"National   Voice  -   खबर देश की, सवाल आपका"   -    *Breaking News*   |     "National   Voice  -   खबर देश की, सवाल आपका"   -    *Breaking News*   |     "National   Voice  -   खबर देश की, सवाल आपका"   -    *Breaking News*   |    

कांची कामकोटि पीठम के 70वें शंकराचार्य, स्वामी शंकर विजयेंद्र सरस्वती का मानना है कि भारत के पास वेद, शिक्षा और आयुर्वेद जैसी विरासत है, जिसने देश की दिशा बदली है और आगे भी बदलेगी। उनका मानना है कि अगर भारत ‘विश्व गुरु’ बनता है, तभी दुनिया में सच्ची शांति संभव होगी।बेंगलुरू प्रवास के दौरान द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने धर्म, शिक्षा, भाषा, युवा पीढ़ी और सरकार के साथसंबंध जैसे कई अहम मुद्दों पर विचार साझा किए। प्रस्तुत हैं प्रमुख बातें:

कांची पीठम का धर्म प्रचार कैसे होता है?
हम पीढ़ियों से वेदों और भारतीय परंपराओं को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे हैं। हमारी पाठशालाएं और कॉलेज विशेष रूप से गरीब बच्चों के लिए हैं, जहां आधुनिक पढ़ाई के साथ भारतीय संस्कृति की शिक्षा दी जाती है। हम ‘तीन भाषा सूत्र’ (संस्कृत, क्षेत्रीय भाषा और अंग्रेजी) के जरिए प्राचीन ज्ञानबांटते हैं।

भारत के विकास में पीठम की क्या भूमिका है?
हम ‘वेद’ (ज्ञान), ‘विद्या’ (शिक्षा) और ‘वैद्य’ (चिकित्सा) के ज़रिए समाज की सेवा कर रहे हैं। पूरे देश में हमारे अस्पताल गरीबों को मुफ्त इलाज देतेहैं। हमारी कोशिश रही है कि भारतीय परंपराओं जैसे गौ-पालन, खेती और शिक्षा को समाज की मुख्यधारा में लाया जाए।
क्या आज के युवा आध्यात्म में रुचि दिखा रहे हैं?
जी हां, अब युवा आध्यात्म की ओर लौट रहे हैं। जब उन्हें लगता है कि आधुनिक जीवनशैली से उन्हें सुकून नहीं मिल रहा, तब वे भारतीय परंपरा कीओर मुड़ते हैं। उन्हें समझ आता है कि आत्मिक शांति बाहरी चीज़ों से नहीं मिलती।

भाषा विवाद पर आपकी क्या राय है?
अंग्रेज़ी को केवल एक संपर्क भाषा के तौर पर अपनाना चाहिए। कामकाज में इसका उपयोग हो सकता है, लेकिन घर में हर किसी को अपनीमातृभाषा (जैसे तमिल, कन्नड़, मलयालम आदि) बोलनी चाहिए। संस्कृत का उपयोग धर्म और मंदिरों के कामों में होना चाहिए क्योंकि वेद और शास्त्रउसी भाषा में हैं।

विश्व शांति के लिए कांची पीठम क्या कर रहा है?
हम हर साल कश्मीर में ‘विश्व शांति होम’ का आयोजन करते हैं। हमारी संस्कृति सेवा और करुणा सिखाती है। बाकी जगहों पर लोग केवल मानवताकी बातें करते हैं, लेकिन हम उसे व्यवहार में लाते हैं। हमारा उद्देश्य है कि भारत एक दिन ‘विश्व गुरु’ बने, जिससे दुनिया में स्थायी शांति आ सके।

हिंदू धर्म में सुधार को लेकर क्या सोचते हैं?
धर्म सुधार की मांग राजनेता करते हैं, लेकिन सुधार वहीं होना चाहिए जहां ज़रूरत है। धार्मिक मामलों को धार्मिक गुरु ही समझते हैं, इसलिए येनिर्णय उन्हीं पर छोड़ देना चाहिए। सरकार या राजनीतिक लोग इसमें दखल न दें।

मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण को लेकर आपकी राय क्या है?
सरकार का मंदिरों में बहुत अधिक हस्तक्षेप है, जबकि मंदिरों की संपत्ति और दान धर्म प्रचार के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। पहले राजा मंदिर बनवातेऔर उनका समर्थन करते थे। आज उल्टा हो गया है। हमें मंदिरों को स्वायत्त बनाना होगा। हर गांव में एक पंडित और हर मंदिर को तिरुपति की तरहबनाना हमारा लक्ष्य है।

क्या सरकार और धर्म संस्थाओं को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए?
हां, दोनों का मकसद समाज की भलाई है। सरकार को बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए और धर्म संस्थाओं को अपने काम की स्वतंत्रतामिलनी चाहिए। मठ स्कूल, कॉलेज और अस्पताल चलाकर सरकार का सहयोग कर रहे हैं, तो सरकार को भी मठों की मदद करनी चाहिए।

तनाव के इस दौर में आपकी क्या सलाह है?
लोग प्रेम, स्नेह और संस्कृति (Love, Affection, Culture) से दूर होते जा रहे हैं। हर कोई अपने अधिकारों की बात करता है, लेकिन कर्तव्यों कोभूल जाता है। हमें पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को मजबूत करना होगा। तनाव का एक बड़ा कारण है – भारतीय संस्कृति से दूर जाना। हमेंअपनी जड़ों की ओर लौटना होगा।

कांची पीठम का भविष्य का लक्ष्य क्या है?
हम भारतीय भाषाओं में लिखे साहित्य को अन्य भाषाओं में अनुवाद कर अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। मंदिरों को शिक्षा का केंद्र बनानाचाहिए। गीता, संगीत, ज्योतिष, नैतिकता जैसे विषयों पर कक्षाएं होनी चाहिए। हमें खेती, संस्कृति और उद्योग – तीनों पर ध्यान देना होगा ताकिभारत आत्मनिर्भर बन सके और ‘विश्व गुरु’ बन सके। यह समय लेगा, लेकिन हमें लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *