खैरताबाद स्थित हनुमान मंदिर में पूजाकी और फिर पैदल चलते हुए दिलकुशा गेस्ट हाउस पहुंचे, जहां एसआईटी ने उनका बयान दर्ज किया.
गौरतलब है कि इस मामले में तेलंगाना की स्पेशल इंटेलिजेंस ब्यूरो (एसआईबी) के पूर्व प्रमुख टी प्रभाकर राव मुख्य आरोपी हैं.

जमानत है मिल गई
आरोप है कि उन्होंने एक स्पेशल ऑपरेशंस टीम बनाई थी जो राजनीतिक निगरानी जैसे काम कर रही थी. मार्च 2024 में एसआईबी के एक सस्पेंडेडडीएसपी सहित चार पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था. उन पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से डेटा मिटाने और गैरकानूनी फोन टैपिंग काआरोप है. बाद में उन्हें जमानत मिल गई. संजय कुमार ने आरोप लगाया कि ये सब पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की जानकारी और निर्देश पर हो रहाथा. उन्होंने कहा कि वे इस मामले में जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग करेंगे, लेकिन निष्पक्ष जांच के लिए यह जरूरी है कि सीबीआई इस मामले कीजांच करे.

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