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केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की प्रक्रिया तेज कर दीहै। इसके लिए लोकसभा के कई सदस्यों से हस्ताक्षर एकत्र किए जा चुके हैं। यह संकेत है कि प्रस्ताव को संसद के निचले सदन में रखा जा सकता है।
आग लगने की घटना के बाद नकदी से भरी बोरियों से हुआ खुलासा
मार्च 2025 में दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई थी। इस दौरान उनके आवास के बाहरी कक्ष से भारी मात्रामें जले हुए नोट और नकदी से भरी बोरियां बरामद हुई थीं। उस समय वह दिल्ली हाई कोर्ट में कार्यरत थे। घटना के बाद उन्हें स्थानांतरित करइलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया गया।

जांच में पाया गया स्टोर रूम पर ‘गुप्त नियंत्रण’
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आंतरिक जांच के आदेश दिए थे। जांच समितिने निष्कर्ष निकाला कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के सदस्य उस स्टोर रूम पर ‘‘गुप्त या सक्रिय नियंत्रण’’ रखते थे, जहां से नकदी बरामद हुई थी।यह तथ्य उनके खिलाफ गंभीर कदाचार को प्रमाणित करता है।

इस्तीफा न देने पर मामला राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास पहुंचा
जस्टिस वर्मा ने खुद पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए किसी भी प्रकार के अनियमितता से इनकार किया था। जब उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा देने सेइनकार कर दिया, तब सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंप दिया।

21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद सत्र में प्रस्ताव लाने की तैयारी
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने जानकारी दी कि केंद्र सरकार संसद के आगामी सत्र, जो 21 जुलाई से शुरू हो रहा है, उसमें जस्टिस वर्मा को हटानेका प्रस्ताव पेश करेगी। लोकसभा में इस तरह के प्रस्ताव के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं, जबकि राज्यसभा में प्रस्तावलाने के लिए 50 सांसदों का समर्थन जरूरी है।

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