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अमेरिका और भारत के बीच बीते करीब पांच महीने से व्यापार समझौते को लेकर चर्चा जारी है. माना जा रहा है कि जल्द ही इस समझौते पर सहमतिबन सकती है. इसके बाद दोनों देशों के बीच आयात शुल्क को लेकर चल रहा विवाद सुलझ सकता है और ट्रंप भारत पर टैरिफ की बढ़ी हुई दरें लगानेका फैसला वापस ले सकते हैं. हालांकि, इससे पहले कि व्यापार पर यह चर्चा अंतिम रूप ले पाए, ट्रंप की एक और धमकी ने टैरिफ विवाद को नयाकोण दे दिया है. भारत इस बार विवाद से सीधे तौर पर जुड़ा नहीं है इसके बावजूद दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रपति के ताजा बयानों को लेकर चिंताएंजाहिर की जा रही हैं दरअसल, ट्रंप ने कहा है कि अगर पुतिन 50 दिन के अंदर यूक्रेन में सैन्य अभियान को नहीं रोकते तो उनकी सरकार रूस और उससेव्यापार करने वाले देशों पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाएगी. इतना ही नहीं ट्रंप ने धमकी दी है कि वे रूस से तेल व कुछ अन्य उत्पाद खरीदनेवाले देशों पर भी सेकेंडरी टैरिफ लगाएंगे. ट्रंप की इन धमकियों के बाद से ही यह सवाल उठने लगे हैं कि अगर अमेरिका भविष्य में रूस और उससेव्यापार करने वाले देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगा देता है.
व्यापार रखकर चलता है संतुलन
तो इससे कौन-कौन से देश सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे? इसका भारत पर कैसा और कितना असर होगा? भारत और रूस का व्यापार किस तरहप्रभावित होगा? इसके अलावा भारत के किन क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है? अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि अगर रूस और यूक्रेन का संघर्ष खत्मनहीं हुआ तो वे रूस पर कड़े टैरिफ लगाएंगे। उन्होंने इसे सेकेंडरी टैरिफ बताया। सेकेंडरी टैरिफ का सीधा अर्थ है वह टैरिफ जो निशाने पर रखे गए देशपर नहीं, बल्कि उसके सहयोगियों पर लगाया जाए. यानी यह टैरिफ अमेरिका उन देशों पर लगाएगा, जो रूस से व्यापार कर रहे होंगे. माना जा रहा हैकि अमेरिका अपने इस फैसले के जरिए रूस के व्यापार की सभी लाइफलाइन बंद करने की तैयारी कर रहा है. पहले ही अमेरिका और यूरोप के कईदेशों ने रूस पर व्यापार से जुड़े प्रतिबंध लगाए हैं. उधर अब अमेरिका उन देशों को भी रूस से व्यापार करने से रोकने की तैयारी कर रहा है, जिनके रूसीसरकार से परंपरागत तौर पर अच्छे रिश्ते रहे हैं इनमें भारत, चीन, ब्राजील, तुर्किये, वियतनाम और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे देश शामिल हैं. गौरतलब है कि भारत लंबे समय से अमेरिका और रूस दोनों से व्यापार में संतुलन रखकर चलता आया है.

होथियारों के लिए रुस पर निर्भर
अपने ऐतिहासिक रिश्तों की वजह से भारत लंबे समय से हथियारों के लिए रूस पर निर्भर रहा है. दूसरी तरफ 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने केबाद से भारत ने रूस से तेल का आयात भी बढ़ाया है. मौजूदा समय में रूस से सबसे ज्यादा तेल आयात करने वाले देशों में चीन और भारत सबसे ऊपरहैं। व्यापार के पूरे आंकड़ों को देखा जाए तो भारत और रूस ने 2024-25 में कुल 68.7 अरब डॉलर का कारोबार किया. इस दौरान जहां भारत काकुल निर्यात 4.88 अरब डॉलर का रहा वहीं, आयात 63.84 अरब डॉलर का रहा. भारत जिन चीजों को रूस को निर्यात करता है, उनमें कृषि क्षेत्र केउत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स (दवाएं), लोहा और स्टील, हवाई जहाज के पार्ट्स, मशीनें, कपड़े, चमड़ा, रबड़, सर्जिकल टूल्स, आदि शामिल हैं। दूसरीतरफ भारत रूस से जो उत्पाद आयात करता है, उनमें सबसे बड़ा हिस्सा ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े उत्पाद- तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, फर्टिलाइजर, मिनरल ईंधन, मशीनें, धातुएं और खाद्य तेल का है इसके अलावा भारत बड़ी मात्रा में हथियारों का भी आयातक रहा है.

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